ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को नस्लभरे और जान से मारने की धमकी देने वाले 21 वर्षीय युवक लियाम शॉ को अदालत ने दोषी करार दिया है। उसे 14 हफ्ते की कैद, पुनर्वास कार्यक्रम और दो साल के प्रतिबंध आदेश की सजा मिली। शॉ ने जून 2023 में धमकी भरे ईमेल भेजे थे।
By: Sandeep malviya
Aug 19, 202515 hours ago
लंदन। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय मूल के नेता ऋषि सुनक को नस्लभरी और जान से मारने की धमकी देने वाले 21 वर्षीय युवक को अदालत ने सजा सुनाई है। आरोपी लियाम शॉ को 14 हफ्ते की जेल और दो साल का प्रतिबंध आदेश दिया गया है। यह मामला जून 2023 का है, जब सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद पर थे। अदालत ने कहा कि इस तरह का व्यवहार लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है। लियाम शॉ नाम का ये शख्स नॉर्थ-वेस्ट इंग्लैंड के मसीर्साइड के बिरकनहेड का रहने वाला है. इसने ही ऋषि सुनक के संसदीय ईमेल पते पर दो नस्लभरे और जान से मारने की धमकी वाले मेल भेजे। इन मेल्स को सुनक के निजी सहायक ने देखा और तुरंत पुलिस को रिपोर्ट किया। ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने बताया कि शॉ ने यह मेल अपने फोन से भेजे थे।
पुलिस जांच और गिरफ्तारी
पुलिस ने जांच में पाया कि ईमेल शॉ के ईमेल पते और उस हॉस्टल से भेजे गए थे जहां वह रह रहा था। उसे तीन सितंबर 2024 को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद जब उससे आरोपों के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि मुझे याद नहीं कि मैंने मेल भेजा, शायद नशे में था। लिवरपूल पुलिस स्टेशन में पूछताछ के दौरान उसने चुप्पी साधी रही। बाद में सीपीएस ने उसके खिलाफ सार्वजनिक संचार नेटवर्क का दुरुपयोग कर आपत्तिजनक और धमकी भरे संदेश भेजने के दो मामले दर्ज किए।
अदालत का फैसला
पिछले महीने लिवरपूल मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेशी के दौरान शॉ ने दोनों आरोपों को स्वीकार कर लिया। अदालत ने उसे 14 हफ्ते की कैद की सजा सुनाई, लेकिन यह सजा 12 महीने के लिए निलंबित कर दी गई है। अदालत ने शॉ को 20 दिन का पुनर्वास कार्यक्रम पूरा करने और छह महीने के नशा मुक्ति कार्यक्रम में शामिल होने का आदेश दिया। इसके अलावा कोर्ट ने दो साल का प्रतिबंध आदेश जारी किया, जिसके तहत शॉ सुनक या उनके संसदीय कार्यालय से किसी भी प्रकार का संपर्क नहीं कर सकेगा।
लोकतंत्र पर हमला माना गया अपराध
अदालत के जज टिमोथी बॉसवेल ने सुनवाई के दौरान कहा कि अपने सांसद से सीधे संपर्क की सुविधा लोकतंत्र की आधारशिला है। लेकिन इसका दुरुपयोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए हानिकारक है। सीपीएस के वरिष्ठ अभियोजक मैथ्यू डिक्सन ने कहा कि नस्लभरी धमकियों की आज की दुनिया में कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबको है, लेकिन इस मामले में आरोपी की हरकत समाज और कानून की सीमाओं को पार कर चुकी थी। इस फैसले के साथ अदालत ने साफ कर दिया कि सार्वजनिक जीवन से जुड़े नेताओं को सुरक्षित माहौल देना लोकतंत्र की जिम्मेदारी है।