रीवा के संजय गांधी अस्पताल को बड़ी सौगात मिलने जा रही है। ₹7.74 करोड़ की लागत से ब्रैकीथेरेपी कोबाल्ट-60 मशीन खरीदने की स्वीकृति मिल गई है। इससे बच्चेदानी कैंसर समेत इंटरनल कैंसर के मरीजों को राहत मिलेगी। मशीन भोपाल से हरी झंडी मिलने के बाद जल्द स्थापित होगी।
By: Yogesh Patel
Jul 24, 202510:59 PM
हाइलाइट्स
रीवा, स्टार समाचार वेब
मेडिकल हब बनने की दिशा में रीवा एक और कदम आगे बढ़ गया है। कैंसर के मरीजों को बड़ी राहत मिलने वाली है। करीब 8 करोड़ की लागत से ब्रेंकीथेरेपी मशीन को खरीदने की स्वीकृति मिल गई है। जल्द ही इसे खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इस मशीन के आने से बच्चेदानी के कैंसर से पीड़ित मरीजों को इंटरनल थैरेपी में बड़ी राहत मिलेगी।
ज्ञात हो कि रीवा संजय गांधी अस्पताल में वर्तमान समय में कैंसर के मरीजों को सिर्फ कीमोथेरेपी की सुविधा दी जा रही है। यहां कोबाल्ट मशीन लगी थी लेकिन इसका सोर्स एक्सपायरी हो गया है। इसके कारण थैरेपी की सुविधा बंद हो गई। कुछ सालों तक कैंसर यूनिट ठेके पर चला। इसके बाद ठेका निरस्त हुआ तो पुराना ठेकेदार अपने साथ सोर्स भी लेकर चला गया। इसके बाद से ही यहां सिकाई की सुविधा बेपटरी हो गई। अब कैंसर के मरीजो को सिंकाई के लिए बाहर जाना पड़ता है। आने वाले समय में हालांकि यह असुविधा नहीं रहेगी।
कैंसर यूनिट ही अलग बन रही है। 31 करोड़ की लीनेक्स मशीन आने वाली है। इसके बाद सारी समस्याएं ही खत्म हो जाएंगी। हालाकिं एक और कैंसर मशीन की स्वीकृति भोपाल से मिल गई है। इससे मरीजों को अब इंटरनल थैरेपी की भी सुविधा अब रीवा में मिलने लगेगी। यह मशीन संजय गांधी अस्पताल के अधीक्षक डॉ राहुल मिश्रा के प्रयास से ही मिलना संभव हुआ है। वह लंबे समय से इस मशीन की मांग कर रहे थे। अब जाकर स्वीकृति भी मिल गई है।
फिलहाल रीवा में कैंसर मरीजों को कीमोथैरेपी ही दी जा रही
रीवा में कैंसर के मरीजों की सिंकाई बंद है। सिर्फ कीमोथैरेपी से ही इलाज किया जा रहा है। यहां के मरीजों को सिंकाई के लिए जबलपुर मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है। जिस जगह पर पुरानी मशीन लगी है। उसका सोर्स खत्म हो चुका है। नया सोर्स मशीन के हिसाब से महंगा पड़ रहा था। अब नई मशीन आने के बाद ही रीवा में कैंसर के मरीजों का इलाज संभव हो सकेगा।
ब्रैंकीथेरेपी कोबाल्ट 60 के यह होंगे फायदे
अभी तक रीवा में प्रायमरी यानि स्टेज वन के कैंसर मशीनों का इलाज सिर्फ आपरेशन से ही होता रहा है। अभी भी यही हो रहा है। इस मशीन के आने के बाद प्रायमरी स्टेज के मरीजों को बैंकीथैरेपी से सिंकाई देकर भी ठीक कर सकेंगे। यह मशीन शरीर के अंदर होने वाले कैंसर के लिए कारगर साबित होगी। इसके अलावा जिन महिलाओं को बच्चेदानी का कैंसर होता है। उन्हें एक्सटर्नल सिंकाई दी जाती है। इसके बाद बीमारी को पूरी तरह से बैंकीथेरेपी से इंटरनल सिंकाई देकर खत्म किया जा सकेगा। ब्रोंकल डिजीज सहित छोटी छोटी इंटरनल बीमारियों में भी इस मशीन से इलाज किया जा सकेगा।
चार मेडिकल कॉलेजों के लिए मिली स्वीकृति
ब्रैंकीथेरेपी कोबाल्ट 60 मशीन सिर्फ रीवा में ही नहीं आ रही है। प्रदेश के चार मेडिकल कॉलेजों के लिए स्वीकृति दी गई है। रीवा के अलावा ग्वालियर, इंदौर, भोपाल में भी यह मशीन खरीदी जाएगी। चारों कालेजों के लिए करीब 30 करोड़ 99 लाख रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई है।
ब्रैंकीथैरेपी कोबाल्ट 60 मशीन को खरीदने की स्वीकृति मिली है। इस मशीन के आने से इंटरनल थैरेपी में मदद मिलेगी। सबसे अधिक फायदा बच्चेदानी के कैंसर वाले मरीजों को मिलेगा। यह मशीन भी नई बिल्डिंग में ही लगाई जाएगी।
डॉ अजीत मार्को, सह प्राध्यापक, कैंसर विभाग, श्याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा