कंबोडिया और थाईलैंड के बीच सीमा पर दो दिन से जारी संघर्ष के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आपात बैठक बुलाई है। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हमले के आरोप लगाए हैं। सीमा से 1.3 लाख से अधिक लोग पलायन कर चुके हैं। आसियान मध्यस्थता की कोशिश में है। अमेरिका, चीन और जापान ने भी संयम और बातचीत की अपील की है।
By: Sandeep malviya
Jul 26, 20257 hours ago
बैंगकॉक। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हाल ही में भड़के सीमा संघर्ष ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने शनिवार को एक आपात बैठक बुलाई। यह बैठक अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा विषय के तहत आयोजित की गई। कंबोडिया ने इस बैठक की मांग की थी, जिसके बाद यूएनएससी के सभी 15 सदस्य देशों ने मामले को गंभीरता से लिया। कंबोडिया ने थाईलैंड पर बिना उकसावे के हमला करने और बौद्ध मंदिरों व सीमाई इलाकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। कंबोडिया का कहना है कि थाई सेना ने जानबूझकर पहले गोलीबारी की और पहले से तय सीमा समझौतों का उल्लंघन किया। दूसरी ओर, थाईलैंड ने भी यूएनएससी को पत्र भेजकर स्पष्ट किया है कि संघर्ष की शुरूआत कंबोडिया ने की थी और उसके सैनिकों ने थाई क्षेत्र में गोलीबारी की।
सीमा पर बढ़ते तनाव से लाखों लोग प्रभावित
थाईलैंड की स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक 1.3 लाख से अधिक लोग संघर्ष प्रभावित इलाकों से सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर चुके हैं। कंबोडिया में भी हजारों लोग घर छोड़ने पर मजबूर हुए हैं। दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजदूतों को वापस बुला लिया है और कई सीमा चौकियों को बंद कर दिया गया है।
आसियान और विश्व नेताओं की अपील
मलयएशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम, जो इस समय आसियान के अध्यक्ष हैं, ने दोनों देशों से बातचीत करने की अपील की है और मध्यस्थता की पेशकश की है। अमेरिका, चीन, जापान और फ्रांस जैसे देशों ने भी दोनों पक्षों से संयम बरतने और कूटनीतिक समाधान अपनाने की मांग की है।
प्राचीन मंदिरों को लेकर पुराना विवाद
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 800 किलोमीटर लंबी सीमा पर दशकों से विवाद चला आ रहा है। विवाद का केंद्र प्राचीन हिंदू मंदिर 'प्रसात ता मुएन थोम' और 'प्रेह विहेयर' हैं। 2011 में भी ऐसे ही एक संघर्ष में 16 लोगों की जान चली गई थी और तब भी निजी बैठक कर हस्तक्षेप किया था।
ताजा हालात और आगे की राह
हाल ही में 16 और 23 जुलाई को थाई सैनिकों के घायल होने और सीमा पर बारूदी सुरंगों के फटने से हालात और बिगड़े हैं। हालांकि कंबोडिया के प्रधानमंत्री ने 24 जुलाई से संघर्षविराम की बात कही थी, लेकिन थाईलैंड ने उसपर अमल से इनकार कर दिया। वर्तमान में दोनों देश कूटनीतिक दबाव और अंतरराष्ट्रीय निगरानी के बीच हैं। आने वाले दिनों में शांति की दिशा में आसियान की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है।