चुनाव आयोग और विपक्ष के बीच विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर चल रही लड़ाई और बढ़ने वाली है। इंडिया गठबंधन मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में जुट गया है। इसको लेकर मीटिंग में चर्चा भी हुई है।
By: Arvind Mishra
Aug 18, 2025just now
चुनाव आयोग और विपक्ष के बीच विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर चल रही लड़ाई और बढ़ने वाली है। इंडिया गठबंधन मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में जुट गया है। इसको लेकर मीटिंग में चर्चा भी हुई है। दरअसल, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के वोट चोरी वाले आरोप और बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष के लगातार विरोध के बीच चुनाव आयोग ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की संभावना पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर पार्टी के भीतर अभी तक कोई विचार-विमर्श नहीं हुआ है, लेकिन यदि जरूरत पड़ी तो नियमों के अनुसार कांग्रेस महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है।
भारतीय चुनाव आयोग ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ कहा कि उस पर लगाए जा रहे वोट चोरी जैसे झूठे आरोपों से न तो आयोग डरता है और न ही मतदाता। आयोग ने लोगों से अपील की कि वे संविधान में मिले अधिकार का इस्तेमाल करते हुए हर हाल में मतदान करें। साथ ही कहा कि राजनीतिक दलों का पंजीकरण चुनाव आयोग ही करता है और उसकी नजर में न कोई पक्ष है, न विपक्ष है, सभी समकक्ष हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि ऐसे झूठे आरोपों का असर न आयोग पर होगा, न ही मतदाताओं पर। चुनाव आयोग निडर होकर और निष्पक्षता से काम करता रहेगा। उन्होंने दोहराया कि आयोग का काम राजनीति करने वालों से प्रभावित हुए बिना सभी मतदाताओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना है। आयोग ने जानकारी दी कि अब तक 28,370 मतदाता अपने दावे और आपत्तियां दर्ज करा चुके हैं। इसके लिए समयसीमा 1 अगस्त से 1 सितंबर तक है।
बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक चार महीने पहले चुनाव आयोग ने राज्य की मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू किया है, जिसका विपक्षी दल कड़ा विरोध कर रहे हैं। इस मुद्दे पर संसद के मानसून सत्र में भी बहस छिड़ गई है और मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है। लेकिन विपक्ष का आरोप है कि इस कदम से दस्तावेजों की कमी के कारण करोड़ों पात्र मतदाता वोट देने के अधिकार से वंचित हो सकते हैं।
हाल ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह बिहार में मतदाता सूची से हटाए गए करीब 65 लाख नामों का पूरा विवरण सार्वजनिक करे और साथ ही यह भी बताए कि किन कारणों से उन्हें हटाया गया। आयोग ने अदालत को आश्वासन दिया है कि वह इस पर अमल करेगा।