रीवा के टीकर जंगल के नीचे मौजूद बाक्साइड भंडार पर दो कंपनियों की नजर है। खनन के लिए वन भूमि आवंटन की फाइलें रीवा से भोपाल तक पहुंच चुकी हैं। यदि खदानों की स्वीकृति मिलती है तो 150 एकड़ जंगल और करीब 20 हजार पेड़ नष्ट होंगे। यह इलाका बाघ और तेंदुओं का कॉरीडोर भी है, जिससे जैव विविधता और वन्यजीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।
By: Yogesh Patel
Aug 26, 2025just now
हाइलाइट्स
रीवा, स्टार समाचार वेब
जंगल के नीचे दबी बाक्साइड पर खनिज कारोबारियो ंकी नजर गड़ गई है। दो कंपनियों ने वन भूमि को आवंटित करान के लिए जोर लगाना शुरू कर दिया है। कंपनियो की फाइल रीवा से लेकर भोपाल तक दौड़ने लगी है। यदि ऐसा हुआ तो वन सम्पदा के साथ ही जैव विविधता भी खतरे में पड़ जाएगी।
मिली जानकारी के अनुसार रीवा के टीकर में बाक्साइड की प्रचुर मात्रा मौजूद है। वन क्षेत्र के नीचे बाक्साइड का भंडार है। इस जगह पर किरण देवी वर्मा की दो खदानें 14 साल पहले सिर्फ दो हेक्टेयर में ही संचालित होती थी। लीज खत्म होने के बाद खदानें बंद हो गई थी। अब इसी बाक्साइड पर किरण देवी वर्मा की फर्म के अलावा कटनी की एक फर्म की नजर गड़ गई है। दोनों ही कंपनियों ने वन विभाग के पास वन भूमि आवंटित कराने के लिए आवेदन किया है। इनकी फाइलें रीवा से लेकर भोपाल तक दौड़ रही है। फिलहाल स्वीकृति नहीं मिली है। पूरी प्रक्रिया पाइप लाइन में है।
14 सालों में घना हो गया है जंगल, कई वन्य जीव भी रहते हैं
टीकर का जंगल काफी घना है। 14 साल पहले संचालित बाक्साइड की खदान बंद हो चुकी है। इस दौरान यहां तेजी से पौधरोपण किया गया। अब यहां जंगल काफी घना है। कई वन्यजीव भी यहां रहते हैं। शाकाहारी वन्यजीवों के अलावा बाघ और तेंदुओं का भी मूव्हमेंट यहां देखने को मिलता है। इसके अलावा यह बाघों का कॉरीडोर भी है। ऐसे में यदि खदान के लिए भूमि आवंटित होती है तो सभी को नुकसान पहुंचेगा।
हजारों पेड़ों की चढ़ जाएगी बलि
खदान के लिए यदि भूमि वन विभाग से आवंटित होती है तो 150 एकड़ भूमि में फैले जंगल को काफी नुकसान पहुंचेगा। सूत्रों की मानें तो करीब 20 हजार से अधिक पेड़ पौधे नष्ट होंगे। इसके अलावा वन्यजीवों का भी यहां से पलायन हो जाएगा। अभी यहां वन्यजीवों ने अपना बसेरा बना रखा है। खदानों के शुरू होने से यहां गाड़ियों का मूव्हमेंट होगा। आबादी बसने लगेगी। जिससे सब भी कुछ प्रभावित होगा।
150 एकड़ भूमि में लगा जंगल नष्ट हो जाएगा
मिली जानकारी के अनुसार टीकर वन क्षेत्र में कटनी की कंपनी कटनी मिनरल्स ने 28 हेक्टेयर भूमि आवंटित कराने के लिए आवेदन किया है। इसके अलावा किरण देवी वर्मा ने करीब 80 एकड़ भूमि के लिए आवेदन किया है। दोनो ही कंपनियों ने अलग अलग आवेदन किया है। इसमें किरण देवी वर्मा दो अलग अलग खदानों के लिए 40-40 एकड़ भूमि की डिमांड की है। इनकी पहले भी यहां खदान संचालित थी, जो लीज अवधि खत्म होने के कारण बंद हो गई थी। अब इसे ही रिन्यू कराना चाह रहे हैं।
एल्यूमीनियम का मुख्य अयस्क है बाक्साइड
बाक्साइड का उपयोग मुख्य रूप से एल्युमीनियम धातु के उत्पादन में होगा है। बाक्साइड काफी महंगा बिकता है। एल्युमीनियम का उपयोग सोडा कैन से लेकर हवाई जहाज तक में उपयोग किया जाता है। टीकर में बाक्साइड का खनन करने के बाद इसे उड़ीसा जैसे राज्यों में एल्युमीनियम उत्पादन के लिए भेजा जाएगा।