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MP Promotion Rules 2025: SAPAKS ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, 12 नवंबर को HC जबलपुर में सुनवाई

SAPAKS ने मध्य प्रदेश पदोन्नति नियम 2025 का विरोध शुरू किया। संगठन का तर्क है कि नए नियमों में सामान्य वर्ग के हितों की अनदेखी की गई है और पुराने, खारिज प्रावधानों को दोहराया गया है। जाने पूरा मामला और 12 नवंबर की सुनवाई पर SAPAKS का रुख।

By: Ajay Tiwari

Nov 03, 20257:24 PM

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MP Promotion Rules 2025: SAPAKS ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, 12 नवंबर को HC जबलपुर में सुनवाई

हाइलाइट्स

  • मध्य प्रदेश पदोन्नति नियम 2025
  • SAPAKS ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा
  • उच्च न्यायालय में सुनवाई पर सपाक्स का रूख

भोपाल. स्टार समाचार वेब

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लागू किए गए पदोन्नति नियम 2025 के विरोध में सामान्य, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक अधिकारी-कर्मचारी संस्था (SAPAKS) ने कड़ा रुख अपना लिया है। SAPAKS ने सरकार के उस निर्णय पर आपत्ति जताई है, जिसके तहत पूर्व में गलत नियमों के आधार पर पदोन्नत हुए कर्मचारियों को अब पदावनत (Demotion) नहीं किया जाएगा।

SAPAKS की ओर से 12 नवंबर को जबलपुर हाईकोर्ट में सरकार के इन नए नियमों को चुनौती दी जाएगी। संगठन का मुख्य तर्क यह है कि चूँकि वर्ष 2002 के पुराने पदोन्नति नियमों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही रद्द किया जा चुका है, इसलिए उन्हीं प्रावधानों को नए नियमों में दोहराकर पदोन्नति देना न्यायसंगत नहीं है।

SAPAKS के संस्थापक अध्यक्ष केपीएस तोमर ने आरोप लगाया है कि नए नियमों में सामान्य वर्ग के हितों की अनदेखी की गई है। उनका कहना है कि पुराने, खारिज किए गए प्रावधानों को नए नियम में भी शामिल किया गया है। इससे पहले, हाईकोर्ट ने उन कर्मचारियों को पदावनत करने का आदेश दिया था जिनकी पदोन्नति पुराने, त्रुटिपूर्ण नियमों के तहत हुई थी।

हालांकि, राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के इस पदावनति आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद यथास्थिति (Status Quo) बनाए रखने का निर्देश मिला था। इसका मतलब था कि उस समय न तो कोई नई पदोन्नति हो सकती थी और न ही किसी को पदावनत किया जा सकता था। SAPAKS का विरोध इस बात पर भी है कि सरकार ने लंबित याचिका वापस लेने के बजाय, नए MP पदोन्नति नियम 2025 लागू कर दिए हैं, जिनमें न तो क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान है और न ही पुराने पदोन्नत कर्मचारियों को पदावनत करने का नियम।

SAPAKS ने सरकार द्वारा प्रतिनिधित्व डेटा की प्रस्तुति को भी त्रुटिपूर्ण बताया है। उनका कहना है कि आरक्षित वर्ग के वे अधिकारी, जिन्हें अनारक्षित (General) श्रेणी में पदोन्नत किया गया है, उन्हें भी सामान्य वर्ग में गिना गया है, जबकि उनकी मूल नियुक्ति आरक्षित श्रेणी में हुई थी। इससे संवर्ग की वास्तविक गणना और आरक्षण का प्रतिनिधित्व प्रभावित हुआ है।

इन कानूनी चुनौतियों के बीच, मुख्य सचिव अनुराग जैन ने सभी विभागों को पदोन्नति की तैयारी रखने के निर्देश दिए हैं। यदि यह कानूनी विवाद नवंबर माह में सुलझ जाता है, तो संभावना है कि इस वर्ष के अंत तक पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

SAPAKS ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह हाईकोर्ट में अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के आदेशों और समान अवसर के सिद्धांतों के आधार पर मजबूती से रखेगा। संगठन का कहना है कि न्याय और समानता के लिए उनका यह संघर्ष जारी रहेगा।

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