केंद्र की रिपोर्ट ने मध्यप्रदेश के स्वास्थ विभाग के तमाम दावों की पोल खोलकर रख दी है। आलम यह है कि राज्य में न जच्चा सुरक्षित है और न ही बच्चा। मध्यप्रदेश का मातृ और शिशु स्वास्थ्य क्षेत्र देश में सबसे पीछे है।
By: Arvind Mishra
Jul 16, 20252 hours ago
भोपाल। स्टार समाचार वेब
केंद्र की रिपोर्ट ने मध्यप्रदेश के स्वास्थ विभाग के तमाम दावों की पोल खोलकर रख दी है। आलम यह है कि राज्य में न जच्चा सुरक्षित है और न ही बच्चा। मध्यप्रदेश का मातृ और शिशु स्वास्थ्य क्षेत्र देश में सबसे पीछे है। यह हम नहीं, बल्कि एसआरएस की रिपोर्ट बयां कर रही है। खौफ उगलती रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में हर एक लाख प्रसव में 159 माताएं और हर एक हजार जन्मों में 40 नवजात अपनी जान गंवा रहे हैं। ये आंकड़े केवल संख्याएं नहीं हैं, बल्कि उन परिवारों के दर्द को भी दर्शाते हैं जो उचित स्वास्थ्य सुविधाओं और संसाधनों की कमी के कारण अपनों को खो देते हैं। दरअसल, देश में सर्वाधिक शिशु मृत्यु दर का वर्षों का कलंक मिटा नहीं था कि अब सर्वाधिक मातृ मृत्यु दर में भी मध्यप्र्रदेश देश में पहले नंबर पर आ गया है। जून 2025 में जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस -2022) रिपोर्ट के अनुसार यह दर 159 है जो पहले 173 थी। इस तरह 14 अंकों की गिरावट के बाद भी देश में सर्वाधिक है। रिपोर्ट से साफ जाहिर होता है कि एक लाख गर्भवती महिलाओं में 159 की मौत प्रसव के 42 दिन के भीतर हो जा रही है, जबकि देश का औसत 88 है।
मध्यप्रदेश का शिशु मृत्यु दर 40 है, जबकि देश का औसत 26 है। यह आंकड़ा दशशार्ता है कि राज्य में शिशु मृत्यु दर में सुधार के बावजूद, गति बहुत धीमी है। 2013 में राज्य का शिशु मृत्यु दर 53 था, लेकिन अब यह घटकर 40 पर आ गया है, जो कि 35 प्रतिशत की कमी को दर्शाता है। इसके विपरीत, भारत के शिशु मृत्यु दर में पिछले दस वर्षों में 35 फीसदी की कमी आई है। इस धीमी प्रगति के बावजूद, राज्य की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
प्रदेश में प्रतिवर्ष 20 लाख महिलाएं गर्भवती होती हैं। एसआरएस का सर्वे सटीक बैठता है तो प्रतिवर्ष 3100 से अधिक प्रसूताओं की मौत हो रही है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में शिशु मृत्यु दर 42 है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 28 है। यह आंकड़ा बताता है कि गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और जागरुकता की कमी के कारण शिशु मृत्यु दर अधिक है।
मध्यप्रदेश का मातृ मृत्यु दर 159 है, जो भारत के औसत 88 से कहीं अधिक है। यही कारण है कि मध्यप्रदेश को देश के सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शुमार किया गया है। हालांकि सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं ताकि मातृ और शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सके।