आरबीआई की ताजा रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल लेनदेन बढ़ने से एटीएम की संख्या में गिरावट आई है। हालांकि, बैंकों की फिजिकल ब्रांच की संख्या 1.64 लाख के पार पहुँच गई है। जानें बैंकिंग सेक्टर के बदलते रुझान
By: Ajay Tiwari
Dec 30, 20253:45 PM
बिजनेस डेस्क | स्टार समाचार वेब
भारतीय बैंकिंग सेक्टर में एक दिलचस्प विरोधाभास देखने को मिल रहा है। जहाँ एक ओर यूपीआई (UPI) और डिजिटल भुगतान की बढ़ती लोकप्रियता ने नकदी की मशीन यानी एटीएम (ATM) की जरूरत को कम कर दिया है, वहीं दूसरी ओर बैंक अपनी फिजिकल मौजूदगी बढ़ाने के लिए नई शाखाएं खोलने पर जोर दे रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की वार्षिक रिपोर्ट ‘ट्रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया’ ने इन बदलते रुझानों पर मुहर लगा दी है।
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2025 तक देश में कुल एटीएम मशीनों की संख्या घटकर 2,51,057 रह गई है। पिछले वित्त वर्ष (2023-24) के अंत तक यह संख्या 2,53,417 थी। यानी महज एक साल में देशभर में 2,360 एटीएम कम हो गए हैं। इसका मुख्य कारण ऑफसाइट एटीएम (जो बैंक परिसर से बाहर होते हैं) के उपयोग में कमी आना है, क्योंकि अब अधिकांश छोटे-बड़े भुगतान मोबाइल के जरिए ही संभव हो रहे हैं।
हैरानी की बात यह है कि जहाँ मशीनी नेटवर्क सिमट रहा है, वहीं इंसानी संपर्क वाली बैंक शाखाओं की संख्या में 2.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक भारत में कुल बैंक शाखाओं की संख्या बढ़कर 1.64 लाख के पार पहुँच गई। यह आंकड़ा दर्शाता है कि जटिल वित्तीय सेवाओं और ऋण संबंधी कार्यों के लिए बैंक और ग्राहक आज भी भौतिक शाखाओं को प्राथमिकता दे रहे हैं।
रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि निजी और सार्वजनिक (सरकारी) दोनों ही क्षेत्रों के बैंकों ने अपने एटीएम नेटवर्क में छंटनी की है:
निजी बैंक: एटीएम की संख्या 79,884 से घटकर 77,117 रह गई।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक: संख्या 1,34,694 से घटकर 1,33,544 हो गई।
व्हाइट लेबल एटीएम (सकारात्मक पहलू): गैर-बैंकिंग कंपनियों द्वारा संचालित 'व्हाइट लेबल एटीएम' की संख्या में इजाफा हुआ है। यह 34,602 से बढ़कर 36,216 हो गई है, जो ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में बैंकिंग पहुंच बनाए रखने में मदद कर रहे हैं।
एक बड़ा बदलाव नई शाखाएं खोलने के रुझान में देखा गया है। नई बैंक शाखाओं के विस्तार में निजी बैंकों की हिस्सेदारी, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 67.3 प्रतिशत थी, वह 2024-25 में गिरकर 51.8 प्रतिशत पर आ गई है। इससे संकेत मिलता है कि अब निजी बैंक भी फिजिकल विस्तार में सावधानी बरत रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में बैंक शाखाएं केवल 'ट्रांजैक्शन पॉइंट' न रहकर 'कंसल्टेशन सेंटर' बन जाएंगी, जहाँ ग्राहक निवेश, बीमा और लोन जैसे कार्यों के लिए आएंगे, जबकि नकद निकासी और जमा पूरी तरह डिजिटल या मशीन-आधारित हो जाएगा।