कभी टूटी हुई उम्मीदों के सहारे जी रही केन्द्रीय जेल भोपाल की महिलाएं अब सपनों को नया आकार दे रही हैं। केंद्रीय जेल के महिला वार्ड में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में जब इन महिला बंदियों ने रंगों और शब्दों के जरिये अपनी जिंदगी को कागज पर उकेरा, तो वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें गर्व से नम हो गई।
By: Arvind Mishra
Jul 18, 2025just now
कभी टूटी हुई उम्मीदों के सहारे जी रही केन्द्रीय जेल भोपाल की महिलाएं अब सपनों को नया आकार दे रही हैं। केंद्रीय जेल के महिला वार्ड में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में जब इन महिला बंदियों ने रंगों और शब्दों के जरिये अपनी जिंदगी को कागज पर उकेरा, तो वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें गर्व से नम हो गई। दरअसल, यह कार्यशाला मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग और तिनका-तिनका फाउंडेशन के सहयोग से टीवी और समाचार पत्रों के माध्यम से सुधार और व्यक्तित्व विकास विषय पर आयोजित की गई थी। कार्यशाला में महिला बंदियों ने न सिर्फ संवाद के गुर सीखे बल्कि आत्मविश्लेषण, सुधार और एक बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर होने का संकल्प भी लिया। कार्यशाला में महिलाओं ने जेल में सपना, जेल में उत्सव, जेल में रेडियो जैसे विषयों पर चित्र बनाकर अपने मन की स्थिति को व्यक्त किया। कार्यशाला में डीआईजी जयश्री पटेल, जेल अधीक्षक राकेश भांगरे, और आनंद विभाग के संचालक प्रवीण गंगराड़े भी उपस्थित रहे।
पुतलीबाई, जो कभी अनपढ़ थीं, आज अखबार पढ़ती हैं, टीवी समाचार देखती हैं और चित्र बनाना जानती हैं। भावुक होकर उन्होंने कहा-मेरा जीवन बहुत कठिन था। लेकिन यहां मैंने पढ़ना, चित्र बनाना और अपने भीतर छिपी शक्ति को पहचानना सीखा है। परिवार में औरत की जिंदगी कहीं ज्यादा कठिन होती है। यहां मुझे आजादी महसूस होती है।
कल्पना, जो किन्नर समुदाय से हैं, ने कहा-बाहर हमारे साथ भेदभाव होता है। यहां नहीं। यहां पढ़ाई की, कुछ नया करने की प्रेरणा मिली। अब मैं बाहर जाकर फैशन डिजाइनर बनना चाहती हूं।
सुनीता बाई ने अपने भीतर के पश्चाताप को शब्द दिए मुझसे गलती हुई, उसका पछतावा है। यहां रहकर मैंने बागवानी सीखी है। अब बाहर जाकर खेती करूंगी और अपने बच्चों का पालन-पोषण करूंगी।
कार्यक्रम की सूत्रधार और तिनका-तिनका फाउंडेशन की अध्यक्ष वर्तिका नंदा ने कहानियों और संवाद के जरिए महिलाओं को संदेश दिया कि हर परिस्थिति में डटे रहना ही असली नारी शक्ति है। सीखते रहना, आगे बढ़ते रहना ही जीत है।
राज्य महिला आयोग के सदस्य सचिव सुरेश तोमर ने बताया कि महिला बंदियों के लिए आयोग द्वारा कौशल विकास के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं और आगे भी प्रदेश में इन्हें विस्तारित किया जाएगा। यह आयोजन सिर्फ एक कार्यशाला नहीं, बल्कि उन जिंदगियों की कहानी है जो तिनका-तिनका जोड़कर खुद को फिर से गढ़ रही हैं। जहां दीवारें हैं, वहीं नए रास्ते भी हैं। जहां सजा है, वहीं पुनर्जन्म भी।