भारतीय नौसेना ने 40 वर्षों तक समुद्री सुरक्षा में अहम भूमिका निभाने वाली पनडुब्बी INS सिंधुघोष को मुंबई में भव्य समारोह के साथ सेवामुक्त किया।
By: Ajay Tiwari
Dec 21, 20255:02 PM
नई दिल्ली. स्टार समाचार वेब
भारतीय नौसेना की प्रतिष्ठित पनडुब्बी INS सिंधुघोष को औपचारिक रूप से सेवामुक्त कर दिया गया। लगभग चार दशकों तक देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा करने वाली यह पनडुब्बी पश्चिमी नौसेना कमान की प्रमुख इकाई रही। मुंबई स्थित नौसेना डॉकयार्ड में सूर्यास्त के समय आयोजित डिकमीशनिंग समारोह के दौरान इसे विदाई दी गई।
यह समारोह पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन, SVSM, VSM की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ। इस अवसर पर नौसेना के इतिहास में INS सिंधुघोष के अमूल्य योगदान को भावपूर्ण ढंग से याद किया गया।
पश्चिमी नौसेना कमान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर पोस्ट करते हुए कहा कि INS सिंधुघोष ने चार दशकों तक भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई। नौसेना के अनुसार, यह पनडुब्बी न केवल तकनीकी दृष्टि से बल्कि रणनीतिक रूप से भी भारतीय नौसेना की एक ऐतिहासिक धरोहर रही है।
INS सिंधुघोष को सेवामुक्त किए जाने के समय इसकी कमान लेफ्टिनेंट कमांडर रजत शर्मा के हाथों में थी। वहीं, इस पनडुब्बी को 30 अप्रैल 1986 को दिवंगत कमांडर केसी वर्गीज के नेतृत्व में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।
INS सिंधुघोष के डिकमीशनिंग समारोह को विशेष बनाने के लिए पनडुब्बी के दूसरे कमांडिंग ऑफिसर रहे कैप्टन के. आर. अजरेकर (सेवानिवृत) को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया।
इसके अलावा, भारतीय नौसेना के पूर्व प्रमुख एडमिरल वी. एस. शेखावत (सेवानिवृत), कई वरिष्ठ फ्लैग ऑफिसर, पूर्व कमांडिंग ऑफिसर, कमीशनिंग क्रू के सदस्य, नौसेना वेटरन्स और अन्य विशिष्ट अतिथि भी इस भावुक क्षण के साक्षी बने।
INS सिंधुघोष एक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी थी, जिसका प्रमुख कार्य दुश्मन की गतिविधियों पर गुप्त निगरानी रखना था। यह पनडुब्बी लंबे समय तक समंदर की गहराइयों में रहकर खुफिया सूचनाएं जुटाने और संवेदनशील समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा में सक्षम थी।
अपनी सेवा अवधि के दौरान INS सिंधुघोष ने कई महत्वपूर्ण मिशनों में हिस्सा लिया, जिनमें समुद्री गश्त, युद्धाभ्यास, युद्धकालीन तैनाती और दुश्मन की पनडुब्बियों के खिलाफ अभियान शामिल रहे। इसने भारतीय नौसेना की अंडरवॉटर वारफेयर क्षमताओं को नई मजबूती प्रदान की।
चार दशकों की निष्कलंक सेवा के बाद INS सिंधुघोष का सेवामुक्त होना भारतीय नौसेना के लिए एक भावनात्मक लेकिन गौरवपूर्ण क्षण है। यह पनडुब्बी आने वाली पीढ़ियों के नौसैनिकों के लिए प्रेरणा और साहस का प्रतीक बनी रहेगी।