वर्ष 2008 के अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस में उम्रकैद की सजा काट रहा आतंकी मोहम्मद शफीक अंसारी दो दिन की पैरोल पर उज्जैन लाया गया है। शफीक अंसारी अपनी भतीजी की शादी में शामिल होने के लिए अदालत की अनुमति के बाद उज्जैन आया है।
By: Arvind Mishra
Jun 23, 2025just now
वर्ष 2008 के अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस में उम्रकैद की सजा काट रहा आतंकी मोहम्मद शफीक अंसारी दो दिन की पैरोल पर उज्जैन लाया गया है। शफीक अंसारी अपनी भतीजी की शादी में शामिल होने के लिए अदालत की अनुमति के बाद उज्जैन आया है। आतंकी शफीक अंसारी ने पैरोल के लिए न्यायालय में आवेदन किया था, जिसे कुछ शर्तों के साथ मंजूर किया गया। उसके घर पर गुजरात और उज्जैन पुलिस की सख्त निगरानी की जा रही है। गौरतलब है कि सिंतबर 2024 को भी शफीक को पारिवारिक कारणों के चलते पैरोल पर उज्जैन लाया गया था। उस दौरान भी भारी पुलिस बल लगाया गया था। गुजरात अहमदाबाद में हुए सीरियल ब्लास्ट में उम्रकैद की सजा पा चुके आतंकी मोहम्मद शफीक अंसारी को कोर्ट ने 5 दिन की पैरोल दी थी। जिसके बाद वो उज्जैन स्थित अपने घर पहुंचा था। दरअसल, अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट का दोषी कैदी शफीक अंसारी अहमदाबाद से अपने घर शादी में शामिल होने पहुंचा है। उसे कड़ी सुरक्षा घेरे में लाया गया है, जिसमें गुजरात और उज्जैन पुलिस के 33 जवानों को लगाया गया है। उज्जैन के मित्र नगर निवासी शफीक अंसारी के घर के बाहर भारी पुलिस बल तैनात है। वह अहमदाबाद में हुए ब्लास्ट में दोषी करार दिए जाने के बाद से ही अहमदाबाद की जेल में बंद था। वर्ष 2022 में कोर्ट ने शफीक अंसारी को 10 अन्य दोषियों के साथ आजीवन कैद की सजा सुनाई थी।
शफीक को भाई की बेटी के निकाह के कारण पैरोल मिली है। रविवार को देर रात दो एसीपी, दो टीआई व 12 पुलिस जवान गुजरात पुलिस के विशेष दस्ता बनाकर उसे लेकर उज्जैन पहुंचे। यहां उज्जैन पुलिस की जीवाजीगंज और चिमनगंज थाना पुलिस के भी जवान भी सुरक्षा की दृष्टि से तैनात है। कहा जा रहा है आज सोमवार की देर रात पुलिस उसे लेकर गुजरात रवाना भी हो जाएगाी।
अहमदाबाद में 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट में 56 लोगों की जान गई थी। विशेष अदालत ने धमाकों के 49 गुनहगारों को सजा दी। 38 के लिए सजा-ए-मौत मुकर्रर की गई है। 11 ताउम्र कैद में रहेंगे।
26 जुलाई 2008, यही वह दिन था जब 70 मिनट के दौरान 21 बम धमाकों ने अहमदाबाद की रूह को हिलाकर रख दिया। शहर भर में हुए इन धमाकों में 56 लोगों की जान गई, जबकि 200 लोग घायल हुए थे। धमाकों की जांच-पड़ताल कई साल चली और 80 आरोपियों पर मुकदमा चला।