मुख्यमंत्री खुद इसे प्रदेश की ब्रांडिंग का सबसे बड़ा मंच मानते हैं। वो आयोजन, जिससे प्रदेश के विकास को नए पंख मिलने थे, निवेश की नई राहें खुलनी थीं और मध्यप्रदेश को भरोसेमंद ब्रांड बनाकर दुनिया के सामने रखा जाना था।
By: Arvind Mishra
Jun 29, 202512:50 PM
भोपाल। स्टार समाचार वेब
कभी-कभी समय ही तय करता है कि कोई घटना मामूली रहेगी या इतिहास में सवाल और सबक बनकर दर्ज होगी। रतलाम की घटना भी ऐसी ही है। मुख्यमंत्री के काफिले में शामिल 20 गाड़ियों में पानी मिला डीजल भर दिया गया, जिससे पूरा काफिला सड़क पर खड़ा हो गया। अगर ये किसी और दिन होता, तो जांच की फाइलें खुलतीं, बंद होतीं और कोई जिम्मेदार आसानी से बच निकलता। लेकिन यह उस दिन हुआ जब रतलाम में रीजनल इन्वेस्टर समिट होना थी। वो आयोजन, जिससे मध्यप्रदेश को औद्योगिक नक्शे पर नई उड़ान देना थी। मुख्यमंत्री खुद इसे प्रदेश की ब्रांडिंग का सबसे बड़ा मंच मानते हैं। वो आयोजन, जिससे प्रदेश के विकास को नए पंख मिलने थे, निवेश की नई राहें खुलनी थीं और मध्यप्रदेश को भरोसेमंद ब्रांड बनाकर दुनिया के सामने रखा जाना था। अब सोचिए, जब निवेशकों ने अखबार खोलकर पढ़ा होगा कि मुख्यमंत्री के काफिले की गाड़ियों में पानी मिला डीजल भर दिया गया, तो वो क्या भरोसा लेकर लौटे होंगे? यह घटना नहीं, लापरवाही की नुमाइश थी। किसी एक मंत्री या अफसर का नाम लेकर जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ा जा सकता। पूरा विभाग कटघरे में है।
वही विभाग जो सालभर ‘मिलावट से मुक्ति’ जैसे नारे उछालता है। वही विभाग, जिसके खाद्य निरीक्षक हर पंप पर निगरानी रखने के दावे करते हैं, पर जब इस तरह की घटनाएं सामने आती है, तब आंख मूंद लेता है। क्या यह लापरवाही अक्षम्य अपराध नहीं है। अगर क्रेडिट चाहिए तो जिम्मेदारी भी उठानी होगी। विभाग जब हर उपलब्धि पर पोस्टर लगवाता है, तो गलती पर भी उसका चेहरा ही जिम्मेदार होगा। जनता मिलावट का दंश झेल रही है, पर विभाग की फाइलों में सब ठीक! अब अचानक आदेश निकालकर, पंप सील करके भरपाई की जा रही है। पर इस तमाशे में एक शब्द नहीं सुनाई देता, माफी!
इस्तीफा तो सिस्टम में पुरानी किताबों में रह गया, लेकिन कोई अफसर, कोई जिम्मेदार अधिकारी इतनी भी नैतिकता दिखाएगा कि माइक पर आकर कहे ‘हां, गलती हमारी थी, हम शर्मिंदा हैं।’अब भी वक्त है, कोई तो माफी मांगे। वरना याद रखिए, जनता सब देख रही है। आज विभाग पकड़ में है, कल जनता के हाथ में होगा। भरोसा टूट गया तो अगली बार भरोसा मत मांगिएगा!