By: Arvind Mishra
Jul 11, 2025just now
मध्यप्रदेश में मानसून आ चुका है। प्रदेश में लगातार जल-भराव, घर ढहने जैसी खबरें लगातार सामने आ रही हैं। वहीं दीवारों में दरारें, सीलन से भीगी ईंटें और स्कूलों में कक्षाएं जो खंडहरों जैसी नजर आ रही हैं। दरअसल, यह किसी प्राकृतिक आपदा के बाद की तस्वीरें नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश के हजारों सरकारी स्कूलों की कड़वी हकीकत है। सरकार की ओर से स्कूली शिक्षा के लिए इस साल 3,000 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया था, लेकिन जमीनी हकीकत इस राशि के प्रभाव से बिल्कुल अछूती दिखती है। जर्जर ढांचे, अधूरी मरम्मत और वादों के मलबे के बीच स्कूलों में पढ़ाई हो रही है। आलम यह है कि बच्चे किताबों से कम और छत से ज्यादा डर रहे हैं। इधर, स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताव सिंह का कहना है कि यह बात सही है कि स्कूलों में खामियां हैं। मरम्मत के लिए वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति का इंतजार है। कुछ बजट विभाग के पास है जिससे जल्द ही मरम्मत का काम शुरू होगा। जर्जर स्कूलों के बच्चों को दूसरी जगहों पर शिफ्ट भी किया जाएगा। सरकार इसे लेकर चिंतित है। जल्द काम पूरा होगा।
स्कूलों की बदहाली की कहानी राजधानी की नाक के नीचे से ही शुरू होती है। भोपाल का जहांगीरिया स्कूल। ये स्कूल अब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। 1830 में बनी और 1901 से शिक्षा का केंद्र रही इस इमारत की दीवारों से आज पानी टपकता है, प्लास्टर झड़ चुका है। छत कभी भी गिर सकती है। सबसे बड़ी बात यह है कि ये वही स्कूल है, जहां भारत के पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा पढ़े थे, जिनकी तस्वीर अब एक सीलन भरी दीवार पर लटकी है। कुछ महीने पहले एक कक्षा की छत का हिस्सा अचानक ढह गया। बाहर एक पोस्टर चिपका है- यह मंजिल असुरक्षित है, लेकिन क्लास अब भी उसी मंजिल में लगती है।
जिम्मेदारों की अनदेखी और उदासीनता के चलते भोपाल का सुल्तानिया स्कूल भी अब कमजोर ढांचे में तब्दील हो चुका है। 50 साल पुरानी इस इमारत में बारिश के दौरान छत टपकती है। दीवारें रिसती हैं। बिजली की तारें खुलकर लटकती हैं। स्कूल का निचला तल पूरी तरह बंद कर दिया गया है। हालांकि इसका कोई सरकारी आदेश नहीं आया, बल्कि ये निर्णय स्कूल प्रशासन ने बच्चों की सुरक्षा के लिए लिया है। पुरानी इलेक्ट्रिक फिटिंग बड़े हादसे को न्योता देती है। कई सालों की चिट्ठियां, निवेदन और रिमाइंडर दर्ज हैं। दो साल पहले पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर ने साफ शब्दों में कहा था कि ये भवन असुरक्षित है, इसे गिराकर दोबारा बनाया जाना चाहिए।
मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ में भी बारिश के बाद एक पुराना स्कूल भवन भरभराकर गिर पड़ा। गनीमत रही कि ये स्कूल पहले से बंद था और कोई बच्चा मौजूद नहीं था, लेकिन यह घटना इस बात का संकेत है कि मध्यप्रदेश में ऐसे कई स्कूल हैं, जो अब केवल दुर्घटना के इंतजार में खड़े हैं।
इधर, मप्र के गुना जिले के बमोरी विकासखंड के ग्राम सांगई स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय, मारकी महू में लंबे समय से टपरे के नीचे कक्षाएं संचालित हो रही है। जैसे ही इस विद्यालय की जर्जर हालत और बच्चों की दयनीय पढ़ाई व्यवस्था की जानकारी केंद्रीय मंत्री एवं स्थानीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिली, उन्होंने इस गंभीर विषय पर तुरंत संज्ञान लिया और आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने गुना कलेक्टर को फोन कर विद्यालय भवन निर्माण कार्य को प्राथमिकता पर लेकर शीघ्र शुरू करने के निर्देश दिए। जहां कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने केंद्रीय मंत्री को आश्वस्त किया कि विद्यालय भवन का निर्माण कार्य अगले एक-दो दिनों में प्रारंभ कर दिया जाएगा। प्रशासन ने स्थल का निरीक्षण कर जरूरी तैयारियाँ भी शुरू कर दी हैं।
मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के जाल्यापानी में एक प्राइमरी स्कूल की हालत बहुत खराब है। स्कूल में छत नहीं है। बच्चे बारिश में किसी के घर में पढ़ने को मजबूर हैं। यह समस्या कई सालों से बनी हुई है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है। यह स्कूल बड़वानी के खेतिया क्षेत्र में जाल्यापानी पंचायत के फुलजी फल्या में है। इस प्राइमरी स्कूल की छत पूरी तरह से गायब है। सिर्फ दीवारें ही खड़ी हैं, और वे भी जर्जर हालत में हैं। दीवारों पर नमी के कारण काई जम गई है। दीवारों का रंग भी हरा और काला पड़ गया है। बारिश के मौसम में बच्चों को एक स्थानीय व्यक्ति के घर में पढ़ाया जाता है। वहां भी बच्चों के बैठने की अच्छी व्यवस्था नहीं है। स्कूल में पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं है। शौचालय टूटे हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षक भी नियमित रूप से स्कूल नहीं आते हैं।
मध्यप्रदेश का दतिया जिला राज्य के पूर्व गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का गृह जिला है। हैरानी की बात यह है कि जिले में 212 जर्जर स्कूल भवन हैं। इनकी मरम्मत के लिए राशि अभी स्वीकृत नहीं हुई है। हालांकि 56 स्कूल भवनों की राशि स्वीकृत हो चुकी है। जिसकी मरम्मत का कार्य जल्द शुरू हो जाएगा। सात दिन के अंदर रिपोर्ट 56 स्कूल के प्रभारियों से तलब की गई। दरअसल, मेथानापाली के स्वत्रंतपुरा प्राथमिक स्कूल भवन की छत गिरने के बाद जिला शिक्षा केंद्र ने जर्जर स्कूल भवनों की सूची तैयार की है। अब इन स्कूल भवनों की मरम्मत की तैयारी में विभाग जुट गया है। उधर, कलेक्टर स्वप्निल वानखेड़े ने शिक्षा विभाग और जिला शिक्षा केंद्र के अधिकारियों को जर्जर स्कूल भवनों की मरमत करने के निर्देश दिए हैं।