भारतीय जनता पार्टी में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया अब रफ्तार पकड़ चुकी है। दावा किया जा रहा है कि संसद के मानसून सत्र से पहले भाजपा को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा। इससे पहले प्रदेश स्तर पर संगठन चुनावों की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। पार्टी नेतृत्व अगले एक हफ्ते से दस दिनों के भीतर लगभग 8 से 10 राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के नामों की घोषणा करने की तैयारी में है।
By: Arvind Mishra
Jun 28, 202512:55 PM
भोपाल/नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
भारतीय जनता पार्टी में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया अब रफ्तार पकड़ चुकी है। दावा किया जा रहा है कि संसद के मानसून सत्र से पहले भाजपा को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा। इससे पहले प्रदेश स्तर पर संगठन चुनावों की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। कहा जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व अगले एक हफ्ते से दस दिनों के भीतर लगभग 8 से 10 राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के नामों की घोषणा करने की तैयारी में है। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और गुजरात शामिल हैं। दरअसल, भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए एक साल से जारी इंतजार 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र से पहले खत्म हो सकता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए पार्टी की योजना जुलाई के पहले सप्ताह में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक सहित करीब एक दर्जन राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कराने की है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए 37 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से कम से कम 19 राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव अनिवार्य है। पार्टी अब तक 14 राज्यों में ही ऐसा कर पाई है। दूसरी बड़ी समस्या राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए बनने वाला निर्वाचक मंडल है। इस मंडल का सदस्य राष्ट्रीय और राज्य परिषद में शामिल नेता ही होते हैं। इन परिषदों में यूपी, गुजरात, मध्यप्रदेश, कर्नाटक जैसे राज्यों की हिस्सेदारी 50 फीसदी है। ऐसे में प्रदेश संगठन के चुनाव के बाद इन परिषदों का कोटा भरे बिना निर्वाचक मंडल नहीं बनाया जा सकता।
नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा... इस पर अभी अंतिम फैसला नहीं हो पाया है। हालांकि, पार्टी नेतृत्व सियासी कारणों से दलित या दक्षिण को महत्व देना चाहता है। चूंकि विपक्ष भाजपा और मोदी सरकार के संदर्भ में आरक्षण और संविधान को खत्म करने की धारणा बनाने की लगातार कोशिश कर रहा है। इसके अलावा भविष्य की राजनीति के लिए विस्तार को अहमियत देने के लिए भाजपा की निगाहें दक्षिण भारत के राज्यों पर हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि नया अध्यक्ष या तो दलित बिरादरी का होगा या फिर दक्षिण भारत से जुड़ा होगा।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन के बाद पार्टी का जोर संगठन को नया रूप देने पर है। राष्ट्रीय पदाधिकारियों की टीम में 60 से 70 फीसदी चेहरे बदले जाएंगे। पार्टी की योजना इन बदलावों के जरिये युवाओं, महिलाओं और समाज के सभी वर्गों को संगठन में प्रतिनिधित्व देने की है। बड़े बदलाव से पार्टी की सर्वाधिक ताकतवर इकाई संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति भी अछूती नहीं रहेगी।
भाजपा ने एक दिन पहले ही महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड में प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के लिए चुनाव अधिकारियों के नामों की घोषणा की। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को महाराष्ट्र, केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा को उत्तराखंड और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को पश्चिम बंगाल का चुनाव अधिकारी बनाया गया है।
लोकसभा चुनाव में लगे झटके के कारण उत्तर प्रदेश केंद्रीय नेतृत्व के लिए सिरदर्दी बना हुआ है। सूबे में बड़े बदलाव के लिए नए सिरे से मंथन शुरू हुआ है। केंद्रीय नेतृत्व को चुनाव में छिटके ओबीसी वोट बैंक को वापस लाने के साथ बसपा के कमजोर होने के कारण उसके वोट बैंक का सपा-कांग्रेस के प्रति आकर्षित होने की काट भी ढूंढनी है। सूबे में नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ व्यापक रोडमैप तैयार होगा।
1 से 3 जुलाई के बीच भोपाल आएंगे केंद्रीय शिक्षा
इधर, मध्यप्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष को लेकर तस्वीर जल्द साफ होने जा रही है। चुनाव प्रभारी एवं केंद्रीय शिक्षा मंत्री धमेंद्र प्रधान 1 से 3 जुलाई के बीच भोपाल आएंगे। एक-दो दिन में मध्यप्रदेश के लिए संगठन चुनाव का शेड्यूल भी भाजपा की केंद्रीय इकाई की ओर से जारी होने की उम्मीद है। यदि चुनाव की स्थिति बनती है तो यह शेड्यूल 3 दिन का रहेगा। पहले दिन दावेदार नामांकन जमा कर सकेंगे। दूसरे दिन स्क्रूटनी और नाम वापसी होगी, तीसरे दिन चुनाव प्रक्रिया पूरी कर नए अध्यक्ष का ऐलान कर दिया जाएगा। इधर, मप्र को कहा गया है कि चुनाव को लेकर सारी तैयारियां वे मंगलवार तक पूरी कर लें। चार जुलाई को दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के देश भर के प्रांत प्रचारकों की बैठक बुलाई गई है। इसमें जाने से पहले संघ भी इसकी वर्किंग पूरी कर लेगा। इसके बाद जैसे-जैसे चुनाव प्रक्रिया पूरी होती जाएगी नाम घोषित होते जाएंगे। मप्र में पिछले छह माह से भाजपा संगठन चुनाव की प्रक्रिया जहां की तहां थमी हुई है।