उत्तर प्रदेश के उन्नाव रेप केस में पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने कुलदीप सेंगर की जमानत को हरी झंडी दिखा दी थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
By: Arvind Mishra
Dec 29, 202512:43 PM
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
उत्तर प्रदेश के उन्नाव रेप केस में पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने कुलदीप सेंगर की जमानत को हरी झंडी दिखा दी थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जहां याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कुलदीप सेंगर की जमानत पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। दरअसल, आज यानी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में उन्नाव दुष्कर्म केस में दोषी पाए गए भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के मुकदमे पर सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत की पीठ ने सेंगर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा-दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगाई जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि जमानत मिलने के बाद भी सेंगर जेल से बाहर नहीं आ सकता है।
सेंगर के खिलाफ सीबीआई की याचिका
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पीठ ने आज केंद्रीय जांच ब्यूरो की उस याचिका पर सुनवाई की। इसमें दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित करने के फैसले को चुनौती दी गई थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर को सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी थी, जिसके बाद सीबीआई ने इस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। उन्नाव दुष्कर्म मामला देश के सबसे संवेदनशील और चर्चित मामलों में से एक रहा है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का रुख बेहद अहम माना जा रहा है।
पीड़ित पक्ष बोला- सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा
इससे पहले उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता और उसकी मां ने जंतर मंतर पर कुलदीप सिंह सेंगर को मिली जमानत के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारी बड़ी संख्या में हाथों में बैनर व तख्तियां लिए पहुंचे। पीड़िता की मां ने बताया कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है और उन्हें उम्मीद है कि वहां से उन्हें न्याय मिलेगा। पीड़िता ने कहा मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील करती हूं कि मुझे इस तरह सुरक्षा दी जाए, जिससे मैं निडर होकर अपनी लड़ाई लड़ सकूं।
यह मामला गंभीर सजा का- तुषार मेहता
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में यह दलील भी कि पीड़िता की उम्र 16 वर्ष से कम थी। इस मामले में अपील लंबित है। सीबीआई के वकील ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्त को निर्विवाद रूप से आईपीसी की धारा 376 के तहत दोषी ठहराया। धारा 376 91) में न्यूनतम 10 वर्ष और अधिकतम सजा आजीवन कारावास है। तुषार मेहता ने कहा कि धारा 376(2) के तहत न्यूनतम सजा 20 वर्ष है और अधिकतम सजा अभियुक्त के जैविक जीवन के अंत तक कारावास है। पीड़िता की उम्र 16 वर्ष से कम थी, इसलिए यह मामला गंभीर सजा के अंतर्गत आएगा।