मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश स्थापना दिवस पर सम्राट विक्रमादित्य के वीरता, न्याय और सुशासन पर आधारित महानाट्य का शुभारंभ किया। जानें इस ऐतिहासिक मंचन की भव्यता और विक्रमादित्य के गौरवशाली जीवन की गाथा।
By: Ajay Tiwari
Nov 03, 20259:49 AM
भोपाल. स्टार समाचार वेब

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि सम्राट विक्रमादित्य ने वीरता, दानशीलता, न्याय, शौर्य और सुशासन का उदाहरण प्रस्तुत किया था। लगभग दो हजार साल पहले उनके शासनकाल की विशेषताओं पर महान नाट्य का मंचन पहली बार भोपाल में हो रहा है। आज का दिन ऐतिहासिक भी है क्योंकि कलाकारों द्वारा अश्व दल के उपयोग सशस्त्र सेना के जीवंत अभिनय से मंच साकार हो उठा। वास्तविक युद्ध की परिस्थितियों का चित्रण राजधानी के दर्शकों के लिए मंचित किया गया। नाटक में सम्राट विक्रमादित्य के राज्यारोहण के दृश्य और अन्य प्रसंग अद्भुत हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार को लाल परेड ग्राउंड में म.प्र. स्थापना दिवस के दूसरे दिन आयोजित सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य मंचन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

मध्य प्रदेश के 70वें स्थापना दिवस समारोह "अभ्युदय मध्यप्रदेश" के दूसरे दिन, यह महानाट्य उज्जैन की संस्था विशाला सांस्कृतिक एवं लोकहित समिति द्वारा संजीव मालवीय के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया। इस मंचन में पारंपरिक कला के साथ आधुनिक तकनीक का अद्भुत संगम देखने को मिला
भव्यता: 150 कलाकारों द्वारा अभिनय, साथ ही ऊंट, घोड़े, हाथी, पालकी, बग्घी और अश्व दल का वास्तविक उपयोग।
मंच सज्जा: तीन अलग स्टेज पर अत्याधुनिक ग्राफिक, आश्रम और जंगल के भव्य सेट, और महाकाल मंदिर के प्रतिरूप सेट ने प्रस्तुति को जीवंत बना दिया।
जीवंतता: सशस्त्र सेना के जीवंत अभिनय और अश्व दल के तेज रफ्तार कदमताल ने वास्तविक युद्ध की परिस्थितियों का चित्रण किया, जिससे दर्शक हतप्रभ रह गए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह मंचन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विरासत के संरक्षण और विकास के मंत्र को दर्शाता है।
महानाट्य का उद्देश्य आम नागरिकों को मध्य प्रदेश के वैभवशाली अतीत और महान इतिहास पुरुषों से परिचित कराना था। डॉ. यादव ने सम्राट विक्रमादित्य के शासन की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डाला।
विक्रम संवत का प्रारंभ: उन्होंने अपने संपूर्ण भू-भाग के नागरिकों को ऋण मुक्त किया और विक्रम संवत प्रारंभ करने का ऐतिहासिक कदम उठाया।
शकारि और साहसांक: उन्होंने शकों और यवनों के आक्रमण से राष्ट्र को मुक्त कराया, 96 शक सामन्तों को पराजित किया और शकारि तथा साहसांक की उपाधियाँ धारण कीं।
नवरत्न: उनके दरबार में कालिदास, वराहमिहिर, धन्वन्तरि सहित नवरत्न थे, जो जनकल्याणकारी कार्यों में संलग्न रहते थे।
न्याय: उनकी अनोखी विवेकपूर्ण न्यायपद्धति और रात्रि गश्त का प्रसंग महत्वपूर्ण था। वे अपराध से जुड़े लोगों के गुणों को भी राष्ट्र कल्याण में उपयोग करने पर बल देते थे।
मुख्यमंत्री ने कलाकारोंसंजय मालवीय, नरेश शर्मा, राजेश सिंह और अन्य के बेजोड़ मंचन की सराहना की और समस्त दल को बधाई दी।