आईएमएफ की सिफारिशें, गवर्नेंस एंड करप्शन डायग्नोसिस मिशन रिपोर्ट का हिस्सा हैं। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, अगर ये सिफारिशें मानी जाती हैं तो संघीय सरकार की केंद्रीय बैंक से निगरानी समाप्त हो जाएगी, जबकि स्टेट बैंक आफ पाकिस्तान (एसबीपी) में पाकिस्तानी सरकार की हिस्सेदारी 100 प्रतिशत है।
By: Sandeep malviya
Aug 19, 202515 hours ago
इस्लामाबाद । आईएमएफ से कर्ज लेकर पाकिस्तान फंस गया है। दरअसल आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज की नई किस्त जारी करने के लिए कुछ ऐसी शर्त रख दी है, जिससे पाकिस्तान की सरकार अपने ही केंद्रीय बैंक की निगरानी नहीं कर पाएगी और पाकिस्तानी सरकार का अपने केंद्रीय बैंक पर नियंत्रण कम हो जाएगा। दरअसल आईएमएफ ने पाकिस्तान से केंद्रीय बैंक के बोर्ड से वित्त सचिव को हटाने को कहा है और साथ ही वाणिज्यिक बैंकों के निरीक्षण का आदेश देने के संघीय सरकार के अधिकार को रद्द करने के लिए कानून में संशोधन की भी मांग की है।
अपने ही केंद्रीय बैंक से नियंत्रण खो देगी पाकिस्तान सरकार
पाकिस्तान के मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वित्त सचिव को निदेशक मंडल से हटाने के लिए एसबीपी अधिनियम में संशोधन की सिफारिश की है। साथ ही आईएमएफ ने स्टेट बैंक आफ पाकिस्तान (एसबीपी) में डिप्टी गवर्नर के दो रिक्त पदों को तुरंत भरने को भी कहा है। आईएमएफ की सिफारिशें, गवर्नेंस एंड करप्शन डायग्नोसिस मिशन रिपोर्ट का हिस्सा हैं। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, अगर ये सिफारिशें मानी जाती हैं तो संघीय सरकार की केंद्रीय बैंक से निगरानी समाप्त हो जाएगी, जबकि स्टेट बैंक आफ पाकिस्तान (एसबीपी) में पाकिस्तानी सरकार की हिस्सेदारी 100 प्रतिशत है।
इससे पहले साल 2022 में, आईएमएफ के दबाव में पाकिस्तानी सरकार ने एसबीपी को पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की थी और बोर्ड में वित्त सचिव के मताधिकार को भी समाप्त कर दिया। जिसके बाद से वित्त सचिव बोर्ड का सदस्य तो होता है, लेकिन उसके पास मतदान का अधिकार नहीं होता। ऐसे में विनिमय दर निर्धारण करना या ब्याज दर निर्धारण जैसे प्रमुख फैसले भी एसबीपी के बोर्ड द्वारा नहीं, बल्कि मौद्रिक नीति समिति द्वारा लिए जाते हैं। सोमवार को, पाकिस्तान के वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने कहा कि ब्याज दरें निर्धारित करने में सरकार की कोई भूमिका नहीं है, जो एसबीपी के अधिकार क्षेत्र में आती हैं। उन्होंने आगे कहा कि विनिमय दर का निर्धारण बाजार द्वारा ही होता रहेगा।
आईएमएफ ने सिफारिशों की बताई ये वजह
औरंगजेब ने कहा कि आईएमएफ की टीम कर्ज के 1 अरब डॉलर की तीसरी किस्त पर बातचीत के लिए सितंबर में पाकिस्तान का दौरा करेगा। आईएमएफ ने तर्क दिया है कि एसबीपी बोर्ड से वित्त सचिव को हटाने से केंद्रीय बैंक को पहले से ही स्वायत्ता मिलेगा और केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता और मजबूत होगी। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार ने अभी तक आईएमएफ की सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया है और सरकार इन पर चर्चा कर रही है।
एसबीपी बोर्ड में गवर्नर और आठ गैर-कार्यकारी निदेशक शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक राज्य से कम से कम एक निदेशक होता है। यही बोर्ड एसबीपी के संचालन, प्रशासन और प्रबंधन की देखरेख करता है। आईएमएफ ने गवर्नर, डिप्टी गवर्नर, गैर-कार्यकारी निदेशक और मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों को हटाने के कारणों भी बताने को कहा है। आईएमएफ ने डिप्टी गवर्नर के दो खाली पदों को तुरंत भरने का भी निर्देश दिया। अभी स्वीकृत तीन पदों में से केवल एक ही भरा हुआ है।
डिप्टी गवर्नर का पद भी खाली
पूर्व डिप्टी गवर्नर इनायत हुसैन पिछले साल नवंबर में अपना कार्यकाल खत्म होने के बाद से कार्यवाहक डिप्टी गवर्नर बने हुए हैं। उनकी दोहरी नागरिकता के कारण उनकी पुनर्नियुक्ति में परेशानी आ रही हैं। वित्त मंत्रालय ने पहले ही एसबीपी अधिनियम में कई संशोधनों का सुझाव दिया था, जिसमें दोहरी नागरिकता वाले व्यक्तियों को डिप्टी गवर्नर नियुक्त करने की अनुमति देने वाला एक संशोधन भी शामिल है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दो रिक्त पदों में से एक के लिए नदीम लोधी का नाम तय हो गया है, लेकिन अभी तक कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिली है। पाकिस्तान वर्तमान में 7 अरब डॉलर के आईएमएफ ऋण पैकेज पर काम कर रहा है, और लगभग 1 अरब डॉलर की किस्त पाने के लिए आईएमएफ की शर्तों को पूरा करना जरूरी है। पिछले साल आईएमएफ ने पाकिस्तान को 39 महीने की अवधि के लिए ऋण देने पर सहमति जताई थी।