एनसीईआरटी ने कक्षा 8 के लिए नई सामाजिक विज्ञान की किताब एक्सप्लोरिंग सोसाइटी: इंडिया एंड बियॉन्ड जारी की है। इसमें दिल्ली सल्तनत और मुगल शासकों के इतिहास को नए नजरिए से पेश किया गया है। किताब में मुगल शासकों, विशेष रूप से बाबर, अकबर और औरंगजेब के जुल्म-सितम पर जोर दिया गया है।
By: Arvind Mishra
Jul 16, 20257 hours ago
एनसीईआरटी ने कक्षा 8 के लिए नई सामाजिक विज्ञान की किताब एक्सप्लोरिंग सोसाइटी: इंडिया एंड बियॉन्ड जारी की है। इसमें दिल्ली सल्तनत और मुगल शासकों के इतिहास को नए नजरिए से पेश किया गया है। किताब में मुगल शासकों, विशेष रूप से बाबर, अकबर और औरंगजेब के जुल्म-सितम पर जोर दिया गया है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि अतीत की घटनाओं के लिए आज किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। एनसीईआरटी पिछले चार साल से तमाम स्कूली किताबों में इतिहास को बदलने में जुटी हुई है। यह कोई पहला बदलाव नहीं है। नई किताब में 13वीं शताब्दी से लेकर 17वीं शताब्दी तक के भारतीय इतिहास को बताने वाले चैप्टर भारत के राजनीतिक मानचित्र का पुनर्निर्माण, दिल्ली सल्तनत के उत्थान, पतन और उसके प्रतिरोध, विजयनगर साम्राज्य, मुगलों और उनके प्रतिरोध, सिखों के उत्थान पर केंद्रित है। दरअसल, एनसीईआरटी ने कक्षा आठ की सामाजिक विज्ञान की किताब में कई बड़े बदलाव किए हैं। नई किताबें मार्केट में आ चुकी हैं, लेकिन इसको लेकर फिलहाल उसने किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी है। एनसीईआरटी ने किताब में दिल्ली सल्तनत और मुगल काल में धार्मिक असहिष्णुता के उदाहरण बताए गए हैं। अकबर को सहिष्णुता और क्रूरता का मिश्रण वाला बताया गया है। किताब में औरंगजेब को लेकर भी बदलाव किया गया है। औरंगजेब को मंदिर और गुरुद्वारे तोड़ने वाला और गैर-मुस्लिम लोगों पर टैक्स लगाने वाला बताया गया है।
किताबों में बदलाव के बाद विवाद खड़ा हो सकता है। इससे बचने के लिए एनसीईआरटी ने एक तरकीब भी अपनाई है। उसने स्पेशल नोट भी लिखवाया है, जिसमें कहा गया है कि पिछले समय की घटनाओं के लिए आज किसी को दोष नहीं देना चाहिए।
एनसीईआरटी ने पिछले साल भी किताबों में कुछ अहम बदलाव किए थे। छात्रों के सैलेबस में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को शामिल किया गया था। इसके साथ ही वीर अब्दुल हमीद पर एक चैप्टर स्कूली किताबों में शामिल किया गया था। अब्दुल हमीद भारतीय सेना की 4 ग्रेनेडियर के जवान थे। किताबों में इससे पहले भी कुछ बदलाव हुए थे, लेकिन 2025 की नई किताबों में कई बड़े बदलाव हो गए हैं।