सतना में मेयर योगेश ताम्रकार ने वार्ड 14 में 49 लाख से बन रही नाली की गुणवत्ता जांचते समय पैर से ठोकर मारी तो पूरी नाली टूटकर गिर गई। डस्ट और कम सीमेंट से बने इस घटिया निर्माण कार्य को देख मेयर ने संविदाकार व इंजीनियर को फटकार लगाते हुए काम दोबारा करने के आदेश दिए।
By: Yogesh Patel
Sep 22, 2025just now
हाइलाइट्स
सतना, स्टार समाचार वेब
शहर में चल रहे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता परखने निकले महापौर योगेश ताम्रकार ने रविवार को नगरीय क्षेत्र के वार्ड क्रं. 14 के गणेश नगर में डा. भीमराव अम्बेडकर पार्क के समीप चल रहे नाली निर्माण के कार्य का निरीक्षण किया। इस दौरान महापौर ने पाया कि मौके पर बन रही नाली के निर्माण कार्य में संविदाकार द्वारा न तो बेस डाला गया है और न ही निर्धारित मात्रा में सीमेंट का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने निर्माणाधीन नाली को अपने पैर से एक ठोकर मारी, ठोकर लगते ही नाली भरभरा कर धराशाई हो गई। यहां उल्लेखनीय है कि 49 लाख 29 हजार 342 रुपए की लागत से नाली का निर्माण कराया जा रहा है।
डस्ट का हो रहा था उपयोग
महापौर की एक ठोकर से नाली के गिरने से जहां उसकी गुणवत्ता अपने आप सामने आ गई वहीं मौके पर ही नाली निर्माण में डस्ट का उपयोग पाया गया है। डस्ट मिलाकर बनाई जा रही घटिया स्तर की नाली को देखकर महापौर ने संविदाकार प्रशांत शुक्ला एवं उपयंत्री हेम सिंह अजनार को फोन पर जमकर फटकार लगाई और निर्माण कार्य नए सिरे से दोबारा करने के निर्देश दिए। इस दौरान वार्ड के पार्षद तिलकराज सोनी भी मौजूद रहे। यहां उल्लेखनीय है कि नाली निर्माण गुणवत्ता विहीन किए जाने की शिकायत स्थानीय लोगों द्वारा लगातार की जा रही थी। जिसे गंभीरता से लेते हुए महापौर योगेश ताम्रकार रविवार को निर्माण कार्य की गुणवत्ता परखने मौके पर पहुंच गए।
32 फीसदी कम एसओआर पर है काम
निर्माण कार्य गुणवत्तापूर्ण कैसे होगा जबकि नाली निर्माण के कार्य का ठेका 31.99 फीसदी कम एसओआर रेट पर संविदाकार प्रशांत शुक्ला ने ले रखा है। मेसर्स शुक्ला कांस्टेÑक्शन इकलौती ऐसी संविदा एजेंसी नहीं है जिसने इतने कम एसओआर पर नगर निगम में चल रहे निर्माण कार्यों का टेंडर ले रखा है। ऐसी कई संविदा एजेंसियां हैं जिन्होंने शहर में चल रहे निर्माण कार्य 25 से 30 फीसदी कम एसओआर पर ले रखा है। ऐसे में किसी भी संविदा एजेंसी से गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य की उम्मीद बेमानी है। लोगों की मांग है कि 15 से 20 फीसदी कम एसओआर पर चल रहे सभी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की व्यापक स्तर पर जांच कराई जानी चाहिए। यदि इन सभी कार्यों की ईमानदारी के साथ जांच हो गई तो सभी कार्यों में गड़बड़ी अपने आप सामने आ जाएगी।