ब्रिटेन ने फलस्तीन को स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दे दी है। प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा कि यह कदम फलस्तीनियों और इस्राइलियों के बीच शांति की उम्मीद जगाने के लिए है। अमेरिका और इस्राइल ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया।
By: Sandeep malviya
Sep 21, 20259 hours ago
टोरंटो/लंदन। ब्रिटेन ने फलस्तीन को स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दे दी है। प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा कि यह कदम फलस्तीनियों और इस्राइलियों के बीच शांति की उम्मीद जगाने के लिए है। अमेरिका और इस्राइल ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया। यह निर्णय ब्रिटेन की ऐतिहासिक जिम्मेदारी और बदलते हालात को देखते हुए लिया गया है।
ब्रिटेन ने औपचारिक रूप से फलस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दे दी है। प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने रविवार को यह एलान किया। यह कदम अमेरिका और इस्राइल के कड़े विरोध के बावजूद उठाया गया। स्टार्मर ने कहा कि इस फैसले का उद्देश्य फलस्तीनियों और इस्राइलियों के लिए शांति की उम्मीद को जीवित रखना है। इससे पहले कनाडा और आॅस्ट्रेलिया भी यह मान्यता दे चुके हैं।
स्टार्मर ने कहा कि भले ही यह फैसला प्रतीकात्मक है, लेकिन यह एक ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है जब दोनों समुदायों के बीच स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए जाएं। स्टार्मर का कहना है कि यह मान्यता केवल हमास को नहीं बल्कि फलस्तीन की जनता को दी जा रही है। उन्होंने साफ कहा कि हमास का भविष्य में शासन में कोई स्थान नहीं होगा और उसे सात अक्तूबर 2023 के हमलों में पकड़े गए इस्राइली बंधकों को तुरंत रिहा करना होगा।
पीएम कार्नी का एलान
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर घोषणा की कि उनकी सरकार ने फलस्तीन को मान्यता दे दी है। उन्होंने पहले ही जुलाई में संकेत दिया था कि वह यह कदम उठाएंगे। कार्नी ने कहा कि यह मान्यता दो-राज्य समाधान की दिशा में शांति बहाल करने का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
आस्ट्रेलिया ने भी दी मान्यता
आस्ट्रेलिया ने औपचारिक रूप से फलस्तीन राज्य को मान्यता दे दी है। यह फैसला गाजा युद्ध और बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच आया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा से पहले आस्ट्रेलिया का यह एलान पश्चिम एशिया की राजनीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
अमेरिका और इस्राइल की नाराजगी
यह घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ब्रिटेन यात्रा के कुछ ही दिनों बाद हुई। ट्रंप ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि यह कदम आतंकवाद को बढ़ावा देगा और गलत संदेश देगा। इस्राइली सरकार ने भी इसका कड़ा विरोध किया है।