रीवा वन विभाग में ठेकेदार से 10% कमीशन मांगने और पूरी रकम न देने पर बिना नोटिस कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने का मामला सामने आया है। ठेकेदार के अनुसार विभाग ने बैक डेट में आदेश जारी कर अमानत राशि भी राजसात कर दी, जबकि सप्लाई जारी थी और भुगतान भी हो रहा था। RTI और शिकायतों के बाद ही नोटिस भेजा गया, जिससे विभागीय कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
By: Yogesh Patel
Dec 05, 20254:08 PM
हाइलाइट्स
रीवा, स्टार समाचार वेब
वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का गजब कारनामा सामने आया है। एक ठेकेदार के सामने भुगतान के बदले 10 फीसदी कमीशन की डिमांड रखी गई। ठेकेदार डिमांड पूरी नहीं कर पाया। नाराज अधिकारी ने कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया। इसकी भनक तक ठेकेदार को नहीं हुई। नोटिस तक जारी नहीं हुआ। इस कार्रवाई के खिलाफ ठेकेदार ने लड़ाई लड़नी शुरू की। शिकायतें की आरटीआई लगाई तो अक्टूबर में नोटिस जारी किया गया, जबकि मार्च 2025 में ही उन्हें ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था।
आपको बता दें कि वन विभाग में वानिकी कार्यों और भवन सामग्री की आपूर्ति के लिए एमपी टेंडर के माध्यम से निविदा निकाली गई थी। निविदाकार ज्योति इन्फ्रा ने इसमें हिस्सा लिया था। निविदाकार ने न्यूनतम दरें भरी थी। भवन सामग्री में कुल 46+6 आयटम सभी परिक्षेत्रों के लिए जीएसटी सहित एल वन स्तर पर न्यूनतम दर भरा था। 23 अक्टूबर 2014 को स्वीकृति प्रदान की गई थी। ज्योति इन्फ्रा ने रीवा वन क्षेत्रों में मुरुम, मिट्टी, लोहे के गेट और जालियों की सप्लाई की थी। करीब 70 से 80 लाख रुपए की सप्लाई की थी। सभी वन परिक्षेत्रों से डिमांड आने पर ठेकेदार सप्लाई करता गया और भुगतान भी होता गया। इसके बाद अप्रैल में वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने ठेकेदार को तलब किया। 10 फीसदी कमीशन की मांग की। ठेकेदार ने डेढ़ लाख वन विभाग के एक बाबू को दिए। डिमांड पूरी नहीं होने पर अधिकारी ने कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया। इसके पहले नोटिस तक नहीं जारी की गई। ठेकेदार ने इसके बाद कागजी लड़ाई लड़ी। सीसीएफ से भी मिला। शिकायत की। प्रमुख सचिव, कलेक्टर, कमिश्नर सभी को शिकायत की। सीएम हेल्पलाइन तक की। इसके बाद भी अब तक मामला निराकृत नहीं हुआ। कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के साथ ही अमानत राशि भी राजसात कर दी गई है।
इस आधार पर किया गया ब्लैक लिस्टेड
वन मंडल रीवा ने संविदाकार ज्योति इन्फ्रा के द्वारा निविदा में दर्शाए गए शर्तो और अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं किए जाने और शासकीय कार्यों के प्रति उदासीनता बरतने व शासकीय कार्य में व्यवधान उत्पन्न करने, विभाग को गुमराह करने की दृष्टि से जानबूझकर सामग्री प्रदायन किया जाकर कार्य को प्रभावित करने के आधार पर ब्लैक लिस्टेड करने की कार्रवाई की गई। डभौरा में मिट्टी सप्लाई नहीं करने का आरोप लगाया। साथ ही एफडीआर 1 लाख रुपए की राशि को भी राजसात करते हुए तीन साल के लिए ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया। जबकि सप्लाई करने के बाद कहीं भी ठेकेदार को भुगतान नहीं रोका गया था।
अप्रैल में भी सप्लाई किया गया था लोहे का गेट
ठेकेदार का कहना है कि यदि 18 मार्च को ही उनकी कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था तो फिर रेंज आफिस से उनके पास गेट सप्लाई के लिए डिमांड कैसे पहुंची। उन्होंने अप्रैल में गेट की सप्लाई की थी और वन विभाग से उन्हें भुगतान भी किया गया था। इस कार्रवाई ने विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मई में बैक डेट पर ब्लैक लिस्ट किया गया, अक्टूबर में पहुंचा नोटिस
वन विभाग के अधिकारियों का कारनामा देखिए ज्योति इन्फ्रा के ठेकेदार को अधिकारी ने अप्रैल में तलब किया। कमीशन की डिमांड की गई। इसके बाद कमीशन डिमांड के अनुसार पूरी नहीं मिली तो मई महीने में बैक डेट पर आदेश जारी कर ब्लैक लिस्टेड किया गया। 18 मार्च 2025 की डेट से आदेश जारी किया गया। जब ठेकेदार ने शिकायतें की और सीएम हेल्पलाइन लगाई, आरटीआई से जानकारी मांगी तो खलबली मची। इसके बाद अक्टूबर 2025 में नोटिस ठेकेदार को जारी किया गया।
ब्लैक लिस्टेड करने की डेट के बाद बैठक में निर्णय का जिक्र
ज्योति इन्फ्रा के ठेकेदार पवन तिवारी का कहना है कि कंपनी को 18 मार्च की डेट से ब्लैक लिस्टेड किया गया। जब आरटीआई और सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की गई तो जवाब में बताया गया कि बैठक में निर्णय के बाद कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया गया। उन्होंने बताया कि 18 मार्च 2025 की डेट से ब्लैक लिस्टेड किया गया और उसके बाद 24 मार्च को बैठक का जिक्र किया गया है।
हां उनका मामला सामने आया था। उन्होंने प्रजेंटेशन दिया था। उनका प्रकरण डीएफओ के पास भेज दिया गया था। कुछ अनमानत राशि का मामला था। अब उसमें क्या हुआ। इसकी जानकारी लेनी होगी। पैसों के लेन देन की जानकारी नहीं है। ब्लैक लिस्टेड क्यों किया कुछ न कुछ तो होगा, इसलिए कार्रवाई की गई। ऐसे ही तो कोई कार्रवाई नहीं करता।
राजेश कुमार राय, सीसीएफ, रीवा