मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में कलेक्टर की नाक के नीचे साधु-संतों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है। इतना सब कुछ होने के बाद भी साधुओं से मिलने और उनकी परेशानी जानने की किसी भी जिम्मेदार ने जहमत नहीं उठाई। इससे संत समाज में आक्रोश पनप रहा है।
By: Arvind Mishra
Jul 08, 20253 hours ago
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में कलेक्टर की नाक के नीचे साधु-संतों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है। इतना सब कुछ होने के बाद भी साधुओं से मिलने और उनकी परेशानी जानने की किसी भी जिम्मेदार ने जहमत नहीं उठाई। इससे संत समाज में आक्रोश पनप रहा है। वहीं अब दावा किया जा रहा है कि कई दिनों से चल रहे विरोध-प्रदर्शन का मामला भोपाल सीएम हाउस तक भी पहुंच गया है। इससे अब तय माना जा रहा है कि लापरवाह अफसरों पर सीएम डॉ. मोहन यादव की गाज गिरेगी। दरअसल, छत्तरपुर जिला पंचायत के सामने मेला ग्राउंड में ग्राम बारी के रामलला सरकार मंदिर के पुजारी साधुदास उर्फ वीरेंद्र कुमार ने पिछले पिछले एक सप्ताह से अनशन और मौन व्रत शुरू किया था, लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो मंगलवार से आमरण अनशन शुरू कर दिया है। यहां सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब कलेक्टर आफिस से महज दस मीटर की दूरी पर हो रहा है। इसके बाद भी जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। पुजारी साधुदास का आरोप है कि एसडीएम अखिल राठौर ने रामलला सरकार मंदिर की बागडोर दबंगों को सौंप दी है। इससे प्रसिद्ध मंदिर की पवित्रता और व्यवस्था खंडित हुई है। इसमें नायब तहसीलदार भी मिली हुई हैं।
इधर, मंगलवार को निर्मोही अखाड़ा के मंडल अध्यक्ष भगवानदास सिंगारी भी आमरण अनशन स्थल पर अपनी टोलियों के साथ पहुंच गए हैं। जिसमें 40-50 लोग शामिल हैं। उन्होंने संवाददाताओं से चर्चा के दौरान कहा कि मठ-मंदिर नहीं हैं सरकारी, इनके रक्षक संत और पुजारी ही हैं।
आमरण अनशन पर बैठे पुजारी की मांग है कि दबंग एवं आपराधिक लोगों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही 19 अप्रैल 2025 की स्थिति में मंदिर में उनकी पुन: स्थापना हो। तथा दर्ज फर्जी मुकदमों को वापस लिया जाए। यही नहीं, दबंगों को संरक्षण देने वाले एसडीएम अखिल राठौर और नायब तहसीलदार इंदू सिंह को निलंबित किया जाए।
दरअसल, बीते माह पुजारी साधुदास उर्फ वीरेंद्र कुमार ने अधिकारियों पर मंदिर में चमड़े की बेल्ट पहनकर आने का आरोप लगाते हुए नाराजगी जताई थी। जिससे विवाद बढ़ गया और इसके बाद प्रशासन ने एफआईआर दर्ज कर कुछ लोगों गिरफ्तार भी किया था।
यहां सबसे हैरानी की बात यह है कि मंदिर प्रबंधन से जुडेÞ साधु-संत एक नहीं दो-दो बार कलेक्टर की जनसुनवाई में आवेदन देकर गुहार लगा चुके हैं। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार की जनसुवाई को अफसरों ने मजाक बना दिया है।
यहां अब प्रशासन ने जिन लोगों का मंदिर की कमान सौंप दी है, उन्हीं लोगों ने ब्रह्मलीन परमात्मादास महाराज की समाधि को जेसीबी से उखड़वा कर फेंक दिया। इससे संत समाज के साथ ही स्थानीय लोगों में भी आक्रोश देखा जा रहा है।
Jay shree ram
5 hours ago
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