मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने विभाग का नया रोडमैप पेश किया। जानें 32,000 शिक्षकों की भर्ती, भोपाल में बनने वाली प्रदेश की सबसे ऊंची इमारत और शिक्षा में नवाचार की पूरी जानकारी।
By: Ajay Tiwari
Dec 22, 20256:15 PM
भोपाल. स्टार समाचार वेब
मध्य प्रदेश की सरकार अब स्कूली शिक्षा के पारंपरिक ढांचे से बाहर निकलकर एक आधुनिक और शोध-आधारित मॉडल तैयार कर रही है। स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने मीडिया के सामने शिक्षा विभाग के भावी विजन को साझा किया। मंत्री ने कहा, सरकार का लक्ष्य बच्चों को केवल साक्षर बनाना नहीं, बल्कि उन्हें जन्म से लेकर 12वीं तक इस तरह तैयार करना है कि वे भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सकें। विभाग अब केवल यूनिफॉर्म और किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि बुनियादी साक्षरता, तकनीकी कौशल और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहा है।
शिक्षा के विभाग बनाएगा 22 मंजिला इमारत
सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक राजधानी भोपाल में प्रदेश की सबसे ऊंची 22 मंजिला सरकारी इमारत का निर्माण है। यह भवन न केवल स्कूल शिक्षा विभाग के सभी कार्यालयों को एक छत के नीचे लाएगा, बल्कि इसका व्यावसायिक उपयोग कर राजस्व भी अर्जित किया जाएगा। इसके साथ ही, विभाग ने शिक्षा को जड़ों से जोड़ने के लिए राजगढ़ और नरसिंहपुर के संस्कृत विद्यालयों में गाय आधारित शोध शुरू करने का निर्णय लिया है। मंत्री के अनुसार, यदि यह अनूठा प्रयोग सफल रहता है, तो मध्य प्रदेश पूरे देश के लिए एक रोल मॉडल के रूप में उभरेगा।
शिक्षकों की बंपर भर्ती: मध्यप्रदेश में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए 32,000 नए शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू, 36,000 अतिथि शिक्षकों को मिली ज्वाइनिंग।
प्रदेश की सबसे ऊंची इमारत: भोपाल में स्कूल शिक्षा विभाग के लिए बनेगी 22 मंजिला भव्य बिल्डिंग; सभी दफ्तर होंगे एक छत के नीचे।
शिक्षा का नया मॉडल: राजगढ़ और नरसिंहपुर के संस्कृत विद्यालयों में गाय पर आधारित शोध (Cow-based Research) की अनूठी पहल।
शून्य ड्रॉपआउट का लक्ष्य: प्राथमिक स्तर पर ड्रॉपआउट दर को 6.8% से घटाकर शून्य करने का दावा; 12 स्थानीय भाषाओं में किताबें तैयार।
32 हजार शिक्षकों की भर्ती होगी MP में
शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार अगले दो वर्षों में 32,000 नए शिक्षकों की भर्ती करने जा रही है। वर्तमान में 76,000 अतिथि शिक्षकों की ज्वाइनिंग कराई जा चुकी है और उच्च माध्यमिक स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा को अनिवार्य बनाने की योजना है। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रदेश में 275 सांदीपनि और 799 पीएमश्री स्कूलों को 'मॉडल नेशनल एजुकेशन पॉलिसी' स्कूलों के रूप में विकसित किया जा रहा है। साथ ही, बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 67,000 से अधिक छात्र-छात्राओं को आत्मरक्षा का विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।
'ड्रॉपआउट' दर को कम करने में कामयाबी
छात्रों को स्कूल से जोड़े रखने के लिए 'ड्रॉपआउट' दर को कम करना सरकार की बड़ी प्राथमिकता रही है। मंत्री ने दावा किया कि प्राथमिक स्तर पर ड्रॉपआउट दर को 6.8% से घटाकर शून्य तक लाने में सफलता मिली है। इसके अलावा, तकनीकी सशक्तिकरण के तहत 94,000 छात्रों को लैपटॉप और 7,800 मेधावी छात्रों को स्कूटी वितरित की गई है। शिक्षा को आर्थिक रूप से सुलभ बनाने के लिए अब विकासखंड स्तर पर 'बुक फेयर' आयोजित किए जाएंगे, जहाँ सरकारी और निजी दोनों स्कूलों के छात्र न्यूनतम दरों पर पुस्तकें प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही, आरटीई (RTE) के तहत पढ़ने वाले 8.5 लाख बच्चों की फीस सीधे उनके खातों में जमा कर पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है।
100 फीसदी साक्षरता का लक्ष्य है
क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण के लिए सरकार ने 12 स्थानीय भाषाओं (जैसे बुंदेली, बघेली, मालवी, निमाड़ी) में 49 पाठ्यपुस्तकें तैयार करवाई हैं। मंत्री उदय प्रताप सिंह ने जोर देकर कहा कि बच्चा देश की नींव होता है, और अगले तीन वर्षों में 100% बुनियादी साक्षरता का लक्ष्य हासिल करना हमारा संकल्प है। पीपीपी मॉडल, आईसीटी लैब और एनसीसी के विस्तार के जरिए मध्य प्रदेश के शिक्षा ढांचे को एक वैश्विक पहचान देने की तैयारी पूरी कर ली गई है।