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‘परख’ ने खोली 36 राज्यों के स्कूलों की पोल

देश के 36 राज्यों के सरकारी सहायता प्राप्त और सरकारी स्कूलों में खासकर गणित में खराब प्रदर्शन देखने को मिले हैं। यह कितनी शर्मनाक बात है कि कक्षा 6 के 47 फीसदी बच्चे 10 तक का पहाड़ा नहीं जानते हैं।  वहीं, कक्षा 9 के केंद्रीय विद्यालयों के विद्यार्थियों का सभी विषयों में सबसे शानदार प्रदर्शन रहा है।

By: Arvind Mishra

Jul 10, 202512:16 PM

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‘परख’ ने खोली 36 राज्यों के स्कूलों की पोल

  • शर्मनाक! कक्षा-6 के 47 फीसदी बच्चे नहीं जानते 10 तक पहाड़ा 

  • शिक्षा मंत्रालय के सर्वेक्षण में चौंकाने वाली जानकारी आई सामने 

  • देश के सरकारी और निजी स्कूलों के बच्चों को गड़बड़ाया गणित

  • नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब

देश के 36 राज्यों के सरकारी सहायता प्राप्त और सरकारी स्कूलों में खासकर गणित में खराब प्रदर्शन देखने को मिले हैं। यह कितनी शर्मनाक बात है कि कक्षा 6 के 47 फीसदी बच्चे 10 तक का पहाड़ा नहीं जानते हैं।  वहीं, कक्षा 9 के केंद्रीय विद्यालयों के विद्यार्थियों का सभी विषयों में सबसे शानदार प्रदर्शन रहा है। खासकर भाषा में ये सबसे आगे रहे। वहीं, निजी स्कूलों के विद्यार्थियों ने विज्ञान और समाज विज्ञान में अच्छा प्रदर्शन किया पर गणित में इनका प्रदर्शन कमजोर रहा। दरअसल, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार, कक्षा तीन के सिर्फ 55 प्रतिशत छात्र ही 99 तक की संख्याओं को सही तरीके से आरोही या अवरोही क्रम में रख पाते हैं। समग्र विकास के लिए छात्रों के ज्ञान का आकलन करने वाला राष्ट्रीय सर्वेक्षण, जिसे पहले राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण कहा जाता था पिछले साल 4 दिसंबर को आयोजित किया गया था, जिसमें 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के 781 जिलों के 74,229 स्कूलों के कक्षा 3, 6 और 9 के सरकारी और निजी स्कूलों के 21,15,022 छात्रों को शामिल किया गया था।

1,15,022 बच्चों की जानी शिक्षा

सर्वेक्षण में कहा गया है कि तीनों कक्षाओं के 1,15,022 बच्चों का मूल्यांकन किया गया और 2,70,424 शिक्षकों और स्कूल प्रमुखों ने प्रश्नावली के माध्यम से उत्तर दिए। कक्षा 3 के केवल 55 प्रतिशत छात्र ही 99 तक की संख्याओं को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित कर सकते हैं, जबकि 58 प्रतिशत छात्र दो अंकों की संख्याओं का जोड़ और घटाव कर सकते हैं।

53 फीसदी जानते हैं बेसिक मैथ्स

कक्षा 6 में सिर्फ 53 प्रतिशत छात्र ही जोड़, घटाव जैसी गणित की बुनियादी बातों को समझ पाते हैं। वे 10 तक के जोड़ और गुणा के पहाड़े जानते हैं और रोजमर्रा की समस्याओं को हल करने के लिए संख्याओं पर चार मुख्य गणितीय क्रियाओं (जोड़, घटाव, गुणा, भाग) का सही इस्तेमाल कर पाते हैं।

गणित में पीछे छठी क्लास

कक्षा 6 में, भाषा और गणित के साथ-साथ एक अतिरिक्त विषय जो पर्यावरण और समाज को कवर करता है, शुरू किया गया। छात्रों ने गणित में सबसे कम अंक (46 प्रतिशत) प्राप्त किए, जबकि भाषा में औसतन 57 प्रतिशत और हमारे आसपास की दुनिया में राष्ट्रीय स्तर पर 49 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए। शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, ऐसे उदाहरण जहां 50 प्रतिशत से कम छात्र सही उत्तर दे पाए, सीखने में कमियों को दर्शाते हैं।

केंद्रित हस्तक्षेपों की जरूरत

एक अधिकारी ने कहा-सीखने में ये कमियां छात्रों के कौशल को मजबूत करने, शिक्षण रणनीतियों को परिष्कृत करने और अतिरिक्त शिक्षण सहायता प्रदान करने के लिए केंद्रित हस्तक्षेपों की जरूरत को उजागर करती हैं। इन क्षेत्रों पर प्रभावी ढंग से ध्यान देने से देश में छात्रों के समग्र शिक्षण परिणामों को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। कक्षा 3 के मामले में, केंद्र सरकार के स्कूलों ने गणित में सबसे कम प्रदर्शन किया।

9वीं के छात्रों का बेहतर प्रदर्शन

कक्षा 6 के मामले में, सरकारी सहायता प्राप्त और राज्य सरकार के स्कूलों ने, विशेष रूप से गणित में, खराब प्रदर्शन किया। कक्षा 9 में, केंद्र सरकार के स्कूलों के छात्रों ने सभी विषयों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, भाषा में स्पष्ट रूप से आगे रहे। निजी स्कूल विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में दूसरे स्थान पर रहे, लेकिन गणित में उनके अंक कम रहे। राज्य सरकार और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों ने समान परिणाम दर्ज किए, जहां गणित में सबसे कम प्रदर्शन देखा गया। सभी प्रकार के स्कूलों में भाषा सबसे अधिक अंक प्राप्त करने वाला विषय रहा, जबकि गणित लगातार सबसे कमजोर रहा। ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में भी एक अहम अंतर देखा गया।

गावों की स्थिति ठीक

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सर्वेक्षण में जहां ग्रामीण क्षेत्रों में कक्षा 3 के छात्रों ने गणित और भाषा दोनों में बेहतर प्रदर्शन किया। वहीं शहरी क्षेत्रों में कक्षा 6 और 9 के बच्चों ने सभी विषयों में अपने ग्रामीण समकक्षों से बेहतर प्रदर्शन किया। परख को सभी बोर्डों के लिए मूल्यांकन दिशा निर्देश तैयार करने का काम सौंपा गया है ताकि विभिन्न राज्य बोर्डों में नामांकित छात्रों के अंकों में असमानताओं को दूर करने में मदद मिल सकेद्ध तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा के छात्रों द्वारा विकसित क्षमताओं का आकलन करने वाला राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) हर तीन साल में आयोजित किया जाता है। पिछला एनएएस 2021 में आयोजित किया गया था।

भाषा में कक्षा तीन की लड़कियों अव्वल

भाषा में, कक्षा 3 में लड़कियों ने लड़कों की तुलना में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया। लड़कियों को औसतन 65 प्रतिशत अंक मिले जबकि लड़कों को 63 प्रतिशत अंक मिले। गणित में लड़कियों और लड़कों दोनों ने समान 60 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। विशेष रूप से, एनईपी 2020 के चरणों के साथ संरेखण के कारण, राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (अब परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण) के 2017, 2021 और 2024 के तीन चक्रों में केवल कक्षा 3 के अंक ही तुलनीय रह गए हैं, क्योंकि यह तीनों चक्रों में मूल्यांकन किया जाने वाला एक ही ग्रेड है।

चार राज्यों में दिखा सुधार

2024 में राष्ट्रीय औसत 2017 के स्तर से थोड़ा पीछे है, कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 2024 में अपने पिछले प्रदर्शन को पार कर लिया है, जो मजबूत रिकवरी और सफल शिक्षण हस्तक्षेप का प्रदर्शन करता है। इनमें पंजाब, हिमाचल प्रदेश, केरल, उत्तर प्रदेश शामिल हैं।

इनका कहना है

अब सिर्फ मूल्यांकन करना ही नहीं, बल्कि उसके आधार पर आगे की ठोस कार्रवाई करना जरूरी है। परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 के नतीजों को उपयोगी कदमों में बदलने की एक विस्तृत और कई स्तरों वाली योजना तैयार की गई है। इस योजना के तहत राष्ट्रीय, राज्य, जिला और क्षेत्रीय स्तर पर कार्यशालाएं होंगी, जिनमें सर्वे के आंकड़े धीरे-धीरे साझा किए जाएंगे। हर जिले के लिए एक खास योजना भी बनानी होगी।

संजय कुमार, सचिव, केंद्रीय स्कूल शिक्षा मंत्रालय

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