साल 2025-2026 में खरमास कब शुरू होगा और कब समाप्त? जानें 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक क्यों नहीं होते शुभ कार्य, और इसके पीछे का ज्योतिषीय महत्व क्या है।
By: Ajay Tiwari
Nov 05, 20256:14 PM
खरमास में शुभ कार्य वर्चित होते हैं। यह साल में दो बार लगता है. एक बार तक जब सूर्य देव गुरु की राशि धनु में आते हैं. दूसरी बार तब, जब सूर्य देव गुरु की ही राशि मीन में गोचर करते हैं, तब खरमास होता है.।
पंचांग गणना के अनुसार, सूर्य देव 16 दिसंबर 2025 को प्रातः 04 बजकर 27 मिनट पर धनु राशि में गोचर करेंगे। सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास का आरंभ हो जाएगा। यह अवधि पूरे एक महीने तक चलती है।
खरमास का समापन तब होता है जब सूर्य देव गुरु की राशि (धनु या मीन) से निकलकर अगली राशि में प्रवेश करते हैं। इस बार, खरमास का समापन तब होगा जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में गोचर करेंगे, जिसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
सूर्य देव 14 जनवरी 2026, दिन बुधवार को दोपहर 03 बजकर 13 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस प्रकार, मकर संक्रांति के दिन, यानी 14 जनवरी 2026 को खरमास का समापन हो जाएगा।
16 दिसंबर 2025 से 14 जनवरी 2026 तक लगभग एक माह की इस अवधि में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, नए व्यापार का आरंभ जैसे सभी शुभ कार्य बंद रहेंगे। इसके पीछे मुख्य रूप से दो ज्योतिषीय कारण माने जाते हैं:
सूर्य की धीमी गति और प्रभाव: मान्यता है कि जब सूर्य धनु या मीन राशि में होते हैं, तो उनकी गति धीमी हो जाती है। शुभ कार्यों के लिए सूर्य का पूर्ण रूप से बलवान और गतिमान होना आवश्यक माना जाता है।
गुरु की शुभता में कमी: सूर्य का बृहस्पति की राशि में आना, देव गुरु बृहस्पति की शक्तियों और शुभता को कमजोर कर देता है। ज्योतिष में बृहस्पति को विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों का मुख्य कारक माना गया है। शुभ कार्यों को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए सूर्य और देव गुरु बृहस्पति दोनों का उच्च बल में होना अनिवार्य माना जाता है। खरमास के दौरान इस शुभ बल की कमी के कारण ही मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं।