सतना स्मार्ट सिटी योजना के तहत कोठी तिराहे पर करोड़ों रुपए खर्च कर बनाई गई सब्जी मंडी अब शराबियों और असामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुकी है। चबूतरों पर सब्जियों की जगह शराब और गांजे का सेवन होता है, जबकि दुकानदार सड़कों पर दुकानें लगाने को मजबूर हैं।
By: Yogesh Patel
Sep 13, 20256:12 PM
हाइलाइट्स:
सतना, स्टार समाचार वेब
शहर को सुंदर,व्यवस्थित व सुविधायुक्त बनाने की मंशा से कोठी तिराहे पर स्मार्ट सिटी योजना के तहत बनाई गई सब्जी मंडी अधिकारिशें की उदासीनता से अप्रासंगिक हो गई है। जिन चबूतरों को सब्जी रखकर बेचने के लिए बनाया गया था उन चबूतरों पर इन दिनों शराबी डेरा जमाए नजर आते हैं। हालात इस कदर बदतर हैं कि अव्यवस्थाओं के चलते सब्जी दुकानदारों ने मंडी परिसर के बाहर सड़क किनारे दुकानें लगा ली हैं जबकि दुकानदारों के लिए बनाए गए चबूतरे पर या तो जाम छलकते हैं या फिर गांजे की चिलम सुलगती है। न तो यहां कभी नगर निगम के अधिकारी यह देखने पहुंचते हैं कि शहर की जिन मंडियों के निर्माण में करोड़ों रूपए फूंके गए हैं, उनका सही इस्तेमाल हो भी रहा है या नहीं और न ही पुलिस के जवान कभी यहां झांककर देखने की जरूरत महसूस करते हैं कि शाम ढलने के बाद यहां की स्थिति कितनी अराजक हो जाती है। दुकानदारों ने मांग की है कि मंडी को समुचित विकसित किया जाय और उन्हें नियत स्थान पर बैठने की सुविधा दी जाय।
किसके लिए बनाए चबूतरे
दुकानदारों ने मंडी में बनाए गए ऊंचे चबूतरों को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि चबूतरों की उचाई इतनी अधिक है कि उस पर बैठकर सब्जी बेचना संभव नहीं है। दूसरा यह कि सिविल लाइन, राजेंद्र नगर, पन्ना नाका समेत आसपास की सड़कों पर सब्जी दुकानें लगने से लोग मंडी में घुसना पसंद नहीं करते है। यदि सब्जी व फल दुकानों को सड़क के किनारे ही संचालित कराना था तो फिर कोठी तिराहा, सिंधी कैंप समेत विभिन्न स्थलों पर करोड़ों खर्च कर मंडी का निर्माण क्यों कराया गया? उम्मीद की जा रही थी कि मंडी निर्माण होने से कोठी तिराहे का अराजक यातायात पटरी पर आ जाएगा और मंडी परिसर में दुकानें व्यवस्थित अंदाज में संचालित होने लगेगीं लेकिन यह उम्मीदें केवल उम्मीदें ही बनकर रह गर्इं। सड़कों पर आज भी दुकानें लग रही हैं और मंडी परिसर में बनाई गई छतरीनुमा संरचनाएं व्यवस्थित मंडी के दावे की जहां खिल्ली उड़ा रही हैं वहीं बेहतरी की उम्मीद पालने वाले शहरवासियों को निराश भी कर रही हैं।
अराजक माहौल से दुकानदारों ने छोड़ी मंडी, सब्जी की जगह बिक रही मटन-बिरयानी
कोटी तिराहा स्थित जिस सब्जी मंडी को स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत लोगों की सुविधा के लिए बनाया गया है , वह सुरा प्रेमियों का नया ठिकाना बनकर उभरी है। यूं तो यहां दिन में भी जाम छलकाते लोगों को देखा जा सकता है, लेकिन शाम ढलते ही मंडी ओपन बियर बार में तब्दील हो जाती है। कोठी तिराहा से सटी इस मंडी में शराब प्रेमी बोतल लेकर तो पहुंचते ही हैं, साथ ही गांजे की चिलम भी यहां दिनभर सुलगती रहती है। शाम होते ही असमाजिक तत्वों का यहां डेरा जम जाता है जो चबूतरों पर कब्जा जमाकर नशाखोरी करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि सब्जी मंडी से सब्जी दुकानें गायब हो गई है जबकि परिसर में ढाबे व होटल खुल गए हैं जो शराबियों को मसालेदार भोजन उपलब्ध कराते हैं। इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि सब्जी मंडी से सब्जी की दुकानें बाहर आ गई हैं जबकि ढबों में मटन बिरयानी परोसी जा रही है। बताया तो यहां तक जाता है कि शाम ढलने के बाद दीनदयाल रसोई भवन में भी जाम छलकने लगते हैं। दुकानदारों का कहना है कि वे क्या करें । सुविधाविहीन मंडी परिसर में या तो आए दिन शराबियों से लड़े या फिर सड़क किनारे दुकान समेटकर अपना पेट पालें?
बढ़ी वारदात की आशंका
शाम ढलते ही कोठी तिराहे का माहौल जिस प्रकार से अराजक हो जाता है उससे यहां किसी बड़ी वारदात होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। दरअसल कोठी तिराहे पर शराब दुकान है जहां शराब खरीदने के बाद शराबी या तो तिराहा स्थित हनुमान मंदिर के इर्द-गिर्द या फिर मंडी परिसर में डेरा जमा लेते हैं और बेखौफ होकर बोतलें लुढ़काते हैं। कई बार तो हनुमान मंदिर आने वाले भक्त बगल में जाम लड़ाते देखअसहज भी हो जाते हैं लेकिन जिम्मेदारों को इसकी कोई फिक्र नहीं है। मंडी परिसर में भी चहुंओर बिखरी शराब की बोेतल, डिस्पोजल ग्लास आदि इस परिसर को मंडी परिसर का कम ओपन बियर बार का अहसास ज्यादा कराती है। कभी गांजा की खरीदी बिक्री और शराब की छीना झपटी को लेकर मंडी परिसर में जिस प्रकार के विवाद रात के अंधेरे में होते हैं, उससे यहां बड़ी वारदात की आशंका जताई जा रही है।
इतने ऊचे चबूतरे पर बैठकर सब्जी कैसे बेचें? दूसरी बात यह कि कई दुकानदार सड़क पर सब्जी की दुुकानें लगाते हैं तो ग्राहक अव्यव्स्थित मंडी में क्यों आएगा? इसीलिए हमें बाहर दुकान लगाना पड़ता है।
गुड़िया कुशवाहा, सब्जी विक्रेता
पता नहीं क़्या सोचकर मंडी बनाई गई है। इतने ऊंचे चबूतरे पर सब्जी चढ़ाना उतारनमें दिक्कत है। कई बार कम उचाई वाला ग्राहक सब्जी देख नहीं पाता। इसीलिए हमें सड़क किनारे बैठना पड़ रहा है।
गयादीन कुशवाहा, सब्जी विक्रेता
पहले सड़क में लगने वाली सब्जी दुकानों को हटाएं। पन्ना नाका, सिविल लाइन, राजेंद्रनगर में सड़क किनारे दुकानें लगी हैं जिससे ग्राहक मंडी में नहीं आता । मंडी का माहौल भी अराजक बना रहता है।
छोटू, सब्जी विक्रेता