मुख्यमंत्री, डॉ मोहन यादव, मध्यप्रदेश, सर्पदंश, IIFM
By: Ajay Tiwari
भोपाल. स्टार समाचार वेब.
बारिश में प्रदेश में सांप के काटने से होने वाली मौत पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने चिंता जताई है। अपेक्षा की कि सर्पदंश को बन विभाग एक एक चुनौती के रूप में लेगा। मुख्यमंत्री भारतीय वन प्रबंध संस्थान (IIFM) में वन विकास निगम की 50वीं वर्षगांठ पर हुए कार्यक्रम में बोल रहे थे।
सांपों की गिनती की प्रक्रिया नहीं
मुख्यमंत्री ने इस बात पर हैरानी जताई कि देश में साँपों की गिनती की कोई प्रक्रिया नहीं है, यह जानकारी उन्हें पूरे देश में पूछने पर मिली। उन्होंने वन विभाग से अपील की कि वे सर्पदंश को एक चुनौती के रूप में लें और इसे रोकने के लिए सभी संभावित बचाव उपाय करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि वन्यजीवों के साथ-साथ जनता की जान भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
भविष्य की संभावनाएं... मुख्यमंत्री ने वन विकास निगम की 50 साल की यात्रा को गौरवपूर्ण बताया और कहा कि निगम को अब न केवल मध्य प्रदेश में, बल्कि महाराष्ट्र में भी काम मिल रहा है। उन्होंने निगम को अपनी भविष्य की संभावनाओं को और टटोलने तथा "अगली छलांग और बड़ी लगाने" का संकल्प लेने का आह्वान किया।
वन संपदा का सदुपयोग .... मुख्यमंत्री ने जोधपुर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां से आम और बबूल के फर्नीचर का बड़े पैमाने पर निर्यात हो रहा है, जबकि मध्य प्रदेश में उन्नत श्रेणी का सागौन जैसी कीमती लकड़ी मौजूद है, जिसे अक्सर जलाऊ लकड़ी के रूप में देखा जाता है। उन्होंने वन विकास निगम से सागौन और अन्य वन उत्पादों से फर्नीचर बनाकर वैश्विक बाजार में निर्यात की संभावनाओं पर काम करने का आग्रह किया। उनका मानना है कि अगर मध्य प्रदेश सागौन का फर्नीचर निर्यात करे तो दुनिया अचंभित रह जाएगी।
घने वनों पर गर्व... मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्हीं वनों के कारण हम हिमालय की जलधाराओं से भी बराबरी कर पाते हैं, क्योंकि ये वन हमारी जलधाराओं को मजबूत करते हैं। कार्यक्रम में वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार, वन विभाग के एसीएस अशोक वर्णवाल, और वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव ने भी अपने विचार रखे।