मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 'एमपी ई-सेवा पोर्टल' लॉन्च किया। 56 विभागों की 1700 से अधिक सेवाएँ एक ही ऐप पर। 2026 तक 100% ई-सेवा डिलीवरी का लक्ष्य। पेपरलेस, फेसलेस, और समग्र पोर्टल से एकीकृत सेवाएँ।
By: Ajay Tiwari
Nov 02, 20257:07 PM
भोपाल. स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश ने अपने स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा ‘एमपी ई-सेवा पोर्टल और मोबाइल ऐप’ के शुभारंभ के साथ डिजिटल गवर्नेंस के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह एकीकृत नागरिक सेवा मंच अब राज्य के 56 विभागों की 1700 से अधिक सरकारी सेवाओं और योजनाओं को एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ला रहा है, जो नागरिकों के लिए अभूतपूर्व सुविधा प्रदान करेगा।
‘एमपी ई-सेवा’ का मुख्य लक्ष्य वर्ष 2026 तक राज्य में 100% ई-सेवा डिलीवरी सुनिश्चित करना है। इस पहल का उद्देश्य मध्यप्रदेश को देश के डिजिटल गवर्नेंस सक्षम राज्यों में अग्रणी बनाना है। इस पोर्टल को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम (MPSDC) के सेंटर फॉर एक्सीलेंस द्वारा विकसित किया गया है। यह नागरिकों, विभागों और सेवाओं को एक ही डिजिटल ईको-सिस्टम में जोड़कर यह प्रमाणित करता है कि डिजिटल गवर्नेंस ही गुड गवर्नेंस है।
एक पोर्टल, सभी सेवाएँ: राज्य शासन के 56 विभागों की 1700 से अधिक नागरिक सेवाओं का एकीकरण किया गया है।
सरल पहुँच: नागरिक eseva.mp.gov.in और मोबाइल ऐप (एंड्रॉइड व iOS) के माध्यम से सभी सेवाओं के लिए पात्रता जांच, आवेदन, स्टेटस चैक और अनुमोदन प्राप्त कर सकते हैं।
पेपरलेस और फेसलेस प्रक्रिया: सभी प्रक्रियाएँ आधार आधारित प्रमाणीकरण, ई-साइन और डिजिटल प्रमाणपत्र से सुरक्षित हैं, जिससे यह पूरी तरह पेपरलेस और फेसलेस बन गई है।
‘एमपी ई-सेवा’ को समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन के समग्र पोर्टल से जोड़ा गया है।
ऑटो-वेरिफिकेशन: यह एकीकरण ऑटो-वेरिफिकेशन प्रक्रिया को सक्षम बनाता है, जिससे पात्रता की पहचान स्वतः ही हो जाती है और दोहराव या देरी नहीं होती।
ऑटो-फेचिंग डॉक्युमेंट्स: यह एक प्रमुख विशेषता है, जिसके तहत नागरिकों को बार-बार दस्तावेज़ अपलोड नहीं करने पड़ते। एक बार अपलोड किए गए दस्तावेज़ आगे की सभी सेवाओं में स्वतः उपलब्ध हो जाते हैं।
‘एमपी ई-सेवा’ पोर्टल का इंटरफ़ेस मोबाइल-फर्स्ट दृष्टिकोण पर आधारित है। इसमें बहुभाषीय सुविधा उपलब्ध है और इसे दिव्यांगजन के अनुप्रयोग को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है। इससे शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों के उपयोगकर्ताओं के लिए इसका उपयोग बेहद आसान हो जाएगा।
आर्थिक और समय की बचत:
प्रारंभिक मूल्यांकन के अनुसार, इस पहल से गवर्नेंस लागत में लगभग 40 प्रतिशत की कमी आएगी, साथ ही वर्ष भर में नागरिकों के 50 मिलियन घंटों की भी बचत होगी।
सितम्बर 2025 की राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा - वितरण आकलन (एनईएसडीए वे फॉरवर्ड ) रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश ने 1752 ई-सेवाओं को मैप किया है और सभी 56 अनिवार्य विभागीय सेवाओं को ‘एमपी ई-सेवा’ पोर्टल में 100% इंटीग्रेट कर देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। राज्य को पहले ही ‘सायबर तहसील’ के लिए प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार और ‘संपदा 2.0’ के लिए राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस स्वर्ण पुरस्कार मिल चुके हैं।