पन्ना जिले में कांग्रेस नेता श्रीकांत दीक्षित और ग्राम सुनहरा के कई आदिवासी परिवारों को प्रशासन द्वारा उनके पुश्तैनी घरों पर कब्जे को अवैध बताकर नोटिस थमा दिए गए हैं। बताया जा रहा है कि यह कार्यवाही राजनैतिक प्रतिशोध की भावना से प्रेरित है। ग्राम पंचायत व स्थानीय निवासियों ने इस कार्यवाही को अन्यायपूर्ण बताते हुए विरोध जताया है।
By: Yogesh Patel
Jul 29, 20259:27 PM
हाइलाइट्स
पन्ना, स्टार समाचार वेब
जिला प्रशासन द्वारा इन दिनों नोटिस देकर लोगों को भयभीत किया जा रहा है। इतना ही नहीं अब तो जिले में राजनैतिक द्वेश के चलते भी प्रशासनिक कार्यवाहियों को दौर चल पड़ा है। विगत दिनों शहर के बायपास मार्ग पर स्थित कांग्रेस नेता श्रीकांत दीक्षित की निजी भूमि को शासकीय घोषित करने की कार्यवाही की गई, जिसके खिलाफ श्रीकांत दीक्षित ने न्यायालय का रूख किया और न्यायालय ने उन्हें राहत देते हुए त्वरित स्थगन आदेश दिया। कलेक्टर के आदेश पर रोक के बाद प्रशासन ने बदले की कार्यवाही शुरू कर दी है। अब पुन: कांग्रेस नेता श्रीकांत दीक्षित को घेरने की मंशा के साथ सुनहरा स्थित उनके पुश्तैनी भवन को अवैध बताते हुए नोटिस दिया गया है। श्री दीक्षित के साथ सुनहरा ग्राम पंचायत के सरपंच आशाराम गोंड, लम्पू प्रसाद पिता रजुवा गौड़, बालकिशन पिता महिया, श्रीमती सुमित्रा बेवा रामललाल गौंड, रामदीन पाल, बेटू पाल समेत कई आदिवासी और गरीब परिवारों के 12 ग्रामीणों को भी नोटिस मिले हैं। बताया जाता है कि तहसीलदार पन्ना द्वारा सुनहरा ग्राम की जिस आराजी क्रमांक 691 में भू-राजस्व संहिता की धारा 248 के नोटिस दिए गए हैं, वहां करीब 300 घर बने हुए हैं। लेकिन नोटिस महज 10-12 लोगों को ही मिले हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि मामला राजनीति से प्रेरित है। बताया जाता है कि प्रशासन द्वारा अनन-फानन में की गई कार्यवाही के चलते सुनहरा ग्राम की आराजी क्रमांक 691 पर नोटिस तो दे दिया गया, जबकि उक्त भूमि का पहले ही बटांकन हो चुका है, श्रीकांत दीक्षित व अन्य आदिवासी इसी बटांकन आराजी क्रमांक 691/2 में काविज है, जो आबादी भूमि दर्ज है। लेकिन तहसीलदार पन्ना के नोटिस में संपूर्ण खसरा नम्बर नोटिस दिया गया है। इस संबंध में गांव के सरपंच ने बताया कि गांव में कई पीढ़ियों से लोग अपने घर बना कर रह रहे हैं, पंचायत की आराजी क्रमांक 691/2 आबादी घोषित है और शेष आबादी क्षेत्र को आबादी घोषित करने का प्रस्ताव भी दिया जा चुका है। आराजी क्षेत्र में अधिकांश आदिवासी ग्रामीण हैं, यदि आदिवासी वर्ग के लोग गांव की आबादी भूमि पर निवास नहीं करेंगे तो फिर कहां करेंगे। उन्होंने कहा कि यह कार्यवाही बेहद गलत ढ़ंग से की जा रही है।
प्रशासन मेरे खिलाफ जबरन की कार्यवाही कर रहा है, पहले निजी भूमि को शासकीय किया गया, अब पुन: परेशान करने की मंशा के साथ मेरी पुश्तैनी भवन को लेकर भी नोटिस दिया गया है। मेरे परिवार के अलावा गांव के आदिवासी ग्रामीणों को भी परेशान किया जा रहा है। जिला प्रशासन यह सब राजनैतिक दबाब के चलते कर रहा है। प्रशासन मेरा नुकसान करने के चक्कर में आम आदिवासियों को भी निशाना बना रहा है, जो पूरी तरह से गलत है।
श्रीकांत दीक्षित, प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य
मुझे जानकारी नहीं हैं, नोटिस दिए गए होंगे, यदि सब को नोटिस नहीं दिए गए तो कोई गलत नहीं हैं, कहां कौन अवैध रूप से रह रहा है, इसके बारे में मैं नहीं बता सकता, यहां सब जांच की बात है।
अखिलेश प्रजापति, तहसीलदार