स्वास्थ्य मंत्रालय ने 100 mg से अधिक नाइमेसुलाइड के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। जानें इस पेनकिलर से लिवर और किडनी को होने वाले नुकसान और बैन की पूरी वजह।
By: Ajay Tiwari
Dec 31, 20253:32 PM
नई दिल्ली: स्टार समाचार वेब
आम जनता के स्वास्थ्य की सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए केंद्र सरकार ने दर्द निवारक दवा 'नाइमेसुलाइड' (Nimesulide) के उच्च डोज वाले वेरिएंट्स पर सख्त कदम उठाया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 100 mg से अधिक क्षमता वाली नाइमेसुलाइड की ओरल दवाओं (गोलियों और सिरप) के निर्माण, बिक्री और वितरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। सरकार ने यह फैसला ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 26A के तहत सुरक्षित विकल्पों की उपलब्धता को देखते हुए लिया है।
धारा 26A: इस कानून के तहत सरकार ने दवा पर रोक लगाई।
लिवर सुरक्षा: उच्च डोज से लिवर डैमेज होने का खतरा।
तत्काल प्रभाव: पूरे देश में निर्माण और वितरण पर रोक लागू।
डॉक्टरी सलाह: हमेशा विशेषज्ञ के परामर्श के बाद ही दवा लें।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक नोटिफिकेशन के अनुसार, 100 mg से ज्यादा की नाइमेसुलाइड खुराक इंसानों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकती है। यह दवा नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग (NSAID) की श्रेणी में आती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस दवा का अधिक मात्रा में सेवन लिवर टॉक्सिसिटी (लिवर में जहर फैलना) का कारण बन सकता है। 'ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड' (DTAB) की सिफारिशों के बाद, सरकार ने माना कि इस दवा के साइड इफेक्ट्स इसके फायदों की तुलना में कहीं अधिक घातक हैं।
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हेल्थ मिनिस्ट्री ने यह कदम पेनकिलर दवाओं के बढ़ते दुरुपयोग और उससे होने वाले शारीरिक नुकसान को देखते हुए उठाया है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, पेनकिलर्स की हैवी डोज न केवल लिवर बल्कि किडनी पर भी बुरा असर डालती है। लंबे समय तक बिना डॉक्टरी परामर्श के ऐसी दवाओं का सेवन अंगों के फेल होने का कारण बन सकता है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि बाजार में नाइमेसुलाइड के कई सुरक्षित विकल्प पहले से मौजूद हैं, इसलिए जोखिम भरी दवाओं के उपयोग को बंद करना ही जनहित में है।