सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार फिल्म उदयपुर फाइल्स की रिलीजिंग पर सुनवाई की है। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के द्वारा गठित किए गए पैनल की रिपोर्ट आने तक फिल्म को रिलीज न करने का आदेश दिया है। दरअसल, कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म उदयपुर फाइल्स की रिलीज पर सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत कोई आदेश देने से मना कर दिया है।
By: Arvind Mishra
Jul 16, 20259 hours ago
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार फिल्म उदयपुर फाइल्स की रिलीजिंग पर सुनवाई की है। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के द्वारा गठित किए गए पैनल की रिपोर्ट आने तक फिल्म को रिलीज न करने का आदेश दिया है। दरअसल, कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म उदयपुर फाइल्स की रिलीज पर सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत कोई आदेश देने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सभी पक्ष पहले केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्रालय की तरफ से गठित कमिटी के सामने अपनी बात रखें। सुप्रीम कोर्ट सोमवार, 21 जुलाई को मामला सुनेगा। वहीं फिल्म निर्माता के वकीलों ने निर्माता-निर्देशक और दिवंगत कन्हैयालाल के बेटे को मिल रही हत्या की धमकी का भी हवाला दिया। इस पर कोर्ट ने कहा कि सभी लोग अपने क्षेत्र की पुलिस को सुरक्षा का आवेदन दें। पुलिस स्थिति के मुताबिक निर्णय ले।
जून 2022 में उदयपुर में दर्जी का काम करने वाले कन्हैयालाल की गला काट कर निर्मम हत्या हुई थी। उस दिनों पैगम्बर मोहम्मद के बारे में भाजपा नेता नूपुर शर्मा के एक बयान को लेकर काफी विवाद चल रहा था। कन्हैयालाल ने नूपुर का समर्थन करने वाला पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर किया था। इसलिए मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने उन्हें मार डाला। आरोप है कि कई और लोगों ने हत्या में सहयोग किया।
10 जुलाई को दिल्ली हाई कोर्ट ने जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका को सुनते हुए फिल्म की रिलीज रोक दी थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार सिनेमेटोग्राफी एक्ट की धारा 6 के तहत मामले पर विचार कर फैसला ले। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ निर्माता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। इसके अलावा कन्हैयालाल हत्याकांड के एक आरोपी जावेद ने भी याचिका दायर कर फिल्म की रिलीज रोकने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत और जोयमाल्या बागची की बेंच के सामने फिल्म निर्माता की तरफ से वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया और वकील सैयद रिजवान अहमद ने बहस की। जमीयत की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और मोहम्मद जावेद की तरफ से मेनका गुरुस्वामी ने जिरह की।
निर्माता के वकील गौरव भाटिया ने कहा कि सिनेमा हॉल में फिल्म के प्रदर्शन को आखिरी मौके पर रोक दिया गया। इससे निर्माताओं को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस पर जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि दूसरा पक्ष फिल्म से सामाजिक सौहार्द के नुकसान की दलील दे रहा है। आर्थिक नुकसान की भरपाई हो सकती है, लेकिन सामाजिक नुकसान की भरपाई मुश्किल है।
सुनवाई के दौरान जजों ने साफ किया कि वह फिल्म पर अपनी तरफ से कोई विचार नहीं रख रहे हैं, न ही हाई कोर्ट ने भी ऐसा किया। हाई कोर्ट ने वैधानिक प्रावधानों के मुताबिक मामला केंद्र सरकार पर छोड़ दिया। सूचना-प्रसारण मंत्रालय की कमिटी मामले पर विचार करेगी। फिल्म निर्माता, जमीयत उलेमा ए हिंद और हत्या केस के आरोपी मोहम्मद जावेद के प्रतिनिधि वहां जाकर अपनी बात रखें।
फिल्म निर्माता ने अनुरोध किया कि सुप्रीम कोर्ट कमिटी से 24 घंटे में फैसला लेने को कहे, लेकिन कोर्ट ने सिर्फ यही कहा कि कमिटी जल्द फैसला लेने का प्रयास करे। सुनवाई के दौरान जमीयत के वकील कपिल सिब्बल ने फिल्म में मुसलमानों को गलत तरीके से दिखाए जाने की दलील दी। इस पर निमार्ता के वकील रिजवान अहमद ने कहा कि फिल्म में इस्लाम के खिलाफ कुछ नहीं कहा गया है। मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों को गलत दिखाना इस्लाम का विरोध नहीं कहा जा सकता।