मध्य प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। जुलाई के पहले सप्ताह में नाम की घोषणा हो सकती है। इस रेस में कई नाम हैं। हर बार की तरह ही पार्टी की कोशिश अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध कराने की है।
By: Arvind Mishra
Jun 25, 2025just now
भोपाल। स्टार समाचार वेब
मध्य प्रदेश में भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। एक साल से अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, इसे लेकर माथापच्ची चल रही है। वीडी शर्मा का कार्यकाल पिछले साल फरवरी में पूरा हो गया था। पार्टी अब राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति का इंतजार नहीं कर रही है। बल्कि, वह पहले उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और तेलंगाना सहित पांच राज्यों के राज्य प्रमुखों की नियुक्ति करेगी। राज्य भाजपा अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद ही पार्टी राष्ट्रीय पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा करेगी। इधर, दावा किया जा रहा है कि मध्य प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। जुलाई के पहले सप्ताह में नाम की घोषणा हो सकती है। इस रेस में कई नाम हैं। हर बार की तरह ही पार्टी की कोशिश अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध कराने की है। नए अध्यक्ष का चुनाव जातीय, क्षेत्रीय और वोट बैंक को साधने के तीन क्राइटेरिया को ध्यान में रखकर किया जाएगा। केंद्रीय नेतृत्व कोई चौंकाने वाला नाम सामने लाए, इस बात की भी संभावना है। दो फॉर्मूले- जातिगत समीकरण, क्षेत्रीय संतुलन। पार्टी के इस क्राइटेरिया में कई नाम हैं।
मध्यप्रदेश भाजपा में इस बात की भी संभावना है कि वीडी शर्मा को इस पद पर रिपीट किया जाए। हालांकि, भाजपा में ऐसा पहले हुआ नहीं है कि लगातार दो टर्म किसी को अध्यक्ष बनाया गया हो। सुंदरलाल पटवा, कैलाश जोशी और नरेंद्र सिंह तोमर ये तीन ऐसे नेता रहे हैं, जिन्होंने दो बार प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली है, मगर उनके दो टर्म के बीच कुछ सालों का अंतर रहा है। अगर वीडी को रिपीट कर दिया जाएगा तो यह मप्र भाजपा के इतिहास में दर्ज हो जाएगा।
मध्यप्रदेश भाजपा ने डेढ़ महीने में डेढ़ करोड़ सदस्य बनाए हैं। खास बात ये है कि अभियान में इंदौर लोकसभा में देश भर में सबसे ज्यादा सदस्य बने हैं। वहीं, इंदौर की ही विधानसभा क्रमांक 1 और 2 देश की टॉप 5 विधानसभा में शामिल हैं। जबकि छिंदवाड़ा 8 वें नंबर पर है। प्रदेश भाजपा की इस उपलब्धि की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तारीफ कर चुके हैं।
वीडी शर्मा के नेतृत्व में भाजपा ने न केवल विधानसभा चुनाव में 163 सीटें जीती, बल्कि लोकसभा चुनाव में भी 29 सीटें जीतने में कामयाब रही। ऐसे में कायस लगाए जा रहे हैं कि वीडी शर्मा को अगर मप्र भाजपा की कमान नहीं सौंपी गई तो उन्हें केंद्रीय संगठन में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष या फिर राष्ट्रीय महासचिव बनाया जा सकता है।
भाजपा यदि जातीय समीकरण का फॉमूर्ला अपनाती है तो प्रदेश अध्यक्ष का चेहरा सामान्य वर्ग से हो सकता है। केंद्रीय कैबिनेट में एससी-एसटी चेहरे के तौर पर सावित्री ठाकुर, दुर्गादास उइके और वीरेंद्र खटीक शामिल हैं। प्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर ओबीसी चेहरा हंै। विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी क्षत्रिय समुदाय से आने वाले नरेंद्र सिंह तोमर को सौंपी गई है। ऐसे में उम्मीद है कि प्रदेश अध्यक्ष पद पर ब्राह्मण नेता को फिर मौका मिल सकता है। यदि ऐसा होता है तो दो नेता इस क्राइटेरिया में फिट बैठते हैं। इनमें से एक हैं वरिष्ठ विधायक रामेश्वर शर्मा और दूसरे पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा हैं।
डॉ. नरोत्तम मिश्रा छह बार विधायक रह चुके हैं। दतिया विधानसभा क्षेत्र से चुनकर आते हैं। वे मध्यप्रदेश की सियासत में भाजपा का ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं। शिवराज सरकार में नंबर दो की हैसियत रखते थे। सियासी गलियारों में उन्हें संकटमोचक के तौर पर देखा जाता है। वे भाजपा के जातीय फॉर्मूले में फिट हैं। वे ब्राह्मण वर्ग से आते हैं। उन्होंने अपनी संगठन क्षमता को साबित किया है।
रामेश्वर शर्मा भोपाल की हुजूर विधानसभा सीट से 3 बार के विधायक हैं। इस बार वे मंत्री पद के दावेदार थे, मगर उन्हें मौका नहीं मिला। 2020 में जब कमलनाथ सरकार गिरी और फिर भाजपा की सरकार बनी तो वे प्रोटेम स्पीकर बनाए गए थे। रामेश्वर के नाम बतौर प्रोटेम स्पीकर सबसे लंबा कार्यकाल दर्ज है। जातीय समीकरण में रामेश्वर शर्मा फिट बैठते हैं। उनकी आक्रामक हिंदूवादी छवि भी उनके पक्ष में जाती नजर आती है।
भाजपा क्षेत्रीय समीकरण को तवज्जो देगी तो प्रदेश अध्यक्ष विंध्य क्षेत्र से किसी को बनाया जा सकता है। केंद्रीय कैबिनेट में इस क्षेत्र से किसी सांसद को मौका नहीं मिला है। ऐसे में उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला इस पद के प्रबल दावेदार हैं। यदि राजेंद्र शुक्ला को अध्यक्ष बनाया जाता है तो बीजेपी विंध्य के साथ-साथ महाकोशल को भी साध लेगी। पिछले चुनाव के आंकड़े देखें तो प्रदेश के छह अंचलों में विंध्य एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा, जहां भाजपा ने 2018 की तुलना में 2023 के चुनावों में कहीं अधिक बेहतर प्रदर्शन किया।
मुख्यमंत्री मोहन यादव की पसंद, बैतूल के पूर्व सांसद और तीन बार के विधायक रहे हेमंत खंडेलवाल हैं। वह भाजपा के संस्थापक सदस्य विजय खंडेलवाल के बेटे हैं। विजय खंडेलवाल ने 1996 से 2004 तक संसद में बैतूल लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। उनके निधन के बाद पार्टी ने उनके बेटे हेमंत खंडेलवाल को उपचुनाव में उतारा। खंडेलवाल जूनियर उपचुनाव जीते, लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद बैतूल लोकसभा सीट को एससी आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र बना दिया गया।
भाजपा अध्यक्ष की दौड़ में शामिल अन्य लोगों में भाजपा के शक्तिशाली पदाधिकारी शामिल हैं जो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भी करीबी हैं, वे हैं भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, जो वर्तमान में नगरीय प्रशासन मंत्री हैं। 2015 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में अमित शाह ने विजयवर्गीय को पश्चिम बंगाल में पार्टी की स्थापना के लिए भेजा था। 2016 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के गढ़ में भाजपा ने तीन सीटें जीती थीं। 2021 तक यह संख्या 77 हो गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने पश्चिम बंगाल में 18 सीटें जीतीं। 2023 के विधानसभा चुनाव में विजयवर्गीय राज्य की राजनीति में वापस आ गए।