मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में निषादराज सम्मेलन में घोषणा की कि मत्स्य पालन को उद्योग का दर्जा दिया जाएगा, जिससे इसे अन्य उद्योगों की तरह सुविधाएं मिलेंगी। उन्होंने मध्य प्रदेश को देश का नंबर वन मछली उत्पादक राज्य बनाने का संकल्प लिया, साथ ही ₹92 करोड़ की केज परियोजना और ₹40 करोड़ के एक्वा पार्क का शिलान्यास भी किया।
By: Star News
Jul 12, 202515 hours ago
उज्जैन. स्टार समाचार वेब
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को उज्जैन स्थित कालिदास संस्कृत अकादमी परिसर में आयोजित राज्य स्तरीय निषादराज सम्मेलन एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम में एक बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन को अब उद्योग का दर्जा दिया जाएगा, जिससे इसे अन्य उद्योगों की तरह सभी सुविधाएं मिलेंगी। मुख्यमंत्री ने मध्य प्रदेश को मत्स्य उत्पादन में देश का नंबर वन राज्य बनाने का संकल्प भी लिया।
प्रमुख घोषणाएं और परियोजनाएं:
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने लगभग ₹92 करोड़ की लागत से इंदिरा सागर बांध में 3360 केज परियोजना का वर्चुअल भूमि-पूजन किया। साथ ही, ₹22 करोड़ 65 लाख की लागत से 453 स्मार्ट फिश पार्लर का भूमि-पूजन भी किया गया। उन्होंने बताया कि भोपाल में ₹40 करोड़ की लागत से अत्याधुनिक एक्वा पार्क (मछलीघर) का निर्माण किया जा रहा है।
मछुआ समुदाय के उत्थान पर जोर
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपने संबोधन की शुरुआत भगवान श्रीराम के मित्र महाराज निषादराज को याद करते हुए की, जिन्होंने सबसे पहले श्रीराम की प्रभुता को पहचाना था। उन्होंने मछुआ समुदाय के साहस की सराहना करते हुए कहा कि वे अपने जीवन को खतरे में डालकर पानी में खेती करते हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मछुआ कल्याण बोर्ड के माध्यम से कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। उन्होंने मछुआरा समुदाय को बेहतर जीवन के लिए प्रेरित किया।
आधुनिकता और विस्तार
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब मछली पालन सिर्फ पारंपरिक कार्य नहीं, बल्कि एक आधुनिक उद्योग है, जिसमें निवेश बढ़ने और युवाओं को रोजगार मिलने की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश में सिंचाई का रकबा पिछली सरकार के 7 लाख हेक्टेयर से बढ़कर अब 55 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जिसका लाभ मछुआरों को भी मिल रहा है। पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) लिंक परियोजना से यह रकबा 100 लाख हेक्टेयर तक पहुंचेगा। उन्होंने इंदिरा सागर सहित अन्य जलाशयों में 3 लाख से अधिक केज स्थापित करने की बात कही।
मछली बीज उत्पादन का विस्तार:
डॉ. यादव ने बताया कि ₹217 करोड़ की लागत से मछली बीज उत्पादन के लिए आधुनिक हैचरी का निर्माण किया जाएगा, जिससे बीज के लिए बंगाल पर निर्भरता खत्म होगी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार दूध उत्पादन और मत्स्य उत्पादन दोनों में प्रदेश को अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में काम कर रही है। मछली पालन क्षेत्र में आधुनिक मशीनों का उपयोग और स्टार्टअप भी शुरू हो रहे हैं। मछुआरों को आइस बॉक्स लगी 430 मोटरसाइकिलें भी बांटी गई हैं। वर्तमान में प्रदेश में 4.4 लाख हेक्टेयर में मछली पालन हो रहा है, और वर्ष 2024-25 में उत्पादन 3.81 लाख मैट्रिक टन रहा।