मध्य प्रदेश में भाजपा ने निगम मंडलों में नियुक्तियों की प्रक्रिया तेज कर दी है। पार्टी अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और सीएम डॉ. मोहन यादव को हरी झंडी मिल चुकी है। सत्ता-संगठन ने तय किया है कि जिन्हें निगम मंडल में जगह मिलेगी उन्हें संगठन में जगह नहीं मिलेगी।
By: Arvind Mishra
Nov 13, 202511:36 AM
भोपाल। स्टार समाचार वेब
मध्य प्रदेश में भाजपा ने निगम मंडलों में नियुक्तियों की प्रक्रिया तेज कर दी है। पार्टी अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और सीएम डॉ. मोहन यादव को हरी झंडी मिल चुकी है। सत्ता-संगठन ने तय किया है कि जिन्हें निगम मंडल में जगह मिलेगी उन्हें संगठन में जगह नहीं मिलेगी। संगठन में जगह पाने वाले को निगम मंडल में जगह नहीं दी जाएगी। ज्यादा से ज्यादा नेताओं को समायोजित करने के लिए एक पद एक फॉर्मूला लागू किया जाएगा। चूंकि दावेदार ज्यादा हैं। दरअसल, प्रदेश में 48 निगम-मंडल और प्राधिकरण हैं, जिनमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों के 1200 पदों पर नियुक्तियां होनी हैं। सरकार सभी पदों को एक साथ भरने की जल्दी में नहीं है। ये नियुक्तियां चरणबद्ध की जाएंगी, ताकि संतुलन बना रहे। दावा किया जा रहा है कि जिन क्षेत्रों को संगठन में कम प्रतिनिधित्व मिला है, जैसे महाकोशल, विंध्य और ग्वालियर-चंबल, उन्हें सत्ता में यानी निगम-मंडलों में अधिक महत्व दिया जाएगा। खासकर सत्ता-संगठन का सबसे ज्यादा फोकस विंध्य में रहेगा। चूंकि विंध्य के चुनिंदा नेताओं की ही अभी भागीदारी दिख रही है। ऐसे में पार्टी किसी की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती।
नियुक्तियों का रास्ता साफ
निगम-मंडल और प्राधिकरणों में राजनीतिक नियुक्तियों का रास्ता अब साफ हो गया है। भाजपा के एक पद फॉर्मूले पर केंद्रीय नेतृत्व ने सहमति दे दी है, जिसके बाद सत्ता के गलियारों में हलचल तेज हो गई है। बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद सिलसिलेवार निगम-मंडलों में नियुक्तियों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। इस बार कई पूर्व मंत्री और पूर्व विधायकों के साथ संगठन से जुड़े पदाधिकारियों के नाम शामिल हैं। निगम मंडल में नियुक्तियों का आधार क्षेत्रीय और जातीय संतुलन के साथ सत्ता और संगठन में समन्वय का भी रहेगा।
जातीय समीकरण भी साधेंगे
नियुक्तियों में जातीय समीकरणों को भी साधने का पूरा प्रयास किया जाएगा। प्रदेश कार्यकारिणी में जहां सामान्य वर्ग से 14, ओबीसी से छह, एसटी से तीन और एससी वर्ग से दो पदाधिकारी शामिल किए गए हैं। वहीं अब निगम-मंडलों में भी इसी तरह का सामाजिक संतुलन देखने को मिलेगा।
किन चेहरों को शामिल किया जाएगा
निगम-मंडलों में नियुक्ति की पहली सूची में उन पूर्व मंत्रियों का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है, जो विधानसभा चुनाव हार गए थे या जिन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी थी। हालांकि इसमें पूर्व सरकार में मंत्री रहे नेताओं को जगह मिलने की संभावना कम है। पार्टी नए चेहरों को सामने लाने पर फोकस कर रही है। साथ ही परिवारवाद और पट्ठावाद को पूरी तरह से खत्म करना चाह रही है।