गंजबासौदा। शासकीय संजय गांधी स्मृति स्नातकोत्तर महाविद्यालय (एसजीएस कॉलेज) की बाउंड्रीवाल निर्माण का मामला एक साल से अटका हुआ है। कॉलेज प्रशासन, जनभागीदारी समिति और लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) द्वारा बार-बार पत्राचार करने के बावजूद उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त कार्यालय से अब तक स्वीकृति नहीं मिली है। इससे कॉलेज के पुराने और नए दोनों भवनों के साथ पूरे परिसर पर संकट मंडराने लगा है। 2013 में जनभागीदारी समिति ने 24 लाख 18 हजार रुपये की लागत से लोक निर्माण विभाग के माध्यम से बाउंड्रीवाल बनवाई थी। उस दौरान भी महाविद्यालय की भूमि पर अतिक्रमण की स्थिति बनी थी। बाउंड्री बनने के बाद कुछ समय तक तो सुरक्षा बनी रही। धीरे-धीरे असामाजिक तत्वों ने दीवार को कई जगह से तोड़ दिया। नतीजा यह हुआ कि परिसर फिर से अतिक्रमण की चपेट में आ गया।
सार्वजनिक रास्ते पर कब्जे
जहां-जहां बाउंड्रीवाल नहीं बनी, वहां स्थानीय लोगों ने सार्वजनिक रास्ते बना लिए हैं। जो हिस्से बने भी थे, उन्हें कई बार तोड़कर रास्ते खोल दिए गए। महाविद्यालय प्रबंधन ने कई बार रास्ते बंद करवाए। हर बार उन्हें तोड़ दिया गया। पूर्व विधायक लीना जैन ने मुख्य गेट निर्माण के लिए निधि दी थी। आज तक मुख्य गेट भी तैयार नहीं हो सका। छात्र संगठनों का कहना है कि यदि जल्द ही बाउंड्रीवाल का निर्माण नहीं हुआ तो कॉलेज की जमीन पूरी तरह से अतिक्रमण की जद में आ जाएगी। कॉलेज प्रशासन का कहना है कि प्रस्ताव पर स्वीकृति और राशि जारी होने का इंतजार किया जा रहा है। अब सवाल यह है कि आखिर कब तक एसजीएस कॉलेज की बाउंड्रीवाल फाइलों में उलझी रहेगी और परिसर असुरक्षित स्थिति में रहेगा।
असुरक्षित परिसर, बढ़ता अतिक्रमण
कॉलेज परिसर की बाउंड्री अधूरी और जगह-जगह टूटी होने से यहां असामाजिक गतिविधियों का गढ़ बन गया है। रात के समय परिसर नशेड़ियों का अड्डा बना रहता है। कई बार छात्र संगठनों ने सुरक्षा की मांग को लेकर ज्ञापन भी दिए। स्थिति जस की तस है। पुराने और नए भवनों पर असामाजिक तत्व लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं।
विश्व बैंक परियोजना से तैयार हुआ नया प्रस्ताव
बाउंड्रीवाल की जर्जर स्थिति को देखते हुए महाविद्यालय प्रबंधन ने विश्व बैंक वित्त पोषित परियोजना (एमपीएचइकिप) के तहत 480 मीटर बाउंड्रीवाल निर्माण और रिपेयरिंग का प्रस्ताव तैयार कराया। लोक निर्माण विभाग, जिला विदिशा के कार्यपालन यंत्री ने 25 जुलाई 2024 को 35.97 लाख रुपये का विस्तृत प्राक्कलन और तकनीकी स्वीकृति प्रदान की। सभी दस्तावेज भोपाल स्थित स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टोरेट, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान कार्यालय को भेज दिए गए।
35 लाख का संशोधित प्रस्ताव
शुरुआत में 30 लाख की तकनीकी स्वीकृति मिली थी। लागत बढ़ने से संशोधित प्रस्ताव 35 लाख रुपये का भेजना पड़ा। यह संशोधित प्रस्ताव एक साल से उच्च शिक्षा विभाग की फाइलों में लंबित है। यह प्रस्ताव लोनिवि के माध्यम से भोपाल भेजा गया। अब तक न स्वीकृति मिली और न ही राशि जारी हुई।
रितुज ऐलिया, अध्यक्ष, जनभागीदारी समिति एसजीएस कॉलेज, गंजबासौदा।