शिव को प्रिय श्रावण की शुरुआत शुक्रवार को मंगलकारी आयुष्मान, सौभाग्य और प्रीति योग में हो गई। शुक्रवार को सुबह से ही शिव मंदिरों में हर...हर...महादेव की गूंज सुनाई देने लगी। प्रदेश के बडे मंदिरों में तो रात से ही भक्तों की कतार लग गई थी।
By: Arvind Mishra
Jul 11, 202525 minutes ago
भोपाल। स्टार समाचार वेब
सावन के महीने की शुरुआत आज (शुक्रवार) से शुरू हो गई है। आज सावन के पवित्र महीने का पहला दिन है और भक्तों अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए शिव मंदिरों में पहुंचकर शिवलिंगों पर जल, दूध, दही, घी, शहद और बेलपत्र अर्पित कर रहे हैं। देशभर के प्रमुख शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली. मंदिरों के दरवाजे सुबह से ही भक्तों से खचाखच भरे हुए थे। मंदिरों के बाहर घंटों लंबी लाइनें लगी रहीं, और हर...हर महादेव और बोल... बम भोले के नारों से वातावरण गूंज उठा। ज्योतिर्लिंग स्थल, जैसे उज्जैन के महाकालेश्वर, प्रयागराज के त्रिवेणी संगम के पास स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर, और सोमनाथ मंदिर में विशेष पूजाएं आयोजित की गईं। मंदिरों के आसपास भक्तों ने सुबह से ही भेंट सामग्री और पूजा सामग्रियां खरीदीं और अपने-अपने हिस्से के अनुष्ठानों में जुट गए। मंदिर प्रांगणों में सुरक्षा और व्यवस्था के लिए स्थानीय प्रशासन ने भी खास इंतजाम किए हैं ताकि पूजा करने आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की समस्या न हो। मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया गया। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई। लोग सुबह से ही मंदिर पहुंचकर जलाभिषेक करते हुए अपने परिवार की खुशहाली और स्वास्थ्य की कामना करते नजर आए। राजधानी दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित श्री गौरी शंकर मंदिर में भक्त भगवान शिव पर जल, दूध, दही, घी, शहद और बिल्वपत्र अर्पित करते दिखे। प्रयागराज में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए सुबह से ही भक्त मनकामेश्वर महादेव मंदिर में कतार में खड़े नजर आए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में स्थित शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की। सावन की यह पहली सुबह शिवभक्ति, आस्था और परंपरा की जीवंत तस्वीर लेकर आई। यह महीना ना सिर्फ धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी पूरे देश को एक सूत्र में बांधने का कार्य करता है। भक्तों में उत्साह देखते ही बनता है और पहले सोमवार के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी है। दरअसल,शिव को प्रिय श्रावण की शुरुआत शुक्रवार को मंगलकारी आयुष्मान, सौभाग्य और प्रीति योग में हो गई। इस बार किसी तिथि के क्षय न होने से यह पूरे 30 दिन का रहेगा। इसमें आने वाले चारों सोमवार को विशेष संयोग बनेंगे, जो दिन की शुभता को बढ़ाएंगे। किसी पर गजकेसरी, बुधादित्य तो किसी पर सर्वार्थ सिद्धि एवं अमृत सिद्धि जैसे दुर्लभ योग बनेंगे। पहले सोमवार पर गणेश और तीसरे पर विनायक चतुर्थी होने पर पिता महादेव और पुत्र गणेश का पूजन साथ होगा। भगवान का अलग-अलग स्वरूप में मनभावन शृंगार किया जाएगा। अलग-अलग क्षेत्र से कांवड़ यात्राएं निकलेंगी। पहले श्रावण सोमवार को गजकेसरी, दूसरे को सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि बुधादित्य योग, तीसरे सोमवार रवि योग और अंतिम सोमवार को सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा।
14 जुलाई : पहला
21 जुलाई : दूसरा
28 जुलाई : तीसरा
4 अगस्त : चौथा
12 जुलाई : जया पार्वती व्रत
16 जुलाई : कर्क संक्रांति
17 जुलाई : कालाष्टमी
23 जुलाई : श्रावण शिवरात्रि
24 जुलाई : हरियाली अमावस्या
27 जुलाई : हरियाली तीज
29 जुलाई : नाग पंचमी
5 अगस्त : पुत्रदा एकादशी
9 अगस्त : रक्षाबंधन
इधर, श्रावण माह में 80 लाख से अधिक श्रद्धालु उज्जैन आएंगे और महाकाल के दर्शन करेंगे। माह के पहले दिन शुक्रवार को भगवान महाकाल की भस्म आरती के दौरान तड़के 3 बजे मंदिर के पट खोले गए। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन किए भस्म आरती के बाद अब रात शयन आरती तक दर्शन का सिलसिला लगातार जारी रहेगा।
वीरभद्र जी के कान में स्वस्ति वाचन कर, घंटी बजाकर, भगवान से आज्ञा लेकर सभा मंडप वाले चांदी के पट खोले गए और कर्पूर आरती की। नंदी हाल में नंदी जी का स्नान,ध्यान, पूजन किया गया। जल से भगवान महाकाल का अभिषेक करने के बाद दूध, दही, घी, शकर, शहद फलों के रस से बने पंचामृत से पूजन किया गया। भगवान महाकाल का रजत चंद्र, त्रिशूल, मुकुट, आभूषण के साथ, भांग, चन्दन, ड्रायफ्रूट से श्रृंगार कर भस्म चढ़ाई गई।
भगवान महाकाल ने शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुंडमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ सुगन्धित पुष्प की माला धारण की। फल और मिष्ठान का भोग लगाया। श्रावण माह के पहले दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु भस्म आरती के बाद से पहुंचना शुरू हो गए थे। चलायमान आरती में भी श्रद्धालुओं ने भस्म आरती कर बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया। महा निर्वाणी अखाड़े की ओर से महाकाल को भस्म अर्पित की गई।