मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष के रूप में विष्णुदत्त शर्मा ने कैसे 2018 की हार के बाद पार्टी को फिर से जीत के ट्रैक पर लाया? उनकी कप्तानी, रणनीति और संगठन में किए गए बदलावों पर आधारित यह विशेष रिपोर्ट, जिसमें क्रिकेट की भाषा में VD शर्मा के नेतृत्व की कहानी।
By: Star News
Jul 03, 202519 hours ago
सुशील कुमार शर्मा
मध्यप्रदेश की राजनीतिक पिच पर एक वक्त ऐसा भी आया जब लगातार सत्ता के मैच खेलती और जीतती भाजपा की बैटिंग फीकी पड़ गई थी। संगठन का ड्रेसिंग रूम सत्ता की मलाईदार चाशनी में इस कदर चिपक गया था कि उसके सीनियर प्लेयरों के बल्ले पर जंग लगने लगी थी। पुराने फॉर्मूलों और गुटबाज़ी के रनआउट ने टीम स्पिरिट की हवा निकाल दी थी। हालत यह हो गई कि भरोसेमंद फील्डर यानी जमीनी कार्यकर्ता डगआउट में बैठा-बैठा खुद को ठगा सा महसूस कर रहा था।
नतीजा वही हुआ। 2018 के चुनावी वर्ल्डकप में भाजपा की स्टार टीम को हारकर पवेलियन लौटना पड़ा। 200 पार के स्कोर का सपना आंखों में ही रह गया और कांग्रेस ने बाजी मार ली। हार के बाद पार्टी का पूरा ड्रेसिंग रूम मायूसी से भरा था। कप्तानी को लेकर भ्रम, प्लेइंग इलेवन में असमंजस के बीच हर खिलाड़ी खुद को कप्तान मानने लगा था। ऐसे में पार्टी को चाहिए था एक ऐसा कप्तान जो न सिर्फ मैदान में मोर्चा संभाले, बल्कि बिखरी टीम को डगआउट से निकालकर पिच पर वापस लाए, रन रेट बढ़ाए और विपक्ष को फॉलोऑन के लिए मजबूर कर दे।
ऐसी विषम परिस्थिति में हाई कमान ने अपने सबसे भरोसेमंद संघ की भट्टी में ट्रेनिंग से तपकर आए विष्णुदत्त शर्मा को मैदान में उतारा। मैदान में ‘वीडी भाई’ नाम से मशहूर यह ऐसे खिलाड़ी थे, जिनका डिफेंस मज़बूत, स्ट्रोक प्ले धारदार और नेतृत्व अपराजेय था। वीडी ने कप्तानी संभालते ही सबसे पहले पिच का मिजाज समझा। वीडी के आने के पहले तक भाजपा विपक्ष में रहते हुए भी कोई बड़ा आंदोलन खड़ा नहीं कर पा रही थी। कार्यकर्ता नेट प्रैक्टिस के बिना आउट ऑफ फॉर्म हो चुके थे। वीडी ने सरकार चला रही कांग्रेस की टीम को रोकने न केवल आक्रामक फील्डिंग जमाई बल्कि स्लिप में खड़े रहने की बजाय पेस बॉलिंग से कांग्रेस सरकार के विकेट उखाड़ने की रणनीति बनाई।
उन्होंने संगठन की जड़ता को तोड़ा, हर बूथ और मंडल को रणभूमि में बदला, कार्यकर्ताओं को नेट्स में फिर से उतारा और आंदोलन की पुरानी परंपरा में नया जोश भरा।
मुकाबला आगे बढ़ रहा था कि इसी बीच
कांग्रेस के ड्रेसिंग रूम में फूट पड़ी। ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी टीम समेत भाजपा के कैम्प में आ गए। विपक्ष की सरकार क्लीन बोल्ड हो गई और भाजपा फिर से सत्ता की पिच पर लौट आई। लेकिन यह वापसी सेमीफाइनल जैसी थी। असली फाइनल तो वो 28 विधान सभा उपचुनाव थे, जो पार्टी के लिए अग्निपरीक्षा थे। विपक्ष ने मैन ऑफ द मैच बनने की पूरी तैयारी कर रखी थी, लेकिन वीडी ने कप्तानी की क्लासिक पारी खेली। हर बूथ पर कार्यकर्ता को कैचिंग पोजिशन पर पिच कंडिशन के मुताबिक सेट किया और उपचुनाव की सीरीज़ भी जीत ली।
