रिकॉर्ड 40 दिन बाद अमेरिकी सरकार को फिर से खोलने की सहमति से कच्चे तेल की कीमतों में 0.98% का उछाल आया। हालांकि, ऊर्जा विशेषज्ञों ने कहा है कि मांग में स्थिर वृद्धि के अभाव में तेल बाजार में व्यापक मंदी का दृष्टिकोण बना रहेगा। जानें विशेषज्ञों की राय।
By: Ajay Tiwari
Nov 10, 20254:34 PM
नई दिल्ली. स्टार समाचार वेब
अमेरिका में सरकारी कामकाज फिर से शुरू होने की खबरों के बीच कच्चे तेल की कीमतों में लगातार दूसरे कारोबारी सत्र में बढ़त दर्ज की गई। सोमवार को कच्चे तेल की कीमतें 0.98 प्रतिशत बढ़कर 60.20 डॉलर प्रति बैरल पर पहुँच गईं। बाजार ने इस वृद्धि को अमेरिकी अर्थव्यवस्था में नीतिगत अनिश्चितता में कमी आने के संकेत के रूप में देखा। इस तेजी को इस आशावाद से बल मिला कि शटडाउन के समाधान से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में विश्वास बहाल होगा।
अमेरिकी सीनेटरों ने रविवार को रिकॉर्ड 40 दिनों के आंशिक बंद के बाद सरकार को फिर से खोलने पर सहमति व्यक्त की। इस समझौते के तहत, सरकार को 30 जनवरी तक के लिए वित्त पोषण मिलेगा। यह कदम कम से कम आठ सीनेट डेमोक्रेट्स के समर्थन से उठाया गया है, और इसमें दिसंबर में 'अफोर्डेबल केयर एक्ट' सब्सिडी बढ़ाने पर मतदान भी शामिल है। सीनेट द्वारा जल्द ही इस प्रस्ताव पर मतदान किए जाने की उम्मीद है।
अल्पकालिक सुधार के बावजूद, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि व्यापक तेल बाजार के लिए समग्र दृष्टिकोण मंदी का बना हुआ है। ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने स्पष्ट किया, "जब तक हम मांग में एक स्थिर वृद्धि नहीं देखते, तब तक तेल की कीमतों में मंदी का रुख कायम रहेगा।" उनके अनुसार, शटडाउन समाप्त होने की उम्मीद से बाजार की धारणा में सुधार और कीमतों में मामूली वृद्धि हो सकती है। हालांकि, बाजार की व्यापक धारणा तब तक मंदी की ही रहेगी जब तक कि मांग में उल्लेखनीय वृद्धि न हो जाए या भू-राजनीतिक अथवा प्राकृतिक कारणों से आपूर्ति में कोई बड़ा व्यवधान न आए। बाजार सहभागियों ने सीनेट डेमोक्रेट्स के सरकार को दोबारा खोलने और कई विभागों को अगले वित्तीय वर्ष तक वित्त पोषित करने के समझौते को नीतिगत अनिश्चितता में कमी के संकेत के रूप में लिया है।
कहा जा रहा है कि इस उछाल के बावजूद, आपूर्ति पक्ष के निरंतर दबावों के कारण व्यापक तेल बाजार सतर्क बना हुआ है। ओपेक+ और उसके सहयोगी देशों ने दिसंबर के लिए उत्पादन में हल्की वृद्धि की है। हालांकि, उन्होंने 2026 की पहली तिमाही के दौरान और वृद्धि पर संयम बरतने का संकेत दिया है, ताकि अधिक आपूर्ति को रोका जा सके। इसके अलावा, गैर-ओपेक उत्पादकों का बढ़ता उत्पादन भी बाजार संतुलन की चिंताओं को बढ़ा रहा है।