रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के एक सूत्र के अनुसार, कंपनी ने अमेरिका स्थित एवियोनिक्स फर्म जेनेसिस के सहयोग से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक अनुबंध के तहत 55 डोर्नियर-228 विमानों का सफलतापूर्वक उन्नयन करके पहले ही एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली है।
By: Prafull tiwari
Jun 08, 20255:54 PM
नयी दिल्ली। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर अपने रक्षा कारोबार को विमान अपग्रेडेशन कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करके गति देने की योजना बना रही है, जिसके तहत अगले सात से 10 वर्षों में 5,000 करोड़ रुपये के अवसर प्राप्त होंगे। बता दें कि रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर अब अपनी विमान और हेलीकॉप्टर उन्नयन क्षमताओं को बढ़ाने की कोशिश कर रही है, जिसके लिए वह वैश्विक भागीदारों के साथ मिलकर विश्व स्तरीय समाधान देने पर काम कर रहा है।
इस रणनीतिक कदम से रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर भारत की पहली निजी क्षेत्र की कंपनी बन गई है, जो मूल मैन्यूफैक्चर्स बने बिना ही स्वतंत्र रूप से बड़े पैमाने पर एयरक्राफ्ट अपग्रेड कार्यक्रम को इम्पीलिमेंट कर रही है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिस पर पारंपरिक रूप से सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और ओईएम का प्रभुत्व है। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के एक सूत्र के अनुसार, कंपनी ने अमेरिका स्थित एवियोनिक्स फर्म जेनेसिस के सहयोग से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक अनुबंध के तहत 55 डोर्नियर-228 विमानों का सफलतापूर्वक उन्नयन करके पहले ही एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली है।
शुरू में 37 विमानों के लिए अनुबंध दिया गया था, रिलायंस ने पहले के अनुबंध के सफल निष्पादन के बाद अतिरिक्त 18 इकाइयों के लिए दोबारा आॅर्डर हासिल किया। सूत्रों ने बताया कि डोर्नियर अपग्रेड अनुबंध का कुल मूल्य 350 करोड़ रुपये था। उन्नत डोर्नियर बेड़ा भारतीय वायु सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के साथ परिचालन में है। सैन्य विमानों और हेलीकॉप्टरों की सेवा अवधि 30-40 वर्ष होती है, इसलिए नियमित उन्नयन, विशेष रूप से एवियोनिक्स, मिशन सिस्टम और सुरक्षा उपकरणों का महत्वपूर्ण है।
उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान है कि उन्नयन और रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) में उसके पूरे जीवन चक्र निवेश एक मंच की मूल अधिग्रहण लागत का 200-300 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। वैश्विक स्तर पर, सैन्य विमानों और हेलीकॉप्टर उन्नयन का बाजार सालाना 5,00,000 करोड़ रुपये से अधिक है, और अगले सात वर्षों में इसके 7,00,000 करोड़ रुपये तक बढ़ने का अनुमान है। भारत, पुराने मंचों के विशाल भंडार के साथ, पर्याप्त घरेलू अवसर प्रदान करता है, विशेष रूप से तब जब सशस्त्र बल अगली पीढ़ी के युद्ध के लिए पुराने बेड़ों का आधुनिकीकरण कर रहे हैं।