वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन,क्लाइमेट सेंट्रल और रेड क्रॉस, खामोश हत्याए
By: Sandeep malviya
May 30, 20254:42 PM
वॉशिंगटन। दुनिया भर की आधी आबादी ने इस बार मई 2024 से मई 2025 तक एक महीने ज्यादा भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा। इसके चलते लोग बीमार पड़े, मौतें हुई, फसलें बर्बाद हुईं, ऊर्जा और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर दबाव पड़ा। वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन, क्लाइमेट सेंट्रल और रेड क्रॉस की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन सबकी सबसे बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूं तो बाढ़ और चक्रवात अक्सर सुर्खियों में छाए रहते हैं, लेकिन गर्मी यकीनन सबसे घातक घटना है। गर्मी से होने वाली मौतें रिपोर्ट नहीं की जाती हैं या उन्हें हृदय रोग या किडनी फेलियर जैसी अन्य बीमारियों के नाम पर गलत तरीके से दर्ज किया जाता है।
भीषण गर्मी वाले दिनों की संख्या बढ़ी
वैज्ञानिकों ने इस पर शोध किया कि जलवायु परिवर्तन ने अत्यधिक गर्मी की घटना में तापमान को कितना बढ़ाया और गणना की कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसा होने की संभावना कितनी अधिक थी। वैज्ञानिकों को पता चला कि सभी देशों में जलवायु परिवर्तन के बिना दुनिया की तुलना में अत्यधिक गर्मी वाले दिनों की संख्या कम से कम दोगुनी हो गई है। रिपोर्ट में पता लगा कि कैरेबियाई द्वीप अत्यधिक गर्मी के दिनों से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। संयुक्त राज्य अमेरिका के एक क्षेत्र प्यूर्टो रिको ने 161 दिनों तक अत्यधिक गर्मी झेली। जबकि जलवायु परिवर्तन के बिना केवल 48 दिन ही ज्यादा गर्मी पड़ती।
गर्मी की लहर में लोग सड़क पर नहीं मरते
रिपोर्ट के लेखकों में से एक इंपीरियल कॉलेज लंदन में जलवायु विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर फ्रेडरिक ओटो ने कहा कि गर्मी की लहरें खामोश हत्याएं हैं। गर्मी की लहर में लोग सड़क पर नहीं मरते। लोग या तो अस्पतालों में मरते हैं या खराब तरीके से इंसुलेटेड घरों में और इसलिए उन्हें देखा नहीं जाता।
जलवायु परिवर्तन से बढ़ रहा तापमान
रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च में मध्य एशिया, फरवरी में दक्षिण सूडान और पिछले जुलाई में भूमध्य सागर में हुई भीषण गर्मी की घटनाओं का कारण बढ़ता तापमान था। यह भी जलवायु परिवर्तन के कारण संभव हुआ। पिछले जुलाई में मोरक्को में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के बाद कम से कम 21 लोगों की मौत हो गई थी।
चेतावनी प्रणालियों को बढ़ाने की जरूरत
रेड क्रॉस रेड क्रिसेंट क्लाइमेट सेंटर में शहरी और एट्रिब्यूशन के प्रमुख रूप सिंह ने कहा कि लोग देख रहे हैं कि तापमान बढ़ रहा है, लेकिन यह नहीं जानते कि यह जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए हमें बेहतर पूर्व चेतावनी प्रणालियों, ताप कार्रवाई योजनाओं और शहरी क्षेत्रों में ताप के लिए दीर्घकालिक योजना के माध्यम से अपने प्रत्युत्तर को तेजी से बढ़ाने की जरूरत है। वैज्ञानिकों ने कहा कि जीवाश्म ईंधनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किए बिना गर्मी की लहरें और अधिक गंभीर तथा लगातार होती रहेंगी। इसके बाद गर्मी से बचाव के उपाय भी अपनी प्रभावशीलता खो देंगे।