इसके बाद तो भाजपा के लिए जीत का सिलसिला शुरू हो गया। 2020, 2021 में हुए उपचुनाव और फिर 2023 के फाइनल मुकाबले में पार्टी ने क्लीन स्वीप कर डाला। मीडिया के सारे प्रीडिक्शन धरे रह गए। विपक्ष की बॉलिंग लाइनअप बेमानी हो गई। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने वनडे की तरह धुआंधार बैटिंग की और 49.5 के जबरदस्त स्ट्राइक रेट से शानदार 163 स्कोर किया। वहीं लोकसभा में टेस्ट मैच की तरह धैर्य से खेलकर 59.3 के ऐतिहासिक औसत से न केवल रन बटोरे, बल्कि पहली बार विपक्ष को जीरो पर आउट किया।
कोरोना महामारी में भी कप्तान वीडी ने टीम को मैदान से बाहर नहीं जाने दिया। वो दौर जब बाकी दल पवेलियन में बैठकर बयानबाज़ी कर रहे थे, तब वीडी की टीम गांव-गांव, गली-गली मास्क, भोजन और दवाइयां बांटती रही। टीम ने फील्डिंग के साथ-साथ सेवा के रन भी बनाए और जनता ने पार्टी को सिर्फ पॉलिटिकल टीम नहीं, बल्कि संकट में साथ निभाने वाला परिवार मान लिया।
वीडी शर्मा ने कप्तानी में वही पुराना भाजपा का DNA लौटाया, जुझारूपन, आक्रामकता और भरोसेमंद बैटिंग। विपक्ष की हर गुगली, बाउंसर और यॉर्कर को वे फ्रंटफुट पर खेलने के लिए टीम को तैयार रखते थे। नतीजा यह रहा कि विपक्ष बैकफुट पर खिसकता गया और आखिरकार पिच से बाहर हो गया।
क्रिकेट की भाषा में कहें तो वीडी शर्मा भाजपा के ‘शुभंकर’ कप्तान हैं, जिनकी कप्तानी में टीम जीत की गारंटी के साथ मैदान में उतरती है। वह कप्तान जो न हार मानता है, न हारने देता है। हर रन, हर कैच, हर विकेट उनके प्लान में फिट बैठता है।
आज वीडी शर्मा ने यह कप्तानी नई टीम मैनेजमेंट को सौंपी है। हेमंत खंडेलवाल को अब इस इनिंग्स को और ऊँचाई पर ले जाना है। मैदान तैयार है, 41 लाख सक्रिय खिलाड़ी ( कार्यकर्ता) बूथ स्तर पर नेट प्रैक्टिस कर रहे हैं, पोलिंग बूथ की 55 हजार से ज्यादा पिच पर त्रिदेव की तिकड़ी ने मोर्चा संभाल रखा है। वहीं 1 करोड़ 72 लाख से अधिक कार्यकर्ता बतौर फैन आर्मी स्टेडियम में मौजूद हैं।
वीडी शर्मा संगठन को निराशा के बैकफुट से खींचकर उत्साह के फ्रंटफुट पर लेकर गए और अब पार्टी को चुनाव के सभी फार्मेट में जिताकर टीम को अभेद्य किले में बदलकर उसे नए कप्तान को सौंप दिया। संघ की शाखा और विद्यार्थी परिषद की नेट प्रैक्टिस से निकला यह कप्तान अब अपनी नई पारी किस रूप में खेलेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। फिलहाल इस शानदार कप्तान को टीम की ओर से तहेदिल से बधाई और नई कप्तानी संभालने वाले खंडेलवाल को शुभकामनाएं कि वो इस जीत की लय को बरकरार रखें।
अंत में
कप्तान बदल सकते हैं, लेकिन टीम को जिताने वाला खिलाड़ी हमेशा याद रखा जाता है..