रीवा शहर में भवन अनुज्ञा लेने के बाद भी बिल्डर्स ने नियमों की अनदेखी कर मनमाना निर्माण किया। मॉडल रोड सहित कई क्षेत्रों में एमओएस और एफएआर का उल्लंघन कर बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर दी गईं। निगम की निष्क्रियता से 80% से अधिक भवनों में सुरक्षा और नियमों का खुला उल्लंघन हुआ है।
By: Star News
Jul 05, 20253:25 PM
बिल्डर्स ने सारे नियम कायदों को कर दिया नींव में दफन
रीवा, स्टार समाचार वेब
शहर में भवन और मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में प्रशासनिक उदासीनता के चलते लोगों ने मनमानी निर्माण कर सारे नियम कायदों को नींव में दफन कर डाला। यह काला सच हाल में शुरू किए कंपाउंडिंग अभियान में सामने आ रहा है। नगर निगम अधिनियम और टीएनसीपी के नियमों के साथ सबसे अधिक खिलवाड़ शहर के बीच से निकली मॉडल रोड पर किया गया है। सड़क के दोनों तरफ खड़ी हो चुकी बहुमंजिला इमारतों के सामने यानी फ्रंट पर सीधा-सीधा एमओएस का उल्लंघन किया गया है। किसी ने बेसमेंट बनाया भी है तो उसके अंदर गाड़ियां ही नहीं घुस पाती हैं।
फलस्वरूप यहां पहुंचने वाले ग्राहकों के वाहन सड़क पर खड़े होते हैं। कमोवेश यही स्थिति शिल्पी प्लाजा से मार्तण्ड तिराहे के बीच बन चुकी मल्टी स्टोरी के बिल्डिंग के बिल्डर्स ने भी निगम प्रशासन के सामने पैदा कर दी है। इस अभियान के बाद अब जिस तरह से भवन अनुज्ञा के नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं उसमें कम्पाउंडिंग करके मामले को रफा-दफा करने के प्रयास में नियमों के परे जाना भी पड़ सकता है। जानकार बताते हैं कि कम्पाउंडिंग भवन के अगल-बगल और पीछे के निर्माण पर हो सकता है, एमओएस वायलेशन पर नहीं।
बताया जाता है कि नगर निगम की भवन अनुज्ञा शाखा से लोगों ने नियमों के दायरे में 60-40 के अनुपात में निर्माण की मंजूरी लेकर उससे 25 फीसदी तक अधिक निर्माण कर लिया है। इस तरह के ताजा मामले कॉलेज चौक में जान टॉवर के बाद बने मल्टी स्टोरी भवनों, मॉडल रोड पर, पीके स्कूल के बगल में, उर्रहट में एसपीएस मॉल, चमड़िया पेट्रोल पम्प के सामने आजाद नगर मोड़ और उससे आगे बरा, मानस नगर, इंदिरा नगर और व्ही-टू के सामने आदि एक दर्जन बहुमंजिला इमारतों में किसी के पास 30 मीटर तो किसी के पास 50 वर्गमीटर में निर्माण करने की अनुमति है लेकिन इससे कहीं अधिक पर निर्माण किया जाना पाया गया है।
नगर निगम के सूत्रों का कहना है कि 80 फीसदी भवन और काम्पलेक्स के निर्माण में नियमों का खुला उल्लंघन किया गया है। निगम से जिन शर्तों पर निर्माण की अनुमति ली गई, उसका कतई पालन नहीं किया गया और यह सब निगम के अधिकारियों और मैदानी अमले की आंखों के सामने किया गया। मॉडल रोड पर बीते कुछ सालों में खड़ी हुई सभी इमारतों में एफएआर का पालन नहीं किया गया है। इतना ही नहीं भवन अनुज्ञा के प्रावधानों को ताक पर रखकर बेसमेंट के लिए नाममात्र जगह छोड़कर पूरी जमीन में निर्माण कर लिया गया। सामने की तरफ एमओएस का भी उल्लंघन बड़े पैमाने पर किया गया।
यहां फायर ब्रिगेड मूव नहीं कर सकता
इन भवनों के निर्माण में न केवल अनुमति के नियम तोड़े गए, अपितु लोगों की जान को भी जोखिम में डाला गया है। निगम अमले की जांच में पाया गया कि अधिकांश मल्टी स्टोरी में फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है। यही नहीं जमीन में 90 फीसदी भाग पर निर्माण कर लिए जाने से आपात स्थिति में फायर ब्रिगेड सिर्फ सड़क की तरफ ही काम कर पाएगा। इसके इधर-उधर जाने के कोई चांस नहीं हैं। हैरानी की बात यह है कि जब इनके निर्माण कराए जा रहे थे तब निगम प्रशासन मौन था और अब इस विसंगति को सुधारने नाप जोख पर उतर आया है। निगम आयुक्त से उम्मीद की जा रही है कि वे इस पर कड़ा कदम उठाएंगे। निगम प्रशासन ऐसे लोगों को नोटिस जारी करने जा रहा है।
यह सही है कि ज्यादातर भवनों में एमओएस का उल्लंघन किया गया है। अनुज्ञा की शर्तों के विपरीत निर्माण किया गया है। ऐसे भवनों को हम चिन्हित कर रहे हैं और नोटिस देकर उन पर कार्रवाई करेंगे।
सौरभ सोनवणे, आयुक्त नगर निगम