राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा-दो बालिग अपनी मर्जी से लिव-इन में रह सकते हैं। भले ही उनकी विवाह योग्य उम्र के न हो। कोटा के 18 वर्षीय युवती और 19 वर्षीय युवक की सुरक्षा याचिका पर कोर्ट ने कहा कि लिव-इन प्रतिबंधित नहीं है। पुलिस दोनों को सुरक्षा मुहैया कराए।
By: Arvind Mishra
Dec 05, 202512:43 PM
जयपुर। स्टार समाचार वेब
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा-दो बालिग अपनी मर्जी से लिव-इन में रह सकते हैं। भले ही उनकी विवाह योग्य उम्र के न हो। कोटा के 18 वर्षीय युवती और 19 वर्षीय युवक की सुरक्षा याचिका पर कोर्ट ने कहा कि लिव-इन प्रतिबंधित नहीं है। पुलिस दोनों को सुरक्षा मुहैया कराए। दरअसल, हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप पर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत का कहना है कि अगर किसी लड़का और लड़की की शादी की उम्र नहीं हुई है, तो भी वो चाहें तो लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं। कोटा की 18 वर्षीय युवती और 19 वर्षीय युवक ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अनूप ढांड ने यह फैसला सुनाया है।
वकील ने रखी दलील
राजस्थान हाईकोर्ट में मौजूद सरकारी वकील विवेक चौधरी ने बताया कि लड़का और लड़की की अभी शादी की उम्र नहीं हुई है। लड़का 21 साल से छोटा है और लड़की भी 18 साल से कम उम्र की है। ऐसे में दोनों को लिव-इन में रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
अदालत ने वकील के तर्क को खारिज करते हुए कहा-अनुच्छेद 21 के तहत सभी को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार है। ऐसे में याचिकाकर्ता पर कोई भी खतरा संवैधानिक उल्लंघन माना जाएगा। याचिकाकर्ता विवाह के योग्य नहीं है, सिर्फ यह कहकर उन्हें मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं रखा जा सकता है। लिव-इन रिलेशनशिप न तो अवैध है और न ही भारतीय कानून के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।
एक नजर में पूरा मामला
यह कपल आपसी समहति से लिव-इन में रह रहा था। याचिकाकर्ता के अनुसार, कपल 27 अक्टूबर 2025 से लिव-इन में है। मगर, लड़की के परिवार वाले इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कपल को जान से मारने की धमकी दी है। इसके संदर्भ में कपल ने पुलिस सुरक्षा की मांग की है। कपल का कहना है कि कोटा पुलिस को लिखित आवेदन देने के बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अदालत ने भीलवाड़ा और जोधपुर पुलिस को आदेश दिया है कि कपल को सुरक्षा मुहैया करवाई जाए।