फसलों पर संकट : कीटनाशक बेअसर, किसानों की मेहनत पर फिरा पानी, लागत निकलना
By: Gulab rohit
Aug 19, 20258 hours ago
गंजबासौदा। इस बार सोयाबीन की फसल किसानों के लिए संकट का कारण बन गई है। लगातार बारिश से खेतों में पानी भर जाने से फसल दब गई है। दूसरी और, पीला मोजेक रोग और इल्ली का प्रकोप भी बढ़ रहा है। कीटनाशक दवाओं का असर न होने से किसान चिंता में हैं। भरी गांव के किसान राजाराम कुशवाहा और शिवनारायण शर्मा ने बताया कि उन्होंने चार बीघा में सोयाबीन बोई थी। लेकिन खेतों में अधिक पानी भरने से पौधे दबकर खराब हो गए। इसी तरह, ग्राम के किसान विवेक शर्मा और राजू महाराज ने बताया कि उन्होंने 15 बीघा खेत करीब 8 हजार रुपए क्विंटल का बीज बाजार से खरीदकर बोया था। अब खेत में सोयाबीन की जगह खरपतवार ज्यादा दिखाई दे रहा है, जिससे नुकसान की भरपाई कठिन है। ग्राम नाहे के किसान राजेंद्र रघुवंशी और सुरेंद्र रघुवंशी ने कहा कि इस बार सोयाबीन से बेहतर पैदावार की उम्मीद थी। लेकिन लगातार बारिश और इल्ली के प्रकोप से उम्मीदें टूट गई। मजबूरी में खेतों की जल्दी कटाई करानी होगी। उन्होंने आशंका जताई कि बाहर से कटाई करने वाले मजदूर इस बार शायद न आएं। इसलिए स्थानीय मजदूरों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा।
कीटनाशक का उपयोग कर कीट प्रबंधन करें
इस स्थिति को लेकर कृषि महाविद्यालय के कीट वैज्ञानिक डॉ. योगेश पटेल ने किसानों को चेतावनी दी है कि वर्तमान मौसम इल्ली और पीला मोजेक के लिए अनुकूल है। ऐसे में किसानों को चाहिए कि वे खेतों की सतत निगरानी करें। प्रारंभिक अवस्था में ही कीटनाशक का समुचित उपयोग कर कीट प्रबंधन करें, ताकि नुकसान को कम किया जा सके। लगातार बारिश और कीट रोगों से जूझ रही सोयाबीन की फसल ने किसानों की मेहनत और लागत दोनों पर पानी फेर दिया है। अब किसानों को केवल आंशिक उत्पादन की ही उम्मीद बची है।