सीधी जिले के स्वास्थ्य विभाग में आउटसोर्स भर्ती घोटाले की पुष्टि कलेक्टर की जांच टीम कर चुकी है। लाखों की वसूली और रिश्वतखोरी के आरोपों के बावजूद दोषियों पर अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई। युवाओं और संगठनों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
By: Star News
Aug 24, 20259 minutes ago
हाइलाइट्स
सीधी, स्टार समाचार वेब
सीधी जिले के स्वास्थ्य विभाग में आउटसोर्स के माध्यम से की जाने वाली भर्ती में हुए बड़े घोटाले की पुष्टि जिले के प्रभारी मंत्री के आदेश के उपरांत कलेक्टर द्वारा गठित जांच टीम द्वारा की जा चुकी है और इस पुष्टि के उपरांत इस मामले के दोषी सीएमएचओ डॉ. बबिता खरे, जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. एसबी खरे एवं टीम के अन्य सदस्यों एवं सेड मैप के कर्मचारियों पर एफआईआर करने के स्पष्ट निर्देश दिए जा चुके हैं परंतु अभी तक इस मामले में जिस तरह का एक्शन हो जाना चाहिए उसमें ढुलमुल रवैया देखने को मिल रहा है। आम लोगों को इस मामले में ठोस कार्रवाई किए जाने का बेसब्री से इंतजार है। जिला चिकित्सालय सीधी में सिविल सर्जन के मार्फत आउटसोर्स कर्मचारियों में करीब 106 लोगों की नियुक्ति होने के बाद कलेक्टर द्वारा नियुक्ति निरस्त कर दी गई लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है। यह भी एक बड़ा सवाल सामने आता है। कहीं न कहीं दोषी तो विभाग के अधिकारी ही माने जा सकते हैं फिर उन पर कार्यवाही से क्यों परहेज किया जा रहा है। मालूम हो कि जिला चिकित्सालय में करीब 106 आउटसोर्स की भर्ती के लिए नियुक्ति वर्ष 2024-25 में किया गया था।
जिसमें कलेक्टर द्वारा गठित टीम के जांच उपरांत स्पष्ट तौर पर अनियमितता सामने आई है। इस मामले में गोपनीय रूप से रिश्वत देने का मामला भी सामने आया था। लाखों रुपए लेन-देन होने के बाद भी कार्यवाही से परहेज किया जा रहा है। सिविल सर्जन इस मामले में प्रमुख दोषी माने जा सकते हैं जिनके मार्फत इस तरह की नियुक्ति की गई है। इस मामले में उन पर कोई कार्यवाही की गाज नहीं गिर रही है। बताया गया है कि इसके पहले भी कई नियुक्तियां हो चुकी हैं जहां कि मनमानी रूप से नियुक्ति करने के बाद कार्यवाही नहीं हुई थी। वहीं अब फिर 106 युवाओं को ठगी का शिकार बनाया गया। जिनसे पैसा भी लिया गया एवं उनकी नियुक्ति भी निरस्त कर दी गई।
सिविल सर्जन पर कब होगी कार्यवाही
पूरे मामले में जो नियुक्ति हुई है उसमें सिविल सर्जन डॉ. एसबी खरे प्रमुख रूप से दोषी माने जा सकते हैं। जिनके मार्फत इस तरह की नियुक्ति मनमानी ढंग से की गई है। आखिर उन पर कार्यवाही कब होगी। युवाओं के साथ छलावा करने के बाद भी उन पर कार्यवाही की गाज नहीं गिर रही है। कहीं न कहीं सत्ता के नेताओं का संरक्षण माना जाए या कारण जो भी हो स्वास्थ्य विभाग में आउटसोर्स की भर्ती में सिविल सर्जन सहित अन्य दोषी कर्मचारियों पर निष्काशन की कार्यवाही तत्काल की जानी चाहिए जिससे प्रभारी मंत्री द्वारा लिए गए एक्शन के उपरांत तथ्यों की पुष्टि होने पर जिला प्रशासन के द्वारा एफआईआर के दिए गए आदेशों से जनता के बीच अच्छा संदेश जाए।
अब फिर हाईकोर्ट में स्टे लेने के नाम पर वसूली का आरोप
सूत्रों की मानें तो जो नियुक्त कर्मचारी आउटसोर्स में थे उनसे अब बिना हस्ताक्षर ड्यूटी में भी लगाया जा रहा है। यहां तक कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी ऐसे युवाओं के साथ फिर से छलावा करने का काम कर रहे हैं। जिनमें कि उनसे 10 हजार रुपए लेकर हाईकोर्ट में स्टे लगाने के एवज में भी पैसा ऐंठने का काम शुरू कर दिया गया है। इस पर भी जिम्मेदार कलेक्टर को संज्ञान में लेकर कार्यवाही करनी चाहिए।
कार्यवाही नहीं होगी तो करेंगे आंदोलन: विवेक
इस संबंध में शिवसेना के प्रदेश उपाध्यक्ष विवेक पाण्डेय ने बताया कि हमें भी जानकारी मिली है कि रिश्वत लेकर 106 युवाओं के साथ धोखा देने वाले स्वास्थ्य विभाग पर अभी तक कार्यवाही नहीं हुई है। उन्होने कहा कि भर्ती प्रक्रिया के नाम पर मोटी रकम वसूली गई उसमें जन प्रतिनिधियों की भी हिस्सा रहा होगा। इसके बाद भी अब आफ रजिस्टर से अब युवाओं को जबरन सेवाएं दी जा रही हैं। यहां तक कि 10 से 20 हजार रुपए प्रति युवाओं से लेने का काम भी किया जा रहा है। जिसमें ये बताया जा रहा है कि हम हाईकोर्ट से स्टे लाएंगे। आखिरकार युवाओं के साथ इस तरह का व्यौहार क्यों किया जा रहा है। यहां के सत्ताधारी जनप्रतिनिधि सहित स्वास्थ्य मंत्री एवं उप मुख्यमंत्री इस पर क्यों अमल नहीं कर रहे हैं।
तत्काल एफआईआर दर्ज हो : तिवारी
इस पूरे प्रकरण पर भारतीय मजदूर संघ जिला उपाध्यक्ष, सीधी विकाश नारायण तिवारी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अस्पताल में कई डॉक्टर 25-30 सालों से एक ही जगह जमे हुए हैं। सरकार कोई भी आए, उनका सेटिंग बनी रहती है। लगातार आरोप लगते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं होती। कभी-कभी तो मरीजों की जान तक चली जाती है, फिर भी लापरवाही पर कोई कार्रवाई नहीं होती। डॉक्टर अपने निजी क्लीनिक में बैठते हैं और अस्पताल भगवान भरोसे चलता है। उन्होंने आगे कहा कि डॉक्टर को भगवान माना जाता है क्योंकि वही मरीज की जान बचाता है। लेकिन अगर वही डॉक्टर भ्रष्टाचार में लिप्त होंगे, तो मरीजों की जिंदगी कैसे बचेगी? दोषियों पर कठोर कार्रवाई जरूरी है, ताकि अस्पताल की व्यवस्था सुधरे और भ्रष्टाचारियों में डर पैदा हो। श्री तिवारी ने मजदूर संघ की और से मांग की है कि इस आउटसोर्स भर्ती घोटाले के दोषी डॉक्टरों व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए। बेरोजगार युवाओं से ली गई रिश्वत राशि तत्काल वापस की जाए। अस्पताल की व्यवस्था को पारदर्शी और सुचारू बनाया जाए।