5 नवंबर 2025 का विस्तृत हिन्दी पंचांग। जानें कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली की तिथि, शुभ-अशुभ समय (मुहूर्त), नक्षत्र, योग, राहुकाल और धार्मिक महत्व।
By: Ajay Tiwari
Nov 05, 20251:51 AM
स्टार समाचार वेब. धर्म डेस्क
हिंदू धर्म में पंचांग का विशेष महत्व है, जो तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण नामक पाँच अंगों से मिलकर बनता है। यह हमें किसी भी दिन के शुभ-अशुभ समय, व्रत-त्योहार और ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति की सटीक जानकारी देता है। 5 नवंबर 2025, बुधवार का दिन है और इस दिन कार्तिक पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाएगा, जिसे देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन दान, स्नान और दीपदान के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन के शुभ-अशुभ समय और ग्रहों की चाल को जानकर आप अपने दैनिक और महत्वपूर्ण कार्यों की योजना बना सकते हैं।
दिन: बुधवार
विशेषता: इस दिन कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली का पावन पर्व मनाया जाएगा। यह भीष्म पंचक की समाप्ति का दिन भी है।
तिथि: पूर्णिमा (शाम 06:48 बजे तक)
पूर्णिमा तिथि के बाद प्रतिपदा तिथि का आरंभ होगा।
पक्ष: शुक्ल पक्ष
हिन्दू मास और वर्ष:
शक संवत: 1947 (विश्वावसु)
विक्रम संवत: 2082 (कालयुक्त)
मास (पूर्णिमांत): कार्तिक
मास (अमांत): कार्तिक
नक्षत्र:
अश्विनी (सुबह 09:41 बजे तक)
अश्विनी के बाद भरणी नक्षत्र का आरंभ होगा।
योग:
सिद्धि (सुबह 11:28 बजे तक)
सिद्धि के बाद व्यतीपात योग का आरंभ होगा।
करण:
विष्टि (सुबह 08:45 बजे तक)
विष्टि के बाद बव (शाम 06:48 बजे तक)
बव के बाद बालव करण का आरंभ होगा।
चन्द्र राशि: मेष
सूर्योदय: प्रातः 06:35 बजे
सूर्यास्त: शाम 05:32 बजे
चंद्रोदय: शाम 05:11 बजे
चंद्रास्त: अगले दिन (6 नवंबर) प्रातः 06:36 बजे
अभिजीत मुहूर्त: कोई नहीं।
अमृत काल (शुभ): कोई नहीं।
ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04:52 बजे से प्रातः 05:44 बजे तक।
राहुकाल (अशुभ): दोपहर 12:04 बजे से दोपहर 01:26 बजे तक।
यमगण्ड (अशुभ): प्रातः 07:57 बजे से प्रातः 09:20 बजे तक।
गुलिक काल (अशुभ): सुबह 10:42 बजे से दोपहर 12:04 बजे तक।
दुष्ट मुहूर्त (अशुभ): सुबह 11:42 बजे से दोपहर 12:26 बजे तक।
वर्ज्यम् काल (अशुभ): रात 10:15 बजे से रात 11:42 बजे तक।
कार्तिक पूर्णिमा: इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है।
देव दीपावली: काशी (वाराणसी) सहित कई स्थानों पर देव दीपावली मनाई जाती है।
भीष्म पंचक समाप्त: कार्तिक शुक्ल एकादशी से शुरू हुए भीष्म पंचक का समापन।