जिला पंचायत में हुई शिक्षा समिति की बैठक में जमकर हंगामा हुआ। समिति के अध्यक्ष मोहन सिंह जाट और सदस्यों विनय मेहर व विक्रम भालेश्वर ने जिले में शिक्षा व्यवस्था की खामियों और अधिकारियों की कार्यशैली पर कड़े सवाल उठाए। बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) एन.के. अहिरवार सहित शिक्षा विभाग के कई अधिकारी मौजूद थे, जिन्हें जनप्रतिनिधियों के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा।
By: Ajay Tiwari
भोपाल. स्टार समाचार वेब.
जिला पंचायत में हुई शिक्षा समिति की बैठक में जमकर हंगामा हुआ। समिति के अध्यक्ष मोहन सिंह जाट और सदस्यों विनय मेहर व विक्रम भालेश्वर ने जिले में शिक्षा व्यवस्था की खामियों और अधिकारियों की कार्यशैली पर कड़े सवाल उठाए। बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) एन.के. अहिरवार सहित शिक्षा विभाग के कई अधिकारी मौजूद थे, जिन्हें जनप्रतिनिधियों के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा।
अध्यक्ष मोहन सिंह जाट ने स्कूलों की जर्जर हालत पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, "मैंने खुद कई स्कूलों को जर्जर देखा है, लेकिन उनकी मरम्मत नहीं हो रही है।" इस पर सदस्य विनय मेहर ने सवाल किया कि जब हर साल मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपए का बजट आता है, तो फिर स्कूलों की ऐसी दयनीय तस्वीर क्यों है? उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों की मिलीभगत से काम चहेतों को दे दिया जाता है, और काम भी नहीं होता। उन्होंने पुराने समझौतों को रद्द करने की भी मांग की। इंजीनियर पर भड़कते हुए जाट ने कहा कि वे शराब पीकर बैठकों में आते हैं, जिस पर इंजीनियर ने इसे व्यक्तिगत आरोप बताते हुए आपत्ति जताई। सदस्य मेहर ने भी जाट के आरोपों का समर्थन किया। डीईओ अहिरवार से इस मामले में कार्रवाई करने को कहा गया।
सीएम राइज स्कूल और मध्याह्न भोजन में अव्यवस्था
बैठक में सीएम राइज स्कूलों तक बस की व्यवस्था न होने का मुद्दा भी उठाया गया। सदस्य विनय मेहर ने उन गांवों के लिए तत्काल बस सेवा शुरू करने की मांग की, जहां सीएम राइज स्कूल तक पहुँचने के लिए कोई साधन नहीं है। मध्याह्न भोजन को लेकर भी बैठक में नोंकझोंक देखने को मिली। एक महिला स्कूल प्रभारी ने मध्याह्न भोजन प्रभारी द्वारा अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने की शिकायत की, जिसके बाद अध्यक्ष ने दोनों पक्षों को मौके पर ही तलब किया और समझाइश देकर मामला शांत करवाया।
अधिकारियों के रवैये पर सवाल
जनप्रतिनिधियों ने अधिकारियों पर फोन कॉल रिसीव न करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे दिन में कॉल नहीं उठाते, लेकिन जब प्राइवेट स्कूलों को मान्यता देने की बात आती है तो रात में भी कॉल रिसीव कर लेते हैं। इस पर डीईओ अहिरवार ने अधिकारियों को भविष्य में ऐसा न करने की हिदायत दी। इसके अलावा, साइकिल वितरण जैसे कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित न करने पर भी नाराजगी जताई गई।
प्राइवेट स्कूलों की मान्यता पर चर्चा
बैठक में मध्याह्न भोजन, प्राइवेट स्कूलों की मान्यता, छात्रावासों की व्यवस्था और सर्व शिक्षा अभियान के तहत चल रहे निर्माण कार्यों जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। समिति के सदस्यों ने साफ किया कि शिक्षा के क्षेत्र में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह पहला मौका नहीं है, इससे पहले 23 मई को भी पिछली बैठक में हंगामा हो चुका है।