रीवा के श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में पीजी काउंसलिंग शुरू होने से पहले प्रवेश और स्क्रूटनी कमेटी की गठन सूची विवादों में आ गई है। कॉलेज में पर्याप्त प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर होने के बावजूद एक डिमॉन्स्ट्रेटर को नियमों के विपरीत लगातार कमेटी में जगह दी गई है। डॉक्टरों की आपत्तियों के बावजूद नाम में बदलाव नहीं हुआ, जिससे पारदर्शिता और शासन के दिशा-निर्देशों पर सवाल खड़े हो गए हैं।
By: Yogesh Patel
Dec 05, 20254:03 PM
हाइलाइट्स
रीवा, स्टार समाचार वेब
ऑल इंडिया कोटे की काउंसलिंग का पहला राउंड बिना छात्रों के आए ही खत्म हो गया। अब शुक्रवार से पीजी सीटों पर स्टेट लेबिल की काउंसलिंग शुरू हो रही है। इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने प्रवेश और स्क्रूटनी कमेटी गठित कर दी है। इस प्रवेश कमेटी में शामिल सदस्यों की योग्यता पर सवाल खड़े हो गए हैं। कॉलेज में प्रोफेसर, असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर की भरमार है फिर भी नियम विरुद्ध तरीके से एक डिमांस्टेÑटर को सालों से कमेटी में शामिल किया जा रहा है। इस पर आपत्ति भी डॉक्टरों ने उठाई लेकिन नजर अंदाज कर दिया गया।
श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में कुछ भी संभव है। यहां एमबीबीएस की सीटों पर प्रवेश में बड़े घोटाले हो चुके हैं। हाल ही में दो छात्र फिर पकड़े गए। अब पीजी की काउंसलिंग शुरू हो रही है। इस काउंसलिंग के शुरू होने के पहले मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने प्रवेश और स्कू्रटनी कमेटी की लिस्ट जारी कर दी है। कमेटी का गठन कर दिया गया है। यह कमेटी सालों से नहीं बदली सिर्फ डीन की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति ही बदलता है। इस बार भी वही पुरानी कमेटी के सदस्यों को रिपीट किया गया है। इसमें सबसे बड़ी खामी यह है कि एक डिमांस्टेÑटर को शामिल किया गया है। एनएमसी की गाइड लाइन में यह नाम फिट नहीं बैठता। इसके बाद भी नियमों को ताक पर रखकर डिमांस्टेÑटर डॉ सुनील कुमार वर्मा को भी प्रवेश समिति में सदस्य एवं आरक्षित श्रेणी प्रतिनिधि के रूप में शामिल किया गया है। आरक्षित श्रेणी में कई डॉक्टर कॉलेज में मौजूद हैं, फिर भी उन्हें कभी जगह नहीं दी गई। इस पर फार्मेकोलॉजी विभाग के कई चिकित्सकों ने आपत्ति भी दर्ज की। इसके बाद भी नाम में बदलाव नहीं किया गया।
प्रवेश कमेटी में चार सदस्य शामिल
नीट पीजी 2025 से चयनित ऑल इंडिया और स्टेट कोटा के अभ्यर्थियों की काउंसलिंग में प्रवेश और आवंटन के लिए प्रवेश कमेटी का गठन किया गया है। इसमें डीन डॉ सुनील अग्रवाल, डॅ नीरा मराठे कम्प्यूनिटी मेडिसिन एचओडी और नोडल अधिकारी छात्र शाखा, डॉ जगन्नाथ जाटव सह प्राध्यापक पैथॉलाजी विभाग शामिल है। इसके अलावा डॉ सुशील कुमार वर्मा प्रदर्शक पैथॉलाजी विभाग को भी शामिल किया गया है। जबकि डिमांस्टेÑटर जैसा पद भी अब खत्म कर दिया गया है। इसके बाद भी कमेटी में डिमांस्टेÑटर को जगह दी गई है। सहायक प्राध्यापक को भी कमेटी में जगह नहीं दी गई है।
1 दिन के 1200 रुपए मिलते हैं
पीजी और यूजी काउंसलिंग में हर दिन के हिसाब से मानदेय दिया जाता है। इसमें जो भी कमेटी में शामिल होते हैं। उन्हें एनएमसी की गाइड लाइन के हिसाब से जिस दिन काउंसलिंग होती है। उस दिन का 1200 रुपए भुगतान किया जाता है। इस 1200 रुपए का फायदा कुछ ही चुनिंदा लोगों को हर सालों से मिल रहा है। इसके अलावा किसी और का नंबर ही नहीं लगा। चिन्हित लोगों के कमेटी में शामिल होने से काउंसलिंग की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।