एंटरटेंमेंट डेस्क, स्टार समाचार वेब
इमरान हाशमी और यामी गौतम की नई फिल्म ‘हक’ को लेकर चल रहे विवाद के बीच अब हिंदू उत्सव समिति भी फिल्म के समर्थन में सामने आई है। समिति के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी का कहना है कि यह फिल्म समाज के सामने एक सच्चाई को उजागर करती है। इसमें शाहबानो प्रकरण के जरिए दिखाया गया है कि कैसे तीन तलाक की परंपरा ने मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों और सम्मान को प्रभावित किया।
चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि “फिल्म ‘हक’ में शाहबानो केस को जिस रूप में प्रस्तुत किया गया है, वह ऐतिहासिक सच्चाई पर आधारित है। उस समय राजीव गांधी सरकार ने संसद में विधेयक लाकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पलट दिया था। फिल्म यह दिखाती है कि तीन तलाक जैसी प्रथा ने महिलाओं को मानसिक और सामाजिक रूप से कितना कष्ट दिया।”
उन्होंने आगे कहा कि हिंदू उत्सव समिति और संस्कृति बचाओ मंच मुस्लिम महिलाओं से अपील करते हैं कि वे इस फिल्म को अवश्य देखें, ताकि वे समझ सकें कि किस प्रकार तीन तलाक और हलाला जैसी प्रक्रियाएं महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाती रही हैं।
तिवारी के अनुसार, यह फिल्म केवल मुस्लिम महिलाओं के लिए ही नहीं बल्कि हिंदू समाज के लिए भी एक संदेश लेकर आई है। उन्होंने कहा कि “सनातन धर्म में विवाह सात जन्मों का बंधन माना गया है, जबकि फिल्म में दिखाया गया है कि कुछ परंपराओं में स्त्री को मात्र भोग की वस्तु समझा गया।”
कोर्ट ने नहीं रोकी फिल्म की रिलीज
फिल्म ‘हक’ को लेकर शाहबानो बेगम की बेटी सिद्दीका बेगम खान ने इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर रिलीज रोकने की मांग की थी। हालांकि, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने यह याचिका खारिज करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति की निजता और प्रतिष्ठा का अधिकार उसकी मृत्यु के साथ समाप्त हो जाता है।
जस्टिस प्रणय वर्मा ने अपने आदेश में कहा कि “जब व्यक्ति जीवित नहीं रहता तो उसकी प्राइवेसी और प्रतिष्ठा का अधिकार भी समाप्त हो जाता है।” इसके साथ ही कोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
फिल्म निर्माता का बयान
फिल्म के निर्माताओं जंगली पिक्चर्स की ओर से अधिवक्ता अजय बागड़िया और ऋतिक गुप्ता ने कोर्ट में बताया कि ‘हक’ कोई बायोपिक नहीं, बल्कि यह अंग्रेजी किताब ‘बानोः भारत की बेटी’ से प्रेरित एक काल्पनिक कहानी है। उनका कहना है कि फिल्म का उद्देश्य किसी व्यक्ति या समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के अधिकारों और सम्मान के लिए जागरूकता बढ़ाने का प्रयास है।
शाहबानो केस और फिल्म ‘हक’ का संबंध
फिल्म ‘हक’ की कहानी 1985 के प्रसिद्ध शाहबानो केस से प्रेरित है। यह वही प्रकरण था जिसने तत्कालीन राजीव गांधी सरकार को धार्मिक दबाव में आकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटने और मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक लाने पर मजबूर कर दिया था।
इस घटना ने भारतीय राजनीति में बड़े बदलाव की नींव रखी, जिसके बाद राम मंदिर आंदोलन जैसी घटनाएं भी सामने आईं।
फिल्म रिव्यू – ‘हक’ कैसी है यह मूवी?
फिल्म ‘हक’ के निर्माता शुरू से ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि यह जिग्ना वोरा की किताब ‘बानो भारत की बेटी’ से प्रेरित एक फिक्शनल अडेप्टेशन है। निर्देशक सुपर्ण वर्मा ने इस संवेदनशील विषय को बेहद संतुलित ढंग से पेश किया है। फिल्म में धर्म, समाज और कानून के बीच महिला के अधिकारों की जंग को भावनात्मक रूप से दिखाया गया है। फिल्म यह एहसास कराती है कि यह कहानी सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि उस संघर्ष की प्रतीक है जो पीढ़ियों से महिलाएं झेलती आ रही हैं






