मझगवां के कैम्हा गांव में आदिवासी परिवारों और वन विभाग के बीच जमीन विवाद गहराता जा रहा है। पीढ़ियों से खेती कर रहे आदिवासियों को अब अपनी ही जमीन से हटाया जा रहा है। संगठनों ने चेताया—अगर न्याय न मिला तो उग्र आंदोलन होगा।
By: Star News
Sep 10, 20253:46 PM
हाइलाइट्स:
मझगवां, स्टार समाचार वेब
जिले के मझगवां क्षेत्र के कैम्हा गांव में आदिवासी समुदाय और वन विभाग के बीच जमीन का विवाद गहराता जा रहा है। दशकों से जिस जमीन पर आदिवासी परिवार खेती-बाड़ी कर अपने जीवन-यापन का सहारा बना रहे थे, उसी जमीन पर अचानक वन विभाग ने कब्जा जमाने की कार्रवाई शुरू कर दी है। बीते दिनों विभागीय अमले ने खेतों की जुताई कर रहे ग्रामीणों को धमकाकर भगा दिया। इस कार्रवाई से कैम्हा और महतैन गांव में भारी तनाव का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि करीब 100 परिवारों की आजीविका इस विवाद की भेंट चढ़ने वाली है। ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग केवल आदिवासी परिवारों को खेती करने से रोक रहा है, जबकि अन्य लोग उसी जमीन पर लगातार खेती कर रहे हैं। यह दोहरी नीति अब आदिवासियों को आंदोलित करने पर मजबूर कर रही है। आदिवासी महिलाओं ने आरोप लगाया कि जब वे विरोध में उतरीं तो बीटगार्ड और अन्य कर्मचारियों ने उनके साथ अभद्रता की। इसके बाद से ग्रामीणों में गुस्सा और भी बढ़ गया । ग्रामीणों का कहना है कि पीढ़ियों से खेती की जा रही जमीन पर अचानक वन विभाग की अड़ंगेबाजी सरासर अन्याय है। जानकारी के अनुसार, कैम्हा वन बीट में लगभग 300 हेक्टेयर भूमि पर आदिवासी और अन्य परिवारों का कब्जा है। यहां हर साल खरीफ और रबी की फसलें बोई जाती रही हैं। मगर इस बार खरीफ सीजन की जुताई पर रोक लगाई गई है। आदिवासी परिवारों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने दखल देकर खेती की अनुमति नहीं दिलाई तो वे परिवार सहित बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस-प्रशासन भी वन विभाग के दबाव में है, क्योंकि अब तक उनकी शिकायत पर कोई प्रकरण दर्ज नहीं हुआ है।
आदिवासियों के समर्थन में उतरे संगठन
कैम्हा के आदिवासियों की इस लड़ाई में अब सामाजिक संगठनों ने भी मोर्चा संभाल लिया है। गोंडवाना स्टूडेंट्स यूनियन, जयस सतना और भीम आर्मी मझगवां खुलकर उनके समर्थन में आ गए हैं। इन संगठनों के पदाधिकारियों ने गांव पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी जमीन बचाने की लड़ाई में वे हर कदम पर साथ रहेंगे। गोंडवाना स्टूडेंट्स यूनियन और जयस ने साफ चेतावनी दी है कि यदि वन विभाग ने अपनी कार्रवाई नहीं रोकी और आदिवासियों को उनका हक नहीं मिला तो जल्द ही उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा।
न्याय की आस में आदिवासी
कैम्हा और महतैन गांव के लोग अब उम्मीद लगाए बैठे हैं कि जिला प्रशासन और सरकार उनकी समस्या का संज्ञान लेकर वन विभाग को मनमानी से रोकेगी। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते इस विवाद का हल नहीं निकला तो यह मामला और भड़क सकता है। दरअसल, सवाल सिर्फ जमीन का नहीं बल्कि आदिवासी अस्मिता और अस्तित्व का है। पीढ़ियों से जिस खेत पर मेहनत कर परिवार पल रहे हैं, उसे छीनने की कोशिश आदिवासियों के लिए असहनीय है। यही वजह है कि आज कैम्हा की मिट्टी आंदोलन की आहट दे रही है और आदिवासी समाज एकजुट होकर न्याय की लड़ाई के लिए तैयार खड़ा है।
आदिवासी समाज हमेशा से शोषण का शिकार रहा है, आज भी हमें अपनी ही जमीन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। वन विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई घोर निंदनीय है। यदि न्याय नहीं मिला तो उग्र आंदोलन होगा।
चमन सिंह परस्ते, अध्यक्ष , गोंडवाना स्टूडेंट्स यूनियन मझगवां
कैम्हा के आदिवासियों की जमीनी लड़ाई में हम सब एकजुट हैं। वन विभाग का कदम पूरी तरह से अनुचित है और हम सब मिलकर इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे।
रवि कोल, जिला अध्यक्ष, जयस मैहर
मैं गोंडवाना स्टूडेंट्स यूनियन, जयस सतना और भीम आर्मी के साथ मिलकर इस लड़ाई में आदिवासी भाइयों-बहनों के साथ खड़ी हूं। जरूरत पड़ी तो सड़कों पर उतरकर संघर्ष करूंगी।
लक्ष्मी मवासी, सदस्य जिला पंचायत सदस्य