यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उसुर्ला वॉन डेर लेयेन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में कई आरोपों को शामिल किया गया था। इनमें कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीन निमार्ता फाइजर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ निजी तौर पर टेक्स्ट मैसेजिंग, यूरोपीय संघ के धन का दुरुपयोग और जर्मनी और रोमानिया में चुनावों में हस्तक्षेप शामिल था।
By: Sandeep malviya
Jul 10, 202515 hours ago
स्ट्रासबर्ग। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उसुर्ला वॉन डेर लेयेन को बड़ी राहत मिली है। उनके खिलाफ दक्षिणपंथी यूरोपीय सांसदों द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को मतदान में खारिज हो गया। फ्रांस के स्ट्रासबर्ग में यूरोपीय संसद के पूर्ण सत्र के दौरान 18 सांसदों द्वारा मतदान में भाग न लेने के कारण प्रस्ताव 360-175 मतों से खारिज हो गया। मतदान के दौरान उसुर्ला उपस्थित नहीं थी। 2024 में उसुर्ला वॉन डेर लेयेन यूरोपीय आयोग की दूसरी बार अध्यक्ष बनीं थीं।
अविश्वास प्रस्ताव में वॉन डेर लेयेन के खिलाफ कई आरोपों को शामिल किया गया था। इनमें कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीन निमार्ता फाइजर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ निजी तौर पर टेक्स्ट मैसेजिंग, यूरोपीय संघ के धन का दुरुपयोग और जर्मनी और रोमानिया में चुनावों में हस्तक्षेप शामिल था।
इस दौरान, अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले रोमानिया एमईपी घोरघे पिपेरेया ने कोविड के दौरान फाइजर की सीईओ अल्बर्ट बौर्ला के साथ चैट को लेकर वॉन डेर लेयेन की पारदर्शिता की कमी की आलोचना की। पिपेरेया ने यूरोपीय आयोग पर रोमानिया के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया।
उसुर्ला ने कही थी यह बात
वहीं, इससे पहले मंगलवार को यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उसुर्ला वॉन डेर लेयेन ने खुद के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव से पहले अपना बचाव किया था। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा था कि राजनीतिक विरोधी उनके और कोविड-19 महामारी को लेकर साजिश रच रहे हैं। लेयेन ने कहा था कि यूरोपीय संघ की कार्यकारी शाखा के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश करने वाले सांसद कट्टर दक्षिणपंथी हैं। उनका मकसद संसद में यूरोप समर्थक राजनीतिक समूहों के बीच फूट डालना है। फ्रांस के स्ट्रासबर्ग में एक पूर्ण सत्र के दौरान उन्होंने कहा, 'हम कभी भी चरमपंथियों को इतिहास को फिर से लिखने नहीं दे सकते।'
टीका मामले में लगे यह आरोप
साल 2021 में यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने यूरोपीय आयोग से कोविड टीकों को लेकर समझौतों का पूरा विवरण मांगा था, लेकिन आयोग केवल कुछ अनुबंधों और दस्तावेजों तक आंशिक पहुंच प्रदान करने के लिए सहमत हुआ, जिन्हें संशोधित संस्करणों में आॅनलाइन रखा गया था। इसने यह बताने से भी इनकार कर दिया कि उसने अरबों खुराकों के लिए कितना भुगतान किया, यह तर्क देते हुए कि गोपनीयता कारणों से अनुबंधों को संरक्षित किया गया था। इस पर यूरोपीय संघ की अदालत ने भी कहा था कि यूरोपीय आयोग ने महामारी के दौरान दवा कंपनियों के साथ किए गए कोविड-19 वैक्सीन खरीद समझौतों के बारे में जनता को पर्याप्त जानकारी नहीं दी